खराब लाइफस्टाइल बना रहा है कम उम्र में लोगों को हाइपरटेंशन का शिकार, जाने कैसे करें बचाव

पहले ब्लड प्रेशर की शिकायत बढ़ती उम्र के साथ होती थी. लेकिन आज के वक्त में लोगों के गलत खान-पान की आदल और अनहेल्दी लाइफस्टाइल कम उम्र में ही लोगों को इसका शिकार बना रहा है. आज के दौर में बहुत तेजी से युवा पीढ़ी हाइपरटेंशन की चपेट में आ रही है. इसके पीछे एक्सपर्ट्स कई वजहें बताते हैं जिनमें मानसिक तनाव, पर्यावरणीय कारण और मॉडर्न लाइफस्टाइल काफी हद तक जिम्मेदार है. आज ये बीमारी काफी ज्यादा आम होती जा रही है जिसे वक्त रहते कंट्रोल नहीं किया गया तो आगे चलकर हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कई अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती है. यही वजह है कि इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस के रूप में मनाया जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
फेलिक्स अस्पताल के डॉक्टर राहुल अरोड़ा बताते हैं कि बढ़ते हाइपरटेंशन के मामलों के पीछे कई वजहें हैं लेकिन मानसिक तनाव इसकी सबसे बड़ी वजह है यही कारण है कि आज डिप्रेशन के मरीजों मेे हाइपरटेंशन की समस्या सबसे अधिक देखी जा रही है. खासकर 30 से 50 साल के बीच के मरीज अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के शिकार हैं और आज की तारीख में शहर ही नहीं अब गांवों में ये समस्या ज्यादा देखी जा रही है.
डॉक्टर सिद्धार्थ सम्राट कहते हैं कि आज की तारीख में भी जागरूकता की कमी की वजह से लोग इस बीमारी की गिरफ्त में तेजी से आ रहे हैं. लोग इसकी वजह से सिर दर्द, लगातार चक्कर और बेचैनी से परेशान हैं. जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में परेशानी और उल्टी की शिकायत देखी जाती है. ऐसा किसी भी प्रकार का लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण हो सकते हैं.
हाई ब्लडप्रेशर के चरण
प्री-हाइपरटेंशन इसमें ब्लड प्रेशर 120/80-139/89 के बीच होता है.
माइल्ड हाइपरटेंशन ब्लड प्रेशर 140/90-159/99 की रेंज में होता है.
हाई बीपी :160/110-179/109 होती है.
बहुत ज्यादा बीपी : 180/110 या फिर उससे भी अधिक हो सकता है.
हाई बीपी के लक्षणः
● सिरदर्द
● सांस फूलना
● थकान या भ्रम की स्थिति होना
● छाती में दर्द
● पसीने आना
● घबराहट होना
● धुंधला नजर आना
● उल्टियां आना
हाई बीपी होने के कारणः
● अधिक तनाव और लंबे समय तक बेचैनी
● ठीक से नींद न लेना, धूम्रपान और शराब का सेवन
● मोटे लोगों में मधुमेह होने की संभावना ज्यादा होती है
● सफेद नमक, अधिक चटपटा, तैलीय खाना
● व्यायाम नहीं करना, देर से सोना, कम्प्यूटर पर देर तक टिके रहना
ऐसे करें बचाव:
● धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें.
● हरी-सब्जियों और फलों का सेवन करें.
● छह माह में एक बार बीपी जरूर चेक कराएं.
● कम फैट वाले डेयरी उत्पाद डाइट में शामिल करें.
● रोजाना करीब एक घंटे तक व्यायाम करें.
● रोजाना नमक की मात्रा 5 ग्राम से कम रखें.
● शरीर को सक्रिय रखें और वजन घटाएं.
● मॉर्निंग वॉक या रनिंग की आदत डालें.
● फैमिली के साथ अच्छा समय बिताएं.

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