क्या है मिशन मौसम? जिसे सरकार ने दी मंजूरी, जानिए क्यों है इसकी जरूरत

जलवायु संकट के कारण मौसम का मिजाज बदला है. इसमें अनिश्चितता बढ़ी है. कहीं भारी बारिश हो रही है और बाढ़ आ रही है. तो कहीं सूखा का सामना करना पड़ रहा है. बादल फटने की घटनाएं भी बढ़ी हैं. इसको देखते हुए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. ताकि मौसम की समय पर सटीक जानकारी मिल सके. इसके लिए एआई और मशीन लर्निंग की मदद से मौसम की हर जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी. इस कड़ी में मिशन मौसम जैसा बड़ा कदम गया उठाया है. इसके लिए 2 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है.
इससे कृत्रिम बादल विकसित करने के लिए लैब बनाना और रडार की संख्या में 150 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी करने के साथ ही नए उपग्रह, सुपर कंप्यूटर और बहुत कुछ नई चीजें जोड़ना शामिल होगा.
क्यों है इसकी जरूरत?

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का कहना है कि मौसम का पूर्वानुमान चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. इसकी वजह है वायुमंडल की प्रक्रियाओं की जटिलता और और मॉडल रेजोल्यूशन की सीमाएं. इस वजह से उष्णकटिबंधीय मौसम का पूर्वानुमान लगाना इतना आसान नहीं होता है.
ऑब्जर्वेशन डेटा भी पर्याप्त नहीं हैं. एनडब्ल्यूपी (Numerical Weather Prediction) मॉडल का रेजोल्यूशन की वजह से छोटे पैमाने की मौसम घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाना आसान नहीं होता है. ये मॉडल अभी 12 किलोमीटर तक फैला है.
इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन की वजह से वातावरण और अधिक अव्यवस्थित होता जा रहा है. इस वजह से कहीं सूखा तो कहीं भारी बारिश हो रही है. बादल फटना, बिजली गिरना, आंधी और तूफान देश में सबसे कम समझी जाने वाली मौसमी घटनाओं में से हैं.
मंत्रालय के मुताबिक, इस स्थिति से निपटने के लिए बादलों के भीतर और बाहर, सतह पर, ऊपरी वायुमंडल में, महासागरों के ऊपर और ध्रुवीय क्षेत्रों में होने वाली मौसम से जुड़ी हर गतिविधि पर शोध की जरूरत है.
इसके लिए हाई फ्रीक्वेंसी ऑब्जर्वेशन वाली टेक्नोलॉजी की जरूरत है. इसके अलावा छोटे स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए एनडब्ल्यूपी मॉडल के क्षैतिज रेजोल्यूशन को 12 किलोमीटर से बढ़ाकर छह किलोमीटर करना होगा.

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अगले पांच साल में क्या होगा?
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव का कहना है कि दो चरणों में यह पांच वर्षीय मिशन लागू किया जाएगा. पहला चरण मार्च 2026 तक जारी रहेगा. इसमें ऑब्जर्वेशन नेटवर्क के विस्तार पर फोकस किया जाएगा. इसमें करीब 70 डॉपलर रडार, अच्छे कंप्यूटर और 10 विंड प्रोफाइलर और 10 रेडियोमीटर लगाए जाएंगे. दूसरे चरण में ऑब्जर्वेशन क्षमताओं को और बढ़ाने जाएगा. इसके लिए उपग्रहों और विमानों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
मिशन मौसम का उद्देश्य लघु से मध्यम अवधि के मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार लाना है, जिसका फिलहाल लक्ष्य पांच से 10 प्रतिशत है. इसके साथ ही सभी प्रमुख महानगरों में वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमान में 10 प्रतिशत तक सुधार करना है.

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