गाय के गोबर से कैसे बनेगी CNG? भारत के इस राज्य में इसी गैस से फर्राटा भरेंगी गाड़ियां
गाय के गोबर से अब तक आपने बायोगैस बनते देखी होगी. अब गाय के गोबर से सीएनजी भी बनाई जाएगी. इसके लिए हाल ही में मध्य प्रदेश में पहला प्लांट स्थापित किया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इसका उद्घाटन किया था. दावा तो ये भी किया गया है कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम के वाहन भी इसी सीएनजी से चलाए जाएंगे.
सीएनजी की लगातार मांग बढ़ रही है. इसे पूरा करने के लिए अब तक सड़ी गली सब्जियों से बायो सीएनजी बनाई जा रही थी. देश के कई राज्यों में इसके प्लांट पहले से चल रहे हैं. अब मध्य प्रदेश ने गाय के गोबर से सीएनजी बनाने की तैयारी कर ली है. ग्वालियर में बड़ी टिपारा स्थित गौशाला में इस प्लांट को लगाया गया है.
कैसे बनती है गोबर से सीएनजी
गोबर से सीएनजी बनाने के लिए प्लांट लगाना पड़ता है. इसमें कई तरह की मशीनें लगाई जाती हैं. इनमें VPSA यानी वैक्यूम प्रेशर स्विंग एडजॉर्प्शन टेक्नीक का इस्तेमाल किया जाता है. इसके माध्यम से सबसे पहले गाय के गोबर को शुद्ध किया जाता है और फिर मीथेन गैस निकाली जाती है. इसके बाद मीथेन को कंप्रेस करके एक सिलेंडर में भर लिया जाता है. मशीनों के माध्यम से ही इसमें CO2 और H2S जैसी अशुद्धियां दूर की जाती हैं. ऐसे बायो सीएनजी तैयार हो जाती है.
मध्य प्रदेश सरकार का क्या है प्लान?
मध्य प्रदेश में ग्वालियर में लाल टिपारा में सबसे बड़ी गौशाला है. यह एक आदर्श गौशाला है, वर्तमान में यहां तकरीबन 10 हजार गोवंश हैं. अगर प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो यहां तकरीबन 100 टन गोबर निकलता है. इसीलिए इसी गोशाला को प्लांट स्थापित करने के लिए चुना गया. विशेषज्ञों के मुताबिक 100 टन गोबर से तकरीबन 2 टन बायो सीएनजी तैयार की जा सकती है. सीएनजी बनने के बाद जो गोबर बचेगा, उसका प्रयोग खाद के तौर पर किया जा सकेगा.
मध्य प्रदेश सरकार का क्या है प्लान?
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक जो योजना बनाई गई है, उसके मुताबिक गाय के गोबर से जो सीएनजी बनाई जाएगी उससे ग्वालियर नगर निगम के वाहन चलाए जाएंगे. इसके अलावा जो गैस बचेगी उसे आम लोगों को भी प्रयोग करने के लिए दी जाएगी. इस प्लांट पर तकरीबन 33 करोड़ रुपये का खर्चा आया है. इससे पहले मध्य प्रदेश के इंदौर में बायो सीएनजी बनाने का प्लांट लगा था, लेकिन उसमें गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाई जाती है.