क्या है नींद का विज्ञान? कोई 4 घंटे में फ्रेश, किसी की 8 घंटे में भी पूरी नहीं
महापुरुषों ने जीवन के दो सबसे बड़े सुख बताए हैं. इनमें पहला है निरोगी काया और दूसरा है अच्छी नींद, लेकिन आज के समय में अच्छी नींद आना एक बड़ी समस्या बन गई है. खराब लाइफस्टाइल, फोन की लत और नशे की आदत ने सोने और जागने के क्रम को खराब कर दिया है. नींद की कमी कई बीमारियों का कारण भी बन रही है. इससे लोग मोटापा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज और खराब मेंटल हेल्थ का शिकार हो रहे हैं. सोशल मीडिया के दौर में तो नींद कम आना एक बीमारी बनता जा रहा है. इसके लिए लोग दवाएं खाते हैं और यहां तक की सालों तक इलाज भी चलता है. लेकिन अच्छी नींद क्या है, ये कितने घंटे की होनी चाहिए, आपको बेहतर नींद कैसे आए. ये ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना जरूरी है.
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के मुताबिक, एक व्यक्ति को दिन में कम से कम 8 घंटे सोना चाहिए. अधिकतर लोग इतने घंटे नींद लेने की कोशिश करते भी हैं, लेकिन सभी इतना सोते नहीं है. कई लोग केवल 4 घंटे ही सोते हैं और इतने समय में ही उनकी नींद पूरी हो जाती है. 7 से 8 घंटे सोने वाले इस बात पर आसानी से विश्वास नहीं कर पाते कि 4 घंटे मेंं भी नींद पूरी हो सकती है. लेकिन क्या ऐसा सही में है? आखिर नींद के घंटे कितने होने चाहिए? जिससे शरीर फिट रहे. आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं.
नींद की क्वालिटी है जरूरी
दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने इस बारे में बताया है. डॉ किशोर कहते हैं कि नींद के घंटे नहीं, नींद की क्वालिटी जरूरी है. कई रिसर्च कहती हैं कि सात से 8 घंटे की नींद का समय सबसे अच्छा है, लेकिन यह वास्तव में व्यक्ति पर निर्भर करता है. कुछ लोग रात में 8 या उससे कम घंटे सोते हैं और वे पूरी तरह से फ्रेश महसूस करते हैं, जबकि अन्य कुछ को आराम महसूस करने के लिए 8 घंटे से ज्यादा की नींद चाहिए. कुछ की नींद 4 घंंटे में भी पूरी हो सकती है.
यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति गहरी नींद ( डीप स्लीप) में कितने समय सोता है. जिनका गहरी नींद का समय ज्यादा होता है उनके लिए 4 घंटे सोना काफी है. इनको डीप स्लीपर कहा जाता है. ऐसे लोग कम नींद लेकर भी किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करते हैं, जबकि जो लोग हल्की नींद में सोते हैं वह 7 से 8 घंटे सोकर भी नींद पूरी न होने का अनुभव कर सकते हैं. इनको लाइट स्लीपर कहते हैं.
नींद को समझने के लिए आपको स्लीप साइकिल की जानकारी होना जरूरी है
क्या होती है स्लीप साइकिल
स्लीप साइकिल का मतलब होता है नींद का पूरा चक्र. इसमें सोने से लेकर जागने तक के कई चरण होते हैं. इसकी शुरुआत लाइट स्लीप से होती है. बिस्तर पर सोने के बाद जब आपको नींद आनी शुरू होती है तब इस स्टेज की शुरुआत होती है. इसमें नींद कच्ची रहती है और आंखों की पुतलियां चलती हैं. इस स्टेज में ब्रेन में कोई एक्टिविटी रहती है.
हर व्यक्ति में इस स्टेज के घंटों का समय अलग अलग हो सकता है. आमतौर पर 2 घंटे के बाद इस स्टेज से शरीर दूसरी स्टेज में जाने की तैयारी करने लगता है. इस दौरान आंखों की गति धीमी होने लगती है और हार्ट रेट भी पहले से सामान्य होने लगता है. यहां से दूसरी स्टेज की शुरुआत होती है.
दूसरी स्टेज
दूसरी स्टेज डीप स्लीप यानी गहरी नींद की होती है. इसमें ब्रेन शांत रहता है और नींद गहरी होती रहती है. डीप स्लीप में जो इंसान ज्यादा समय रहता है उसको कम घंटे सोने के बावजूद भी नींद पूरी हो जाती है. इस स्टेज में नींद में किसी प्रकार का कोई दखल नहीं रहती है. इस दौरान किसी तरह के सपने नहीं आते हैं.
आखिरी स्टेज .
आखिरी स्टेज को REM SLEEP कहा जाता है. इस स्टेज में नींद का चरण पूरा हो रहा होता है. इसमें व्यक्ति सपने देखता है. सपनों की वजह से आंखों की पुतलियां इधर – उधर घूमती हैं ये समय दो घंटे तक का हो सकता है.
हर स्टेज का समय अलग- अलग
डॉ किशोर कहते हैं कि गहरी नींद, हल्दी नींद और आरईएम इन तीनों स्टेज का समय हर व्यक्ति में अलग- अलग हो सकता है. जो लोग लाइट स्लीप में ज्यादा समय तक रहते हैं उनको 7 से 8 घंटे सोने के बाद नींद पूरी होने का अहसास होता है, जबकि जो डीप स्लीप में ज्यादा रहते हैं उनकी नींद 4 घंटे सोकर ही पूरी हो सकती है. जो लोग आरईएम स्टेज यानी तीसरी स्टेज में ज्यादा समय रहते हैं उनको 8 घंटे सोकर भी कई बार नींद पूरी न होने का अहसास हो सकता है.
स्लीप साइकिल को समझें
नींद को समझने के लिएआपको अपनी स्लीप साइकिल की जानकारी होना जरूरी है. अगर रात को 10 से 11 बजे सोने के बाद आपकी आंख 6 बजे खुल गई है तो इसका मतलब है कि नींद पूरी हो गई है. ऐसे में आपको दोबारा नहीं सोना चाहिए. ये करने से शरीर फिर से दूसरी स्लीप साइकिल में जाने लगता है और इस दौरान अगर आप फिर 8 या 9 बजे के बीच उठते हैं तो नींद बाधित हो जाती है. यही कारण है कि कुछ लोग 8 से 9 घंटे सोकर भी फ्रेश महसूस नहीं करते हैं.
क्यों कुछ लोग होते हैं लाइट स्लीपर
इस बारे में दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ अजय कुमार ने बताया है. डॉ. कुमार बताते हैं कि नींद कम आना या लाइट स्लीप में रहने के ये कारण हो सकते हैं.
डिप्रेशन की समस्या
एंग्जाइटी
शराब ज्यादा पीना
खरार्टे ज्यादा आना
मानसिक तनाव
कोई मेंटल हेल्थ समस्या
गहरी नींद के लिए क्या करें
समय पर सोने की आदत डालें
हर दिन व्यायाम जरूर करें
आरामदायक गद्दे और तकिए का इस्तेमाल करें
रात को शराब, चाय या कॉफी न पिएं
सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर दें.