क्या होता है ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ जिसे लेकर संयुक्त अरब अमीरात के हेल्थ एक्सपर्ट्स की बढ़ी हुई है टेंशन
अगर आप सोशल मीडिया और तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाइए. सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल आपकी सेहत के साथ-साथ आपके दिमाग पर भी असर डाल रहा है. दरअसल हम बात कर रहे हैं ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ नामक बीमारी की. जो तकनीक और सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल के चलते तेज़ी से पनप रहा है. UAE में विशेषज्ञ इसे लेकर काफी चिंता व्यक्त कर रहे हैं.
‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ क्या है और इसके लक्षण जानें
‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ एक नई तरह की समस्या है, जो लगातार फोन का इस्तेमाल करने वाले लोगों में पनप रही है. दरअसल इसकी वजह से लोगों को लगातार फोन स्क्रॉल करने और मल्टीटास्किंग करने की आदत हो जाती है. कुछ वक्त के बाद उनका दिमाग कुछ इस तरह काम करने लगता है कि वे किसी एक चीज या टास्क पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाते हैं और अटेंशन स्पैन कम होने लगता है. इसकी वजह से दिमाग में अलग-अलग तरह के विचार एक के बाद एक पॉपकॉर्न की तरह उछलने लगते हैं. इससे हमारी क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी पर भी बुरा असर होता है.
बात करें इसके लक्षण की तो ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ की वजह से आपका ध्यान किसी एक काम पर नहीं होता है, लोगों को किसी काम में ध्यान केंद्रित करने में भी मुश्किल होती है. इस स्थिति में जब लगातार दिमाग कई तरह के विचारों में उलझा रहता है तो जरूरी कामों को पूरा कर पाना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में लगातार आ रहे तरह-तरह के विचारों और काम पूरा ना हो पाने की वजह से तनाव भी रहता है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
खलीज टाइम्स से बात करते हुए दुबई के अल नहदा में NMC स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मनोचिकित्सक डॉ. बरजिस सुल्ताना कहती हैं कि वर्तमान में लोगों में ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ की स्थिति में वृद्धि हो रही है, ये टर्म बिखरे हुए ध्यान की शैली के लिए एक बोलचाल का शब्द है. इसकी वजह से लोगों के दिमाग में कई तरह के विचार और काम ठीक उसी तरह से छलांग लगाने लगते हैं जैसे पॉपकॉर्न के दाने. डॉ. सुल्ताना ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह समस्या अटेंशन डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (ADHD) से जुड़ी हो सकती है क्योंकि इन दोनों ही स्थितियों में लोगों को ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आती है, लेकिन ये दोनों स्थितियां अलग-अलग हैं. ADHD यानी अटेंशन डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर के लक्षण बचपन से ही दिखने लगते हैं, जबकि ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ की समस्या मॉडर्न लाइफस्टाइल और सूचनाओं के ओवरलोड की वजह से उभर रही है.
‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ से कैसे करें बचाव?
शारजाह के एस्टर अस्पताल में न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. राजेश चौधरी ने खलीज टाइम्स को बताया है कि पॉपकॉर्न ब्रेन के पीछे सबसे बड़ा कारण है स्मार्टफ़ोन, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और अन्य डिजिटल डिवाइस का लगातार इस्तेमाल, जो लगातार कई तरह की सूचनाएं प्रदान करता है. डॉ. चौधरी ने कहा कि तेज़-तर्रार जीवनशैली और लगातार जुड़े रहने का दबाव इस समस्या को बढ़ा सकता है. वहीं इससे बचाव के बारे में डॉ. चौधरी का कहना है कि काम में ज्यादा से ज्यादा फोकस करने के लिए समय प्रबंधन तकनीक अपनाएं, जैसे कि पोमोडोरो विधि. ये फोकस और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में भी प्रभावी हो सकती है.
डॉ. सुल्ताना का कहना है कि फोकस बढ़ाने के लिए दिमाग को विचलित होने से बचाएं और वर्तमान में मौजूद रहने के लिए प्रशिक्षित करने की कोशिश करें. तकनीक प्रबंधन, जैसे स्क्रीन टाइम को सीमित करना, ध्यान भटकाने वाले ऐप्स का उपयोग ना करना और कुछ देर के लिए बना किसी तकनीक के वक्त गुज़ारना, इससे दिमाग को फोकस करने के लिए ट्रेन किया जा सकता है.
मेडिटेशन और डिजिटल डिटॉक्स है मददगार
अगर आप किसी चीज पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं तो ऐसे में आप कुछ वक्त के लिए मेडिटेशन जरूर करें. मेडिटेशन आपके दिमाग को शांत रखता है और अधिक फोकस होने में मदद करता है. साथ ही आप मल्टीटास्किंग से भी बचें और एक बार में केवल एक ही काम पर फोकस करने की आदत डालें. इसके अलावा खुद को हर दिन कुछ वक्त के लिए डिजिटली डिटॉक्स करने की आदत डालें यानी कुछ समय के लिए डिजिटल डिवाइस या डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल ना करें. जिन लोगों को फोन या टैब का इस्तेमाल करने की आदत है वह इसकी जगह अखबार पढ़ने की आदत भी डाल सकते हैं, जिससे ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ से बचा जा सकता है.