क्या है ऑपरेशन अर्नोन? कैसे इजराइल ने हमास की कैद से छुड़ाए बंधक

गाजा युद्ध को 8 महिनों से ज्यादा का वक्त हो गया है. बंधकों को छुड़ाने और हमास का खात्मा करने के लिए शुरू हुआ ये युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इजराइली सेना ने इस युद्ध में अब तक के सबसे साहसी, जटिल और जोखिम वाले ऑपरेशन को अंजाम दिया है. शनिवार को इजराइल की सेना ने बताया कि उसने सेंट्रल गाजा में एक सफल ऑपरेशन अंजाम देते हुए चार बंधकों को छुड़ा लिया है.
टाइम्स ऑफ इज़राइल की खबर के मुताबिक, 4 बंधकों नोआ अर्गामनी, 26, अल्मोग मीर जान, 21, एंड्री कोज़लोव, 27, और श्लोमी ज़िव, 41 को बचाने के लिए ऑपरेशन की तैयारी कई हफ्ते पहले ही बना ली गई थी. पहले इस ऑपरेशन का नाम “सीड्स ऑफ़ समर” रखा गया था, लेकिन बाद में इस ऑपरेश के दौरान मारे गए मुख्य निरीक्षक अर्नोन ज़मोरा के नाम पर इसे बदलकर “ऑपरेशन अर्नोन” रख दिया गया.
कैसे बनाया गया प्लान?
ऑपरेशन की योजना बनाते वक्त इजराइल सेना ने बंधकों की लोकेशन से जुड़ी खुफिया जानकारियों का बारीकी से अध्ययन किया, क्योंकि जंग की शुरुआत से ही हमास बंधकों की जगह का बदल रहा था. ऑपरेशन से पहले सेना की विशेष यूनिट यमम ने सेंट्रल गाजा के नुसेरात से बाहर जाने वाले रास्तों पर कई अभ्यास किए. इसके बारे में सैन्य अधिकारियों ने कहा कि यह 1976 के “एंटेबे छापे के समान” था, जब इजरायली कमांडो ने युगांडा में 100 से अधिक बंधकों को बचाया था.
ऐसे दिया ऑपरेशन को अंजाम
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने गुरुवार शाम को इस ऑपरेशन को मंजूरी दे थी. फिर शनिवनार सुबह सेना की शेन बिट और यमम यूनिट ने बंधकों को कैद करने वाली जगह पर अपना ऑपरेशन शुरू किया. सुबह 11 बजे सेना को दो मंजिला बिल्डिंग पर रेड करने के आदेश दिए गए जहां बंधकों के होने का इंपुट था.
नुसेरात गाजा के उन कुछ क्षेत्रों में से एक है, जहां IDF ने जमीनी हमले के दौरान प्रवेश नहीं किया है. सेना ने बिल्डिंग पर हमला बड़े ही शांत तरीके से किया, क्योंकि उसको बंधकों की हत्या होने का डर था. हमास द्वारा 3 बंधकों को एक फिलिस्तीनी परिवार के साथ रखा गया था और इसके निगरानी हमास के लड़ाके कर रहे थे. एक और बंधक अर्गामनी को भी पास वाली ही बिल्डिंग में हमास के लड़ाकों ने रखा हुआ था.
सेना के मुताबिक अर्गामानी को आसानी से छुड़ा लिया गया, लेकिन खतरनांक गनफायर परिवार के साथ रखे गए 3 बंधकों को छुड़ाने में करनी पड़ी. इन तीन बंधकों में मीर जान, कोज़लोव और ज़िव शामिल थे. IDF का कहना है कि हमास बंधकों को छिपाने के लिए परिवार को पैसे देता है.
भीषण लड़ाई का सामना कर छुड़ाए बंधक
सेना को हमास के लड़ाकों की ओर से भीषड़ गोला-बारी का सामना करना पड़ा. जिसमे रेस्कयू टीम के कमांडर जामोरा बुरी तरह घायल हुए बाद में उनकी मौत हो गई है. साथ ही इस ऑपरेशन में बंधकों की सुरक्षा के लिए तैनात हमास के लड़ाके भी मारे गए हैं.
कुछ ही देर बाद, जब बंधकों को नुसेरात से निकाला जा रहा था. तो उनकी गाड़ी पर गोलीबारी की गई, जिससे वह गाजा में फंस गए. सेना की दूसरी टुकड़ी बचाने के लिए तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और उन्हें गाजा में एक अस्थायी हेलीपैड पर ले गए, जहां से उन्हें इजराइल तेल हाशोमर अस्पताल में ले जाया गया.
ऑपरेशन में मारे 210 लोग
हमास के सरकारी मीडिया कार्यालय ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान कम से कम 210 लोग मारे गए हैं, जिसको IDF ने भी स्वीकार किया कि उसने लड़ाई के दौरान फिलिस्तीनी नागरिकों को मारा, लेकिन उसने बंधकों को पकड़ने और घनी आबादी वाले नागरिक क्षेत्र में लड़ने के लिए हमास को ही दोषी ठहराया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, IDF स्पोकपर्सन रियर एडमिरल डैनियल हगारी ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हमें 100 से कम फिलिस्तीनी हताहतों के बारे में पता है, मुझे नहीं पता कि उनमें से कितने आतंकवादी हैं.
प्रधानमंत्री ने की बंधकों से मुलाकात
8 महीने बाद कैद से रिहा होने के बाद बंधकों के परिवारों में खुशी की लहर है. पूरे इजराइल में सेना के इस साहस की तारीफ की जा रही है. शनिवार को बंधकों के इजराइल लौटने के बाद देश के प्रधानमंत्री ने बंधकों से मुलाकात की है.

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