क्या होता है लिवर का एसजीपीटी टेस्ट, कितनी है नॉर्मल रेंज और किस समस्या का चलता है पता
SGPT Test benefits : बीते कुछ सालों से लिवर की बीमारियां काफी बढ़ रही हैं. फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस और लिवर फेल के केस काफी बढ़ रहे हैं. लिवर के साथ-साथ ही आजकस हार्ट डिजीज भी बढ़ रही हैं. इन बीमारियों से बचाव के लिए सबसे जरूरी यह है कि समय पर इनका पता चल जाए. बीमारी की समय पर पहचान के लिए टेस्ट बहुत जरूरी है. ऐसा ही एक टेस्ट एसजीपीटी टेस्ट है. यह एक ऐसी जांच है जिसके जरिए लिवर के साथ -साथ हार्ट की बीमारी का भी पता चल जाता है.
एसजीपीटी को सीरम ग्लूटामिक पाइरुविक ट्रांसएमिनेस कहा जाता है. यह एक तरह का लिवर एंजाइम है जो लिवर में होता है. एसजीपीटी का शरीर में क्या लेवल है. इससे लिवर की सेहत का पता चलता है. एसजीपीटी टेस्ट में शरीर से ब्लड सैंपल लिया जाता है. इस सैंपल से जांच की जाती है कि शरीर में एसजीपीटी का लेवल कितना है. अगर एसजीपीटी की रेंज 7 से 55 के बीच होनी चाहिए. अगर ये इससे कम या ज्यादा है तो इसका मतलब है कि लिवर डैमेज हो रहा है.
क्यों बढ़ता है शरीर में एसजीपीटी का लेवल?
एम्स में गैस्ट्रो विभाग में डॉ अनन्य गुप्ता बताते हैं कि खानपान की गलत आदत, मोटापा, शराब का अधिक सेवन और बिगड़े हुए लाइफस्टाइल के कारण शरीर में एसजीपीटी का लेवल बढ़ सकता है. इसके अलावा पित्त की थैली की सूजन और हेपेटाइटिस संक्रमण के कारण भी एसजीपीटी बढ़ा हो सकता है. जिन लोगों में हेपेटाइटिस के लक्षण दिखते हैं डॉक्टर उनका एसजीपीटी टेस्ट भी करते हैं. अगर टेस्ट में एसजीपीटी का लेवल 55 से अधिक है तो इसका मतलब है कि लिवर की सेहत ठीक नहीं है.
हार्ट हेल्थ का भी चल जाता है पता
एसजीपीटी टेस्ट के जरिए आपके दिल की सेहत का भी पता चल जाता है. अगर एसजपीटी 55 से ज्यादा है तो यह संकेत है कि अगले पांच से सात सालों में हार्ट की सेहत बिगड़ सकती है. ऐसे में आपको एसजीपीटी के लेवल को कंट्रोल करने की जरूरत है.
कैसे करें कंट्रोल
खानपान का ध्यान रखें
रोजाना एक्सरसाइज करें
वजन को कंट्रोल में रखें
फास्ट फूड का सेवन न करें
मैदा न खाएं