गैंग्स ऑफ वासेपुर, जिसका हर फ्रेम एक मीम टेम्पलेट है, ये वाले 10 तो इलाका धुआं-धुआं कर देंगे!

साल 2012 में दो पार्ट में रिलीज हुई गैंग्स ऑफ वासेपुर एक शानदार फिल्म के तौर पर सामने आई. इस फिल्म को पसंद करने वाले इसके भक्त हैं, जो कि फिल्म के खिलाफ कोई भी बात नहीं सुन सकते. फिल्म को रिलीज हुए 12 साल हो गए हैं पर फिर भी इसके कैरेक्टर, गाने और डायलॉग के मुकाबले में कोई भी दूसरी फिल्म नहीं आई.
इस फिल्म की कहानी धनबाद के कोयला माफिया और तीन परिवारों के ही आस-पास घूमता रहता है. फिल्म से ज्यादा तो इसके मीम टेम्पलेट हर जगह छाए हुए हैं. यह 30 अगस्त को रि-रीलीज हुई है. इस फिल्म को अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट किया है. गैंग्स ऑफ वासेपुर एक ऐसी कहानी पर बनाई गई है, जिसमें तीन गैंगस्टर परिवार एक दूसरे से बदला लेते दिखते हैं. हालांकि, सुनने में ये कहानी जितनी सीरियस लगती है, फिल्म के डायरेक्शन और उसके डायलॉग ने उसे उतना ही मजेदार बना दिया है.
मीम मटेरियल हैं सभी डायलॉग
फिल्म में एक तरफ मर्डर का सीन चलता है तो वहीं दूसरी तरफ गैंगस्टर की बेवकूफियों पर ऑडियंस हंस रहे होते हैं. फिल्म के बेहतरीन डायलॉग ने लोगों के दिलों में मीम के जरिए ज्यादा जगह बनाई है. आइए जानें कौन से हैं वो डायलॉग…
1- ‘बेटा तुमसे न हो पाएगा’– गैंग्स ऑफ वासेपुर के एक सीन में रामाधीर सिंह का कैरेक्टर निभाने वाले तिग्मांशु धूलिया अपने विधायक बेटे जेपी सिंह के कामों से परेशान हो कर उनसे कहते हैं, “बेटा तुमसे न हो पाएगा.”

2- ‘ये वासेपुर है, यहां कबूतर भी एक पंख से उड़ता है‘- कसाई सुल्तान के किरदार में पंकज त्रिपाठी ने काफी जबरदस्त एक्टिंग की है. एक सीन में जब पुलिस कसाई की दुकान पर पहुंचती है तो उस वक्त कसाई सुल्तान कहता है, ‘ये वासेपुर है, यहां कबूतर भी एक पंख से उड़ता है, दूसरे पंख से अपना इज्जत बचाता है.’
3- ‘चाबी कहां है?’ डायरेक्टर अनुराग कश्यप की फेमस फिल्म में सरदार खान के बेटे को गोली लगने पर उसे अस्पताल ले जाते वक्त जब सरदार खान को गाड़ी की चाबी नहीं मिलती है तो वो गुस्से में पूछता है, चाबी कहां है?

4- ‘बाप का, दादा का, भाई का, सबका बदला लेगा रे तेरा फैजल’– एक दूसरे से बदला लेने की इस कहानी में अपने घरवालों की मौत का बदला लेने की बात करते हुए कहता है, बाप का, दादा का, भाई का, सबका बदला लेगा रे तेरा फैजल.
5- ‘अब अंडरग्राउंड होने का समय आ गया है’– मनोज बाजपेयी का ये डायलॉग काफी फेमस हुआ. इसमें सिर पर शॉल ओढ़े खड़े मनोज बाजपेयी कहते हैं कि अब अंडरग्राउंड होने का समय आ गया है.

6- ‘फैजल कब खून खौलेगा रे तेरा’– फैजल की मां नगमा खातून का किरदार निभाने वाली ऋचा चड्ढा अपने परिवार वालों की मौत का बदला लेने को कहती हैं. वो कहती हैं कि क्या रे फैजल कब खून खौलेगा रे तेरा.
7- ‘खाना खाओ, ताकत आएगा…’– नगमा खातून अपने पति सरदार खान की हरकतों पर लगाम लगाते हुए कहती है, ‘खाना खाओ, ताकत आएगा..बाहर जाके बेइज्जती मत करना.’
8- ‘सांप को पाल रहा था’– ये डायलॉग फिल्म में रामाधीर सिंह अपने बेटे के लिए बोलता है, जब उसे पता चलता है कि उसका दुश्मन उसके बेटे के लिए काम करता है.

9- ‘गाड़ी स्टार्ट कर’– मनोज बाजपेयी के फिल्म में कई डायलॉग प्रॉपर मीम्स मैटेरियल हैं. बदला लेने के धुन में भागते हुए मनोज बाजपेयी ये डायलॉग बोलते हैं.
10- ‘कांप काहे रही हो, बियाह हो गया है’ – फिल्म में एक सीन में सरदार खान दुर्गा से पूछता है कि हमको पहचानती हो, गुंगी हो, बियाह हो गया… इतना बड़ा हो गई हो, अभी तक बियाह नहीं हुआ है.

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