क्यों जवानी में ही कमजोर हो रहा दिल? कम उम्र में ही करानी पड़ रही है बाईपास सर्जरी
एक जमाना था जब दिल की बीमारियां बुजुर्गों को होती थी, लेकिन बीते एक दशक में कम उम्र के लोग भी हार्ट डिजीज का शिकार हो रहे हैं. 30 से 35 साल की उम्र में ही अब हार्ट की बाईपास सर्जरी करानी पड़ रही है. कई अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है की बीते एक दशक में 30 साल की उम्र वालों में बाईपास सर्जरी कराने वालों के आंकड़े में 30 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. इससे पहले तक 50 या 60 साल की उम्र के बाद यह सर्जरी की जाती थी. लेकिन अब 30 साल में ही इसकी जरूरत पड़ रही है. इससे पता चलता है कि अब जवानी में ही दिल कमजोर हो रहा है.
दिल की बीमारियों के कारण जब हार्ट की नसों में रुकावट आ जाती है तो मरीज की जान बचाने के लिए बाईपास सर्जरी की जाती है. हार्ट अटैक आने के बाद या फिर हार्ट अटैक के खतरे से बचाव के लिए बाईपास सर्जरी डॉक्टर करते हैं. हार्ट की नसों में रुकावट ब्लॉकेज की वजह से आती है. यह ब्लॉकेज कोलेस्ट्रॉल के कारण हो सकता है या फिर हार्ट की नसों में ब्लड क्लॉट यानी खून का थक्का बनने से भी नस ब्लॉक हो जाती है. ऐसे में बाईपास सर्जरी करनी पड़ती है.
कम उम्र में ही क्यों हो रही दिल की बीमारियां
राजीव गांधी अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ. अजीत कुमार बताते हैं कि खानपान की गलत आदतें, बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल और कोविड वायरस के असर के कारण कम उम्र में ही दिल की बीमारियां बढ़ रही है. बीते तीन सालों में 30 से 35 साल की उम्र वालों में हार्ट अटैक और हार्ट फेल के मामलों में काफी इजाफा हुआ है. कोविड महामारी के बाद से तो दिल की बीमारियां काफी बढ़ गई हैं. इसी वजह से ही कम उम्र में बाईपास सर्जरी करने की जरूरत पड़ रही है.
नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सीनियर डायरेक्टर और प्रोग्राम हेड कार्डियक साइंसेज, डॉ. हेमंत मदान बताते हैं कि हाल के वर्षों में 30 साल की उम्र के लोगों में हार्ट बाईपास सर्जरी के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है, जिसका प्रमुख कारण बदलती जीवनशैली, खान-पान की आदतें हैं. युवा आबादी में धूम्रपान, शराब का सेवन, और शारीरिक गतिविधियों की कमी है.
इसके अलावा, मानसिक तनाव और नींद की कमी भी हार्ट पर बुरा प्रभाव डाल रही है. नतीजा यह हो रहा है की हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अब देखा जा रहा है की 30 साल की उम्र में हार्ट अटैक आ रहे हैं और हार्ट की नसों में ब्लॉकेज भी हो रहा है. पहले ब्लॉकेज की समस्या 50 या 60 साल की उम्र के बाद देखी जाती थी.
दिल की बीमारियों को लेकर जागरूकता की कमी
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार बताते हैं कि भारत में हार्ट की बीमारियों को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है. छाती में दर्द होना या फिर, अचानक सांस फूलना जैसे लक्षणों पर लोग ध्यान नहीं देते हैं. कई मामलों में इसको गैस का दर्द समझ लिया जाता है. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए.
कम उम्र में हार्ट डिजीज बढ़ने का एक कारण हाई ब्लड प्रेशर भी है. जामा जर्नल की 2021 में हुई एक रिसर्च बताती हैं कि भारत में 4 में से एक व्यक्ति को ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या है. इसमें 30 फीसदी लोग कम उम्र वाले हैं.
कैसे करें दिल की बीमारियों से बचाव
शुगर लेवल कंट्रोल में रखें
खानपान का ध्यान रखें
मेंटल स्ट्रेस न लें
रोज एक्सरसाइज करें