गियरबॉक्स में खराब से क्रैश हुआ था हेलीकॉप्टर, 25 घंटे बाद मिला था आंध्र प्रदेश के पूर्व CM YSR रेड्डी का शव

बुधवार का दिन था और तरीख थी दो सितंबर 2009… वाईएसआर के नाम से मशहूर आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुबह 8:38 बजे हैदराबाद के बेगमपट से निकले थे, उन्हें चित्तूर ज़िले में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 10:30 बजे तक पहुंचना था. लेकिन वो तय समय तक वहां नहीं पहुंचे थे…. न्यूज़ चैनलों पर खबरें आने लगी थीं कि एटीसी से उनके हेलिकॉप्टर का संपर्क टूट गया है और हेलिकॉप्टर का पता नहीं चल पा रहा है.
इस दौरान मुख्यमंत्री को लेकरअफ़वाहें उड़ने लगी थीं. कयास लगाए जा रहे थे, चूंकि एटीसी से हेलिकॉप्टर का कनेक्शन नल्लामल्ला वन क्षेत्र में टूटा, और ये इलाका माओवादियों के कब्ज़े में है तो क्या मुख्यमंत्री का अपहरण हो गया है?. अफवाहों के बीच सरकार की तरफ से दोपहर होते-होते एक बयान जारी किया गया. इस बयान में कहा गया कि हेलिकॉप्टर लापता है और मुख्यमंत्री का पता नहीं चल पाया है, उनका पता लगाने की कोशिशें जारी है. हेलिकॉप्टर में मुख्यमंत्री के अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय के मुख्य सचिव सुब्रमण्यम और मुख्य सुरक्षा अधिकारी एएससी वेस्ले सवार थे.
हेलिकॉप्टर का लापता होने से देशभर में सनसनी
मुख्यमंत्री समेत हेलिकॉप्टर का लापता होना देशभर में सनसनी बन चुका था. केंद्र सरकार को भी अलर्ट किया गया. राज्य सरकार ने छह ज़िलों में अलर्ट की घोषणा करते हुए तलाशी अभियान चलाया. राज्य पुलिस और केंद्र सरकार की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने कहा कि पुलिस, सीआरपीएफ़ और एंटी नक्सल पुलिस फ़ोर्स को नल्लामल्ला के जंगलों में भेजना चाहिए. सिकंदराबाद और बेंगलुरु से सेना के हेलिकॉप्टर मंगाए गए. इसके अलावा जंगल में एक सुखोई विमान को भी भेजा गया था. लेकिन ख़राब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर को भेजना मुमकिन नहीं हो पा रहा था. फिर सरकार की तरफ से कहा गया कि इसरो के सैटेलाइट की मदद से हेलिकॉप्टर का पता लगाया जा रहा है.
कांग्रेसी कार्यकर्ता भी तलाशी अभियान में जुटे
राज्य सरकार के आह्वान के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता भी नल्लामल्ला के जंगलों में तलाशी अभियान में जुटे थे. जंगलों में हेलिकॉप्टर भी पहुंच चुके थे. रेड्डी का शव अगले दिन यानि 3 सितंबर 2009 को मिला था. उन्हें लेकर जा रहा हेलीकॉप्टर नल्लामल्ला के जंगलों में लापता हो गया था और अगले दिन तीन सितंबर को करनूल से कुछ दूरी पर रूद्रकोंडा की एक पहाड़ी पर उनका शव मिला। रेड्डी के साथ हेलीकॉप्टर से जा रहे चार और लोगों की भी इस हादसे में मौत हो गई थी.
देश का सबसे बड़ा तलाशी अभियान
ऐसा माना जाता है कि उनके लापता हेलीकॉप्टर की तलाश के लिए भारत का सबसे बड़ा तलाशी अभियान चला गया, जिसमें वायुसेना के कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान और थर्मल इमेजिंग सिस्टम से लैस सुखोई 30 एमकेआई विमान भी शामिल थे. इसके साथ ही इसरो ने भी उपग्रह के जरिए इस अभियान में मदद की थी. तलाशी अभियान के लिए केंद्र ने सीआरपीएफ के पांच हजार कर्मियों को भेजा था और जंगल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ नक्सल रोधी बलों को भी इस अभियान में लगाया गया था.
बिखरे हुए मिले के सारे शव
जहां हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था, वो एक पहाड़ी की चोटी थी. पहाड़ से टकराकर हेलिकॉप्टर का मलबा बिखरा हुआ था, पिछला हिस्सा एक जगह था, विंग्स दूसरी जगह और इंजन वाला हिस्सा तीसरी जगह पड़ा हुआ था. सबकुछ टुकड़ों में बिखरा हुआ था. इंजन जल चुका था. सीएम वायएस राजशेखर रेड्डी का शव इंजन के पास था, सिर पर कम बालों के आधार उनकी पहचान हुई थी. राहतकर्मियों ने बताया था कि एक पायलट का शव अभी भी अपनी सीट पर है, दूसरे पायलट का चेहरा भी मिल गया था. सुरक्षा अधिकारी की पहचान बंदूक से हुई थी. सारे शव बिखरे हुए थे. शरीर के हिस्सों को इकट्ठा किया जा रहा था, कुछ हिस्से जल भी गए थे क्योंकि हेलिकॉप्टर में आग लग गई थी. हालांकि बाद में पता चला कि बारिश की वजह से हेलिकॉप्टर पूरी तरह जला नहीं था.
पायलट ने हेलिकॉप्टर से खोया नियंत्रण
सरकार ने डीजीसीए की तकनीकी कमेटी का गठन किया और इस दुर्घटना की जांच कराई. आरके त्यागी की अध्यक्षता वाली इस कमेटी ने 139 पन्नों की रिपोर्ट दी जिसमें बताया गया कि गियरबॉक्स में ख़राबी आ गयी थी, उसे ठीक करने की कोशिश में पायलट ने हेलिकॉप्टर से नियंत्रण खो दिया. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि इस हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने से पहले जितनी जांच होनी चाहिए थी, वो पूरी नहीं की गई थी.
पी चिदंबरम ने किया निधन का ऐलान
डीजीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक दो सितंबर, 2009 को नौ बजकर 27 मिनट और 57 सेकेंड पर कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर ने काम करना बंद कर दिया था, अगले दिन तीन सितंबर की सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर वायुसेना ने हेलिकॉप्टर का पता लगाया था. मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर के लापता होने के 25 घंटे के बाद केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने आधिकारिक तौर पर दिल्ली में उनके निधन का ऐलान किया था.

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