क्या है नार्को टेररिज्म, जिससे युवाओं को बनाया जा रहा निशाना…देश की सुरक्षा के लिए है बड़ा खतरा

नार्को टेररिज्म आतंकवाद का नया और तेजी से उभरता प्रारूप है. इसके जरिए एक ओर युवाओं को नशे का आदी बनाया जाता है तो दूसरी ओर इससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल आतंकवादियों की मदद के लिए की जाती है.
इसके तार पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लेकर ईरान तक फैले हुए हैं और निशाने पर है भारत की युवा आबादी. भारत का युवा आज देश और दुनिया के हर कोने में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहा है लेकिन दुश्मन नहीं चाहता कि वो आगे बढ़े. लिहाजा नार्को टेरर के जरिए वो एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश में है.
नार्को टेरर के खिलाफ बड़ा एक्शन
ड्रग्स तस्करों के साथ आतंकी संगठनों की सांठ-गांठ ने देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा कर दिया है. देश की जांच एजेंसियां लगातार इसके खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं. 22 जुलाई (सोमवार) को ईडी ने जम्मू कश्मीर से 2 आरोपियों को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की फंडिंग से जुड़े केस में गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपियों की पहचान अरशद अहमद अली और फैयाज अहमद डार के तौर पर की गई है.

ED, Jammu has arrested 02 accused persons, namely Arshad Ahmed Allie and Fayaz Ahmed Dar on 22.07.2024 under the provisions of PMLA, 2002 in connection with a case involving Narco-Terrorism, linked to funding of the subversive activities of terrorist group Hijbul Mujahideen.
— ED (@dir_ed) July 23, 2024

NIA की जांच में हुआ था खुलासा
जम्मू कश्मीर ने नार्को टेरर फंडिंग से जुड़ा ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने लश्कर और हिजबुल टेरर फंडिंग मामले में घाटी से कई गिरफ्तारियां की हैं. दरअसल 26 जून 2020 को NIA ने जम्मू कश्मीर में नार्को टेरर से जुड़े केस की जांच संभाली थी. इस केस की जांच में कई बड़े खुलासे हुए. जांच से पता चला कि जम्मू-कश्मीर और भारत के कई हिस्सों में नशीली दवाओं की खरीद-फरोख्त और धन जुटाने की गहरी साजिश की जा रही है. ये साजिश ड्रग तस्करों की ओर से आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ मिलकर रची गई थी.
कैसे काम करता है नार्को टेरर मॉड्यूल?
नशीले पदार्थों के रैकेट से जुटाए गए फंड को आतंकवादी हिंसा को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें ड्रग्स तस्कर बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों को जमीनी कार्यकर्ताओं (OGWs) के नेटवर्क के जरिए जम्मू-कश्मीर समेत कई इलाकों में पहुंचाया जाता है. इसके बाद नशे की खेप खपाने का काम होता है. इसके लिए इनका सबसे बड़ा टारगेट है देश का युवा. जिससे आतंकी उन्हें आसानी से बरगला सकें और अपनी जरूरत के लिहाज से इस्तेमाल कर सकें. इसके अलावा ड्रग्स तस्करी से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा आतंकी संगठनों की फंडिंग करता है.
नार्को टेररिज्म को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
रक्षा विशेषज्ञ (रिटा.) मेजर जनरल संजय सोई ने देश में बढ़ते नार्को टेररिज्म को लेकर TV9 डिजिटल से चर्चा में बता है कि आतंकवाद के लिए फंडिंग बेहद अहम होती है, इसलिए आतंकी संगठनों ने बॉर्डर पार से अब सीधे पैसा न भेजकर ड्रग्स के जरिए फंडिंग का रास्ता निकाल लिया है. आतंकी संगठन इसके जरिए लोगों को ड्रग एडिक्ट बनाते हैं और इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल आतंकियों की मदद के लिए की जाती है. इससे सरकार को दो मोर्चों पर काम करना पड़ता है. आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ-साथ नशे के आदी हो चुके युवाओं की नशा मुक्ति पर भी फोकस करना होता है. इससे निपटने के लिए पुलिस, ब्यरोक्रेसी, ईडी और एंटी ड्रग ऑर्गनाइजेशन को मिलकर काम करने की जरूरत है. इसके लिए जांच एजेंसियों को फंडिंग की चेन पर भी नजर रखना होगा.
मेजर जनरल संजय सोई ने एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हुए कहा है कि जिस रास्ते से ड्रग्स आ सकते हैं उस रास्ते से हथियार और विस्फोटक भी आ सकता है. यही नहीं पंजाब और जम्मू में ड्रोन का इस्तेमाल कर ड्रग्स की तस्करी की जा रही है. सीमा पार से भेजी जा रही ड्रग्स को बेचने के लिए एक पूरा नेटवर्क होता है, जो जम्मू कश्मीर और पंजाब के छोटे-छोटे इलाकों में इसे खपाता है. रक्षा विशेषज्ञ संजय सोई के मुताबिक जम्मू कश्मीर की करीब 8-10% आबादी ड्रग एडिक्ट हो चुकी है, सरकार को चाहिए कि स्थानीय लोगों के लिए जागरुकता अभियान चलाए जिससे उन्हें इसके चंगुल में फंसने से रोका जा सके.
गृह मंत्री ने बताया देश के लिए खतरा
18 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह ने नार्को कॉर्डिनेशन सेंटर (NCORD) की शीर्ष स्तरीय बैठक की. इस दौरान उन्होंने नार्को टेरर फंडिंग को देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया था. गृह मंत्री शाह ने कहा था कि देश की सभी जांच एजेंसियों का लक्ष्य न केवल ड्रग्स यूजर्स को पकड़ना होना चाहिए बल्कि पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ भी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ड्रग का पूरा कारोबार अब नार्को-टेरर से जुड़ गया है और इससे मिलने वाला पैसा देश और इसकी सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा बन गया है.

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