क्या EV को पछाड़ देंगी Hybrid Cars? मार्केट में ऐसे मचा रही हैं तहलका

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल में हाइब्रिड कारों की रजिस्ट्रेशन फीस पर 100% की छूट दे दी. इसके बाद से एक नई बहस छिड़ गई है कि क्या हाइब्रिड कारें आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को सेल्स के मामले में पीछे छोड़ देंगी या भारत के लिए ईवी से बेहतर हाइब्रिड कारें हैं. क्या है पूरा मामला?
हाइब्रिड कारों की खासियत ये है कि इनके लिए वैसा कोई नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत नहीं है, जैसा कि देश में इलेक्ट्रिक कारों के लिए चार्जिंग स्टेशन के रूप में चाहिए. वहीं ये सामान्य कार की तुलना में बेहतर रेंज भी देती हैं, तो ये इलेक्ट्रिक कारों के साथ जुड़ी रेंज एंजाइटी को भी दूर करती हैं.
मार्केट में मौजूद हैं ये हाइब्रिड कारें
भारत में अभी मुख्य तौर पर मारुति सुजुकी और टोयोटा मोटर्स की ही हाइब्रिड कारें हैं. ये कारें दरअसल आपस में एक दूसरे का ही क्रॉसिंग वर्जन हैं. जबकि इन दोनों के अलावा सिर्फ होंडा मोटर्स ही ऐसी कंपनी है जिसकी अपनी एक हाइब्रिड सेडान Honda City eHEV मार्केट में मौजूद है. गौर करने वाली बात ये है कि इन सभी कंपनियों का कनेक्शन जापान से है, यानी जापान ने हाइब्रिड कारों पर बड़ा दांव लगाया हुआ है.
कैसे काम करती हैं हाइब्रिड कारें?
हाइब्रिड कारों में जोट टेक्नोलॉजी इस्तेमाल होती है. उसमें किसी कार के इंजन के साथ एक बैटरी भी जुड़ी होती है. यही दो मोड पर चलने की इनकी खासियत लोगों को एक्स्ट्रा रेंज देने का काम करती है. हाइब्रिड कार में लगी इलेक्ट्रिक मोटर की बैटरी पेट्रोल से चार्ज नहीं होती, बल्कि रीजेनरेटिव एनर्जी के सिद्धांत पर काम करती है. इसलिए अभी मार्केट में जो मौजूदा कारें उनमें ही मामूली बदलाव के साथ कारों को हाइब्रिड बनाया जा सकता है.
हाइब्रिड कार में पहियों के पास रीजेनरेटिव ब्रेक्स लगाए जाते हैं. जैसे ही आप ब्रेक लगाते हैं तो जो काइनेटिक एनर्जी जेनरेट होती है, उसे इलेक्ट्रिसिटी डायनमो की मदद से बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है. जब आप कार चलाते हैं तो एक निश्चित स्पीड पर पहुंचने के बाद इंजन में पेट्रोल की सप्लाई बंद हो जाती है और इलेक्ट्रिक मोटर पर आपकी कार चलने लगती है. इससे आपका पेट्रोल बचता है और आपको बढ़िया माइलेज मिलता है.
क्या ईवी को पछाड़ देंगी हाइब्रिड कारें?
हाइब्रिड कारों के लिए बैटरी चार्जिंग या बैटरी स्वैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है. वहीं अभी यूपी सरकार के फैसले की तरह अन्य राज्य सरकारें भी ऐसा निर्णय करें तो इस सेगमेंट को एक नया बूस्ट मिल सकता है. वहीं अगर मार्केट के ट्रेंड को देखें तो देश में एसयूवी के साथ-साथ हाइब्रिड कारों की सेल भी बढ़ी है.
जैटो डायनामिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सेल में 38 प्रतिशत की ग्रोथ की संभावना है. ये अप्रैल-जून तिमाही में 22,389 यूनिट रह सकती है, जो ओवरऑल कार सेल्स का करीब 2.1 प्रतिशत होगा. वहीं ईवी की सेल्स में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है.

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