क्या होती हैं बुजुर्गों को होने वाली बीमारियां, क्यों बनाया जाता है अस्पतालों में जेरियाट्रिक विभाग

भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था. AIIMS से उनको छुट्टी दे दी गई थी. आडवाणी को बढ़ती उम्र में होने वाली बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एम्स के जेरियाट्रिक विभाग में उनका इलाज चल रहा था. इस विभाग में बुजुर्गों का इलाज किया जाता है. देश के कई बड़े अस्पतालों में इस तरह का विभाग होता है. इनमें एक ही छत के नीचे बुजुर्गों को सभी बीमारियों का इलाज मिल जाता है.
आज के समय में बुजुर्गों में कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं. . 60 की उम्र पार करने के बाद शरीर के अंगों के काम करने का तरीका पहले जैसा नहीं रहता है. इससे बॉडी के फंक्शन पर असर पड़ता है और शरीर कमजोर होने लगता है.
बुढ़ापे की ऐसी कई बीमारियां हैं जो बुजुर्गों को अपना शिकार बना लेती हैं . अधिकतर बुजुर्गों में यह बीमारियां देखने को मिल सकती हैं. हालांकि अगर समय पर इनके लक्षणों की पहचान करके इलाज कर लें तो इनको कंट्रोल किया जा सकता है.आइए डॉक्टरों से जानते हैं बुजुर्गों में किन बीमारियों का खतरा रहता है और इनसे बचाव कैसे किया जा सकता है.
बढ़ती उम्र में क्यों होती हैं बीमारियां
डॉक्टर बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है. ऐसे में बैक्टीरिया और वायरस शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं. उम्र बढ़ने के साथ साथ बीमारियों से ग्रस्त होने का रिस्क भी ज्यादा रहता है. कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो अधिकतर बुजुर्गों में देखी जाती हैं.
हार्ट डिजीज
दुनियाभर में कैंसर के बाद सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारियों के कारण होती हैं. हार्ट की बीमारियों में सबसे कॉमन कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, जिसमें हार्ट को ब्लड की आपूर्ति करने वाली मुख्य आर्टरी में संकुचन या रुकावट आ जाती है. यह रुकावटें समय के साथ तेज़ी से विकसित हो सकती हैं. इसके कारण हार्ट अटैक आ जाता है. हालांकि अब कम उम्र में भी यह समस्या देखने को मिलती है, लेकिन आज भी बुजुर्गों में हार्ट डिजीज के केस ज्यादा आते हैं.
स्ट्रोक
दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ अजय कुमार बताते हैं कि स्ट्रोक की बीमारी बुजुर्गों में काफी कॉमन है. स्ट्रोक तब होता है जब ब्रेन में खून की नसों में रुकावट आ जाती है. यह बहुत गंभीर है क्योंकि ऑक्सीजन से वंचित मस्तिष्क कोशिकाएं बहुत जल्दी मरने लगती हैं. जो मौत का कारण भी बन सकती है. स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं. सबसे आम को इस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है और यह ब्रेन में ब्लड सप्लाई सही तरीके से न होने के कारण होता है.
पार्किंसंस रोग
पार्किंसंस रोग के सभी तीन-चौथाई मामले 60 वर्ष की आयु के बाद शुरू होते हैं. महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसंस विकसित होने की संभावना अधिक होती हैय. शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि यह बीमारी जेनेटिक और पर्यावरणीय कारणों की वजह से होती है. इस बीमारी के कारण बुजुर्गों में संतुलन की कमी, किसी काम को ठीक से न करना पाना और हाथ कांपने जैसी समस्या होने लगती है.
डिमेंशिया
डिमेंशिया को आम भाषा में याददाश्त की कमजोरी वाली बीमारी कहा जाता है. यह डिजीज 60 साल की उम्र के बाद ज्यादा होती है. इस बीमारी के कारण बुजुर्गों में चीजों को याद करने की शक्ति और क्षमता कम होने लगती है. इस वजह से कई बार वह रोजमर्रा की चीजों को भी याद नहीं रख पाते हैं.
मोतियाबिंद
मोतियाबिंद आंख के लेंस में बढ़ता हुआ धुंधलापन है, जो उम्र, पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने, धूम्रपान और डायबिटीज के कारण हो सकता है. यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों में से आधे लोगों को किसी न किसी प्रकार का मोतियाबिंद है या उन्होंने मोतियाबिंद की सर्जरी करवाई है. प्रारंभ में, आपको मोतियाबिंद नज़र नहीं आएगा, लेकिन समय के साथ दृष्टि धुंधली और बहुत कम हो सकती है. ऐसे में इस बीमारी के लक्षणों को ध्यान में रखने की जरूरत है.
कैसे करें कंट्रोल
जीटीबी हॉस्पिटल में डॉ. अंकित कुमार बताते हैं कि बढ़ती उम्र में बीमारियों होती हैं. इनकी रोकथाम की जा सकती है. इसके लिए जरूरी है कि इन बीमारियों के लक्षण दिखते ही इलाज कराएं. इनको पूरी तरह से ठीक तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन दवाओं और उचित काउंसलिंग के साथ बीमारियां को कंट्रोल कर बुढ़ापे में अच्छा जीवन व्यतीत किया जा सकता है.

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