गुजरात-महाराष्ट्र से नहीं, यूपी से मिल रहा ज्यादा प्यार! इस तरह रिकॉर्ड बना रहा शेयर बाजार

देश के शेयर बाजार में अब वड़ा पाव और ढोकला से ज्यादा राजमा चावल और छोले भटूरे की ताकत ज्यादा देखने को मिल रही है. जी हां, हम यहां पर महाराष्ट्र और गुजरात की तुलना दिल्ली और उत्तरप्रदेश से कर रहे हैं. जिनकी मौजूदगी शेयर बाजार में बीते 4 बरस में 4 गुना से ज्यादा हो गई है. खास बात तो ये है कि दिल्ली और यूपी के जैसे नॉर्थ इंडिया के लोगों की पहचान एक ट्रेडिशन इंवेस्टर्स के तौर पर देखी गई है. यहां के लोग प्रॉपर्टी और गोल्ड में ज्यादा निवेश करते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन बीते 4 सालों में यहां के निवेशकों ने अपने इंवेस्टमेंट प्लानिंग में बदलाव किया हैं और शेयर बाजार की रुख किया है.
अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या में इजाफा कोविड के दौरान देखने को मिला. अब जब शेयर बाजार की वैल्यूएशन काफी कम हो गई थी. कम वैल्यूएशन के दौर में निवेशकों की खासकर युवा निवेशकों की भीड़ शेयर बाजार में देखने को मिली. तब से अब तक नॉर्थ और पूर्वी इलाकों के निवेशकों शेयर बाजार की ओर रुख ज्यादा देखने को मिला है. आइए जरा आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर बीते 4 बरस में किस राज्य से निवेशकों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है.
नॉर्थ से साउथ तक निवेशकों की संख्या में इजाफा?

आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2020 के बाद से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में उत्तर से निवेशकों की संख्या चौगुनी हो गई है, जो 31 जुलाई तक 35.7 मिलियन तक पहुंच गई.
पूर्वोत्तर, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के नेतृत्व में पूर्व ने भी अपने इंवेस्टर बेस को लगभग चार गुना कर लिया है, चार वर्षों में 8.9 मिलियन जोड़े हैं.
वहीं दूसरी ओर पश्चिम, जिसमें वित्तीय राजधानी मुंबई और गुजरात शामिल है, में इंवेस्टर बेस में लगभग तीन गुना इजाफा देखने को मिला है और संख्या बढ़कर लगभग 30 मिलियन हो गई है.
अगर बात दक्षिण भारत की बात करें तो वित्त वर्ष 2020 से अब तक 172 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. दक्षिण भारत में अब लगभग 20 मिलियन का इंवेस्ट बेस है.

निवेशकों में इजाफे के प्रमुख कारण
अब पूरे देश के हर इलाके में बढ़ती प्रति व्यक्ति आय, बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी और आधार कार्ड के उपयोग ने कैपिटल मार्केट की रीच को काफी आसान बनाने में मदद की है. जो कभी मेट्रो शहरों तक सीमित हुआ करता था. जेरोधा के वीपी, बिजनेस एनालिसिस एंड इनवेस्टमेंट, दिनेश पई ने मीडिया रिपोर्ट में कहा हमारा मानना ​​है कि डाटा पैक का सस्ता होना, ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास होना और विभिन्न चैनलों के माध्यम से कैपिटल मार्केट के बारे में जागरूकता डीमैट अकाउंट्स की संख्या में बढ़ोतरी का कारण हो सकती है.
देश के प्रमुख राज्यों में हुआ निवेशकों की संख्या में इजाफा

राज्य
निवेशकों की संख्या में इजाफा

दिल्ली
142%

राजस्थान
326%

महाराष्ट्र
181%

कर्नाटक
183%

उत्तर प्रदेश
380%

मध्य प्रदेश
390%

गुजरात
129%

वेस्ट बंगाल
189.9%

आंध्र प्रदेश
186.2%

तमिलनाडु
149.0

सोर्स : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, 31 जुलाई तक का डाटा

ये भी हैं कारण
इस साल 1 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच, उत्तर भारत ने 33.3 लाख निवेशक जोड़े, जबकि पश्चिम भारत और दक्षिण भारत ने क्रमशः 19.6 लाख और 14.9 लाख निवेशक जोड़े. ग्रो के एक प्रवक्ता मीडिया ने कहा कि साल 2021 के बाद से, हमने देश भर में रिटेल निवेशकों की संख्या में लगभग 4 गुना इजाफा देखा है. इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश जैसे कम पहुंच वाले बाजारों से आया है, जहां बड़ी आबादी है लेकिन पहले पूंजी बाजार तक पहुंच नहीं थी. फाइनेंशियल लिटरेसी में वृद्धि और यूपीआई और आधार-बेस्ड ईकेवाईसी जैसे बेहतर डिजिटल पब्लिक इंफ्रा ने कैपिटल मार्केट तक पहुंच को काफी आसान बनाया है. जिससे सेविंग का फाइनेंशियलाइजेशन बढ़ गया है.
यूपी की​ हिस्सेदारी में कितना इजाफा?
उत्तर प्रदेश, जिसमें 2.3 मिलियन निवेशक थे और वित्त वर्ष 2020 में कुल रजिस्टर्ड निवेशकों का 7.4 फीसदी हिस्सा था, 11 मिलियन निवेशकों के साथ इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 11.1 फीसदी हो गई है. इस बीच, महाराष्ट्र और गुजरात में इंवेस्ट बेस की कुल हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई है. 16.7 मिलियन निवेशकों के साथ महाराष्ट्र की हिस्सेदारी अब वित्त वर्ष 2020 के 19.2 फीसदी से घटकर 16.8 फीसदी रह गई है, जबकि 8.7 मिलियन निवेशकों वाले गुजरात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020 के 12.2 फीसदी से घटकर 8.8 फीसदी हो गई है.

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