क्या है भूल जाने का अधिकार? जानें मद्रास हाईकोर्ट का वो फैसला जिसे लेकर शुरू हुआ विवाद
सुप्रीम कोर्ट एक बेहद अनोखे केस की सुनवाई को तैयार है, इसके तहत विचार किया जाना है कि क्या अदालत के फैसलों में बरी किए गए व्यक्ति की पहचान उजागर की गई हो तो इसके खिलाफ भूल जाने का अधिकार लागू किया जा सकता है. हालांकि फिलहाल देश में इस पर कोई कानून नहीं है.
बुधवार को SC ने इस पर विमर्श किया कि क्या भूल जाने का अधिकार निजता के अधिकार के एक हिस्से के तौर पर अदालती फैसलों के जरिए लागू किया जा सकता है. अगर इसे लागू किया गया तो किसी भी व्यक्ति के सभी दस्तावेज सार्वजनिक डेटाबेस से हटा दिए जाएंगे.
मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका
सुप्रीम कोर्ट में CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सुनवाई की. इस याचिका में एक कानूनी डेटाबेस वेबसाइट (इंडियन कानून) ने हाई कोर्ट के 3 मार्च को दिए गए एक फैसले को चुनौती दी थी. दरअसल मद्रास हाई कोर्ट ने इंडियन कानून को पोर्टल से उस फैसले को हटाने के निर्देश दिए थे जिसमें एक यौन उत्पीड़न केस में बरी किए गए व्यक्ति की पहचान उजागर की गई थी.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई करते हुए माना कि बाल यौन शोषण जैसे संवेदनशील मामलों में नामों को हटाना उचित हो सकता है, लेकिन पूरे फैसले को हटाना दायरे से बाहर का मसला है.
याचिकाकर्ता ने फैसले पर जताई चिंता
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के फैसले को लेकर चिंता जताई और सवाल उठाया कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध फैसले को कैसे हटाया जा सकता है. याचिकाकर्ता की दलील थी कि जब एक बार कोई फैसला दे दिया जाता है, तो यह सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा बन जाता है. यह मानते हुए कि आप बरी हो गए हैं, हाई कोर्ट उस फैसले को हटाने करने का निर्देश कैसे दे सकता है? याचिकाकर्ता के वकील अपार गुप्ता ने कहा कि भूल जाने के अधिकार के मुद्दे पर हाई कोर्ट के फैसले एक दूसरे से टकराते हैं, केरल और गुजरात हाई कोर्ट का मानना है कि भूल जाने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन मद्रास हाई कोर्ट का आदेश इसके विपरीत है.
SC ने माना-कानूनी तरीके से निपटारा जरूरी
वकील अपार गुप्ता ने तर्क दिया कि अलग-अलग हाई कोर्ट के विरोधाभासी फैसलों से कानून को लेकर एक बड़ा सवाल उभर रहा है. CJI ने इस दलील को स्वीकर करते हुए माना है कि इसे लेकर कानूनी स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत है. CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए नोटिस भी जारी किया है. SC ने माना है कि हमें इसका कानूनी तरीके से निपटारा करना होगा.
क्या है भूल जाने का अधिकार?
भूल जाने का अधिकार किसी व्यक्ति के बारे में निजी जानकारी को कुछ खास परिस्थितियों में इंटरनेट और दूसरे डाटाबेस से हटाने का अधिकार है. अर्जेंटीना, यूरोपीय संघ और फिलीपींस सहित कई न्यायालयों में इसे लागू किया गया है. इसके तहत किसी व्यक्ति की फोटो, वीडियो और व्यक्तिगत जानकारी को नियंत्रित किया जा सकता है.