क्यों इकोनॉमी के लिए जरूरी है India-GCC Relation? ये है 3 कारण

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) गल्फ कॉपरेशन काउंसिल की बैठक में शामिल होने के लिए दो दिवसीय दौरे पर सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे हुए हैं. सऊदी अरब के प्रोटोकॉल मामलों के उपमंत्री अब्दुल मजीद अल स्मारी ने रियाद में जयशंकर का स्वागत किया.
विदेश मंत्रालय की जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, एस. जयशंकर रियाद की अपनी यात्रा के दौरान GCC के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. सऊदी अरब में लगभग 8.9 मिलियन भारतीय रहते हैं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि, “भारत और जीसीसी के बीच राजनीतिक, ऊर्जा सहयोग, व्यापारिक जैसे क्षेत्रों में गहरे और बहुआयामी संबंध हैं.”
क्या है गल्फ कॉपरेशन काउंसिल?
गल्फ कॉपरेशन काउंसिल छह खाड़ी देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन जीसीसी के सदस्य देश हैं. साल 1981 में स्थापित इस संगठन का मुख्यालय सऊदी अरब की राजधानी रियाद में है. संगठन का मुख्य उद्देश्य सभी क्षेत्रों में सदस्य देशों के बीच इंटीग्रेशन, कोऑर्डिनेशन और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही वैज्ञानिक और नए टेक्नालॉजी को शामिल कर एग्रीकल्चर सेक्टर में क्रांति लाना है.
जीसीसी क्षेत्रीय देशों की एकमुश्त सुरक्षा भी सुनिश्चित करना चाहता है जिसके लिए वह एकीकृत सैनिक दल बनाने का प्रयास कर रहा है. यह ज्वाइंट वेंचर के जरिये प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने और नए वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र की स्थापना करने का लक्ष्य रखता है.
भारत का जीसीसी देशों के साथ आर्थिक संबंध
GCC भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदार के तौर पर उभरा है. वित्त वर्ष 2022-23 में, भारत के कुल व्यापार का 15.8% साझेदारी जीसीसी देशों की थी. साल 2023-24 में भारत और GCC मेंबर्स के बीच का कुल व्यापार 161.59 बिलियन डॉलर का रहा जो वित्त वर्ष 2020-21 में 87.35 बिलियन डॉलर पर आकर थम गया था. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, जीसीसी देश और भारत के बीच का व्यापार साल दर साल बढ़ता रहा है.
GCC में शामिल देश यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार हैं. चौथे स्थान सऊदी अरब हासिल करता है. UAE ने भारत में 15.3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है जबकि सऊदी अरब ने 3.2 बिलियन डॉलर और कतर ने 1.5 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है. जीसीसी सदस्य देशों की कुल इकोनामी 1.638 ट्रिलियन से ज्यादा है
भारत के लिए क्यों जरूरी है GCC?
मुक्त व्यापार समझौता: साल 2022 में पहली बार भारत और जीसीसी के बीच मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) का प्रस्ताव पारित किया गया था लेकिन सदस्यों के बीच मतभेद के कारण यह नाव अभी भी मझधार में अटकी पड़ी है. अगर आने वाले वक्त में इस समझौते को सदस्य देश सहमति देते हैं तो यह द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा जाएगा.
एनर्जी कॉर्पोरेशन: ‘एनर्जी’ India-GCC के संबंधों की आधारशिला है. भारत के कच्चे तेल की मांग की आधी से अधिक आपूर्ति खाड़ी देश करते हैं. सऊदी अरब, यूएई और कतर भारत को बड़े पैमाने पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस मुहैया कराते हैं. हाल में हुए कतर और भारत के बीच 78 बिलियन डॉलर का करार दोनों देशों के भविष्य में भी मजबूत व्यापार के संकेत देता है. इस करार के मुताबिक कतर अगले 20 साल तक भारत को गैस निर्यात करेगा.
सिक्योरिटी कॉर्पोरेशन: हाल के वर्षों में, भारत-जीसीसी संबंध एनर्जी और व्यापार से आगे बढ़कर राजनीतिक और सुरक्षा आयामों को भी शामिल करने लगा हैं. सऊदी अरब, यूएई और कतर के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी लगातार मजबूत होती जा रही है. एक्सपर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खाड़ी देशों के नेताओं के बीच व्यक्तिगत संबंधों में बढ़ते विश्वास ने भी इस साझेदारी पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है.
बीते कुछ सालों में भारत ने यूएई, कतर, बहरीन और सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास शुरू हुए है. साथ ही यूएई भारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय रक्षा साझेदार बनकर उभरा है. ऐसे में GCC मेंबर्स क्षेत्रीय संतुलन बनाने और सुरक्षा के नजरिए से भी बेहद जरूरी हैं.

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