गुजरात में ऐसा होता तो आप दुखी नहीं होते? मणिपुर के सांसद ने अमित शाह को लिखा पत्र, 1947 के हालातों से की तुलना
मणिपुर में पिछले साल मई से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. एक बार फिर से हिंसा भड़क उठी है, जिसे देखते हुए मणिपुर सरकार ने 5 जिलों में इंटरनेट सेवा को निलंबित कर दिया है और इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है, जबकि थौबल जिले में BNSS की धारा 163 (2) लागू की गई है.
कांग्रेस के इन्नर मणिपुर के सांसद ए. बिमोल अकॉइजाम ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत प्रभावी कदम उठाए और मणिपुर में शांति बहाल करने का प्रयास करे. उन्होंने गृह मंत्री से अनुरोध किया है कि वे इस बात की जांच करें कि क्या इस हिंसा में प्रवासी, विदेशी तत्व या ड्रग माफिया भी शामिल हैं.
1947 के विभाजन से तुलना
अपने पत्र में अकॉइजाम ने मणिपुर की स्थिति की तुलना 1947 के विभाजन से की. उन्होंने लिखा कि मणिपुर की वर्तमान स्थिति आज 1947 की तरह ही है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ऐसी घटना मुख्यधारा भारत में होती, तो क्या इसे इतनी देर तक चलने दिया जाता? यदि गुजरात में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती, तो क्या आप भी दुखी नहीं होते? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मणिपुर के लोगों की कोई परवाह नहीं कर रही है. उन्होंने लिखा, यह दुखद है कि वर्तमान प्रशासन की निगरानी में इतना गंभीर संकट उत्पन्न हुआ है।. इस हिंसा के चलते सैकड़ों जानें चली गई हैं और लगभग 60,000 लोग बेघर हो चुके हैं.
हिंसा का खतरनाक मोड़
अकॉइजाम ने पत्र में लिखा कि हिंसा अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है, जिसमें ड्रोन या बिना चालक वाले विमानों और रॉकेट्स/मिसाइल्स का इस्तेमाल हो रहा है. उन्होंने तत्काल “सही कदम” उठाने और शांति तथा सामान्य स्थिति बहाल करने की मांग की. उन्होंने शाह से सुरक्षा बलों को प्रभावी और न्यायपूर्ण तरीके से हिंसा को रोकने का निर्देश देने की अपील भी की. उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की पक्षपाती कार्रवाई की जांच करने और आरोप सही पाए जाने पर जवाबदेही सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया.
अकॉइजाम ने पत्र में विशिष्ट पहचान की राजनीति को नकारने की बात की, जो इस हिंसा के पीछे एक मुख्य वजह है. उन्होंने गृहमंत्री से जून 2023 में गठित जांच एजेंसी, जिसका नेतृत्व गुवाहाटी हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अजय लांबा कर रहे हैं, की जांच जल्दी पूरी करके रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की.