गर्मियों में आपको भी तो नहीं आ रहा ज्यादा पसीना? ये इस बीमारी का हो सकता है लक्षण
तेज गर्मी के बीच मौसम में थोड़ा बदलाव हुआ है, लेकिन इससे उमस बढ़ गई है. इससे लोगों को पसीना भी बहुत आ रहा है, लेकिन अगर आपको जरूरत से ज्यादा पसीना आता है और बिना कोई फिजिकल वर्क किए बिना भी अधिक पसीना आता रहता है, तो इसको हल्के में न लें. यह शरीर में हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी का संकेत हो सकता है. इस बीमारी के कारण बॉडी में पानी की कमी हो जाती है. जो जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसे में इसके लक्षण, कारण और बचाव के बारे में जानकारी होना जरूरी है.
डॉक्टर बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति के शरीर के पसीने के ग्लैंड ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं तो हाइपरहाइड्रोसिस की समस्या हो सकती है. इसकी वजह से बहुत ज्यादा पसीना आता है. अगर लगातार यह समस्या बनी रहती है तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है. यह डिहाइड्रेशन उल्टी-दस्त से लेकर ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक तक का कारण बन सकता है. ऐसे में ज्यादा पसीना आने की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
हाइपरहाइड्रोसिस क्यों है खतरनाक
आरएमएल हॉस्पिटल में त्वचा विज्ञान विभाग के पूर्व डॉ. भावुक धीर बताते हैं कि पसीना आना एक नॉर्मल चीज है. यह शरीर के कूलिंग सिस्टम के लिए काफी जरूरी है. शरीर के तापमान को कंट्रोल करने के लिए पसीना निकलता है. लेकिन अगर आपको ज्यादा पसीना आ रहा है तो यह खराब सेहत का संकेत है. ज्यादा पसीना हाइपरहाइड्रोसिस का लक्षण होता है. इस बीमारी में इंसान को आराम करते समय भी पसीना आ सकता है. ये पसीना चेहरे, माथे और हाथ की हथेलियों में ज्यादा आता है.
अगर आपको अपने शरीर में इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादा पसीना आने से डिहाइड्रेशन होता है. इससे शरीर में सोडियम की कमी हो जाती है. जिसका असर हार्ट, ब्रेन या किडनी जैसे अंग पर पड़ सकता है. कई मामलों में देखा भी जाता है कि डिहाइड्रेशन के कारण लोगों की सेहत काफी बिगड़ जाती है. चूंकि इस समय गर्मी काफी पड़ रही है तो ज्यादा पसीना आना ठीक नहीं है.
क्यों होता है हाइपरहाइड्रोसिस
दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ अजय कुमार बताते हैं कि पसीने वाले ग्लैंड के ओवरएक्टिव होने से ऐसा होता है. इसके कई कारण हो सकता है. डायबिटीज,. मोटापा, थाइराइड और किसी वायरल संक्रमण की वजह से ऐसा होता है. इन बीमारियों से पीड़ित लोगों में हाइपरहाइड्रोसिस का रिस्क ज्यादा रहता है. हालांकि अगर समय पर बीमारी की पहचान हो जाती है, तो इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है. दवाएं, थर्मलिसिस और बोटॉक्स इंजेक्शन जैसी तकनीक से भी इस बीमारी का इलाज किया जाता है.
बचाव कैसे करें
ज्यादा पसीना आता है तो डॉक्टर से मिलें
गर्मी से बचें
दिन में 5 से 6 लीटर पानी पीएं
धूप में न जाएं.