क्या UP में पक रही सियासी खिचड़ी? केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी के दिल्ली पहुंचने के राजनीतिक मायने

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही यूपी बीजेपी में घमासान मचा है. प्रदेश सरकार और संगठन के बीच जबरदस्त तनातनी चल रही है. ऐसे माहौल में रविवार को पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई. उम्मीद थी कि इस बैठक के बाद ऑल इज वेल का संदेश जाएगा. पर ऐसा नहीं हो सका. बैठक के बाद पार्टी का कार्यकर्ता और कंफ्यूज हो गया है.
ऐसा लग रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य में तलवार फिर खींच गई है. वैसे ये तनातनी नई नहीं है. लेकिन अब खुल कर दोनों नेता इशारों ही इशारों में एक दूसरे के खिलाफ बैटिंग कर रहे है. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सीएम योगी ने कहा अति आत्मविश्वास के कारण लोकसभा चुनाव में अच्छे रिजल्ट नहीं आए. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से ही केशव मौर्य कैबिनेट की बैठक में नहीं जा रहे हैं. लखनऊ में रहने के बाद भी एक बार वे मीटिंग में नहीं गए थे. पौधारोपण कार्यक्रम को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने जो बैठक बुलाई, केशव मौर्य उसमें भी गैर हाजिर रहे.
संगठन में मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
यूपी बीजेपी में मचे घमासान के बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली पहुंचे है. आज शाम उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हो रही है. उनके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने वाले हैं. ऐसा समझा जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य ने इतनी लंबी लकीर खींच दी है कि अब योगी के साथ कैबिनेट में रहना बहुत मुश्किल है. सूत्र बताते हैं कि उन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है. ऐसे में उन्हें यूपी बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है. वे पहले भी साल 2017 में यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं.
लोकसभा चुनाव में दलित वोटरों ने छोड़ा साथ
इस बार के लोकसभा चुनाव में पिछड़े और दलित वोटरों के बड़े तबके ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया. ये वोट बैंक इस बार इंडिया गठबंधन में शिफ्ट कर गया. ऐसे में पार्टी में पिछड़े और दलितों समाज के नेताओं को बड़ी ज़िम्मेदारी दिए जाने के संकेत मिल रहे है. यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जाट बिरादरी से हैं. जाट वोटरों को अपना बनाने के लिए बीजेपी पहले ही आरएलडी के साथ गठबंधन कर चुकी है.

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