गाज़ा के बाद क्या लेबनान में जमीनी आक्रमण करने जा रहा इजराइल? पुराने पैटर्न से समझिए प्लान

सोमवार को इजराइल ने हिजबुल्लाह के कई ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की, इन हमलों में 492 लोगों की मौत हो गई वहीं 1600 से ज्यादा लोग घायल हैं. इससे पहले पिछले हफ्ते हुए पेजर और वॉकी-टॉकी धमाकों में करीब 37 लोगों की जान चली गई थी और हजारों लोग घायल हो गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लेबनान में हुए इन धमाकों के पीछे भी इजराइल का ही हाथ है.
वहीं इजराइल की ओर से लगातार बयान दिया जा रहा है कि ये लड़ाई लेबनान के आम लोगों के खिलाफ नहीं बल्कि हिजबुल्लाह के खिलाफ है. इजराइल बार-बार जोर देकर कह रहा है कि अगर हिजबुल्लाह अब भी नहीं समझा है तो उसे आगे और ताकत से समझाया जाएगा. इजराइली अधिकारियों के बयानों और सोमवार को हुई एयरस्ट्राइक से सवाल उठ रहे हैं कि क्या इजराइल अब लेबनान में भी जमीनी आक्रमण करने जा रहा है? हालांकि कल इजराइली सेना के प्रवक्ता डेनियल हगारी से जब इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने साफ तौर पर कोई बयान नहीं दिया. लेकिन इजराइल की ताजा कार्रवाई का पैटर्न देखें तो ये गाजा में किए गए ‘ग्राउंड इनवेज़न’ (जमीनी आक्रमण) से मिलता-जुलता है.
एक साल पहले गाजा में क्या हुआ था ?
करीब एक साल पहले 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने इजराइल की सीमा में घुसकर बड़े हमले को अंजाम दिया था. इस हमले में करीब 1200 इजराइलियों की मौत का दावा किया जाता है. हमास के इस हमले के बाद 8 अक्टूबर को इजराइल ने हमास के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की शुरुआत की. करीब 5 दिनों तक ग़ाज़ा में हमास के ठिकानों पर बम बरसाने के बाद इजराइली सेना ने जमीनी आक्रमण की शुरुआत की. 13 अक्टूबर को इजराइल के सैकड़ों टैंक ग़ाज़ा की सीमा पर डटे रहे और धीरे-धीरे कर आगे बढ़ते गए.
जंग के शुरुआती दिनों में इजराइल ने पहले हमास के अहम ठिकानों को तबाह कर उसकी युद्ध लड़ने की क्षमताओं को कम किया. इजराइल की ओर से दावा किया जाता है कि हमास रिहाइशी इलाकों, अस्पतालों और धार्मिक स्थलों के आस-पास अपने कमांड सेंटर बनाकर रखता है जिससे उन्हें तबाह करना आसान नहीं होता. लिहाज़ा गाज़ा में हमलों से पहले इसराइली इंटेलिजेंस की ओर से गाजा के लोगों को प्री रिकॉर्डेड संदेश भेजा जाता था, ये संदेश अरबी भाषा में होते थे. आम लोगों से उन इलाकों को खाली करने की अपील की जाती थी जहां हमास ने अपने रणनीतिक ठिकाने बनाए हुए थे.
अब लेबनान में क्या हो रहा है?
कल लेबनान में हुए हमले से पहले भी इसराइल ने ठीक यही तरीका अपनाया है. सोमवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में इजराइल डिफेंस फोर्स के प्रवक्ता अविचे अदराई लोगों से घरों को खाली करने को कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि हिजबुल्लाह इन घरों और इमारतों का इस्तेमाल अपने हथियार छिपाने के लिए करता है. अदराई का संदेश अरबी भाषा में था.
इसके अलावा लेबनान की स्थानीय मीडिया ने बताया है कि सोमवार को बेरूत समेत कई इलाकों के लोगों के लैंडलाइन कॉल संदेश के जरिए चेतावनी दी गई थी. इसमें हवाई हमले से बचने के लिए इमारतों को खाली करने को कहा गया था. इसके कुछ ही घंटों बाद इजराइली सेना ने लेबनान के दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी इलाकों में हवाई हमले कर हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया है.
इससे पहले पिछले हफ्ते 17 और 18 सितंबर को लेबनान में हजारों पेजर्स और वॉकी-टॉकी में धमाके हुए, माना जा रहा है कि इन धमाकों के जरिए इजराइल ने हिजबुल्लाह के पूरे संचार तंत्र को निशाना बनाया है. अब इस पूरे घटनाक्रम पर गौर करें तो ये सारी कार्रवाई हिजबुल्लाह को कमजोर करने की दिखाई पड़ती है. लेबनान बॉर्डर पर हजारों इजराइली सैनिकों की तैनाती पहले ही कर दी गई है, यही वजह है कि अब लेबनान में इजराइल के जमीनी आक्रमण की आशंका बढ़ती जा रही है.
क्या आसान होगा लेबनान में जमीनी आक्रमण?
भले ही लेबनान में इजराइली कार्रवाई का पैटर्न गाजा में हमास के खिलाफ की गई कार्रवाई से मिलता-जुलता है लेकिन लेबनान में जमीनी आक्रमण करना इतना आसान नहीं होगा. इसकी 2 बड़ी वजह हैं, पहली- फ्रांस, लेबनान के साथ मजबूती से खड़ा है. दूसरी-अमेरिका भी जमीनी आक्रमण के खिलाफ.
लेबनान की आजादी से पहले वह फ्रांस के अधीन था, लिहाजा फ्रांस हर मौके पर लेबनान का साथ देने और उसका बचाव करने की अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझता है. यही वजह है कि लेबनान पर हुए इजराइली हमले को लेकर फ्रांस एक्टिव है, फ्रांस ने लेबनान की स्थिति पर चर्चा के लिए UNSC की इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की अपील की है. वहीं अमेरिका भी लेबनान में इजराइल के जमीनी आक्रमण की आशंका को लेकर चिंतित है और उसने इसका विरोध भी जताया है.

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