‘ग्रेटर इजराइल’ प्लान पर काम कर रहे नेतन्याहू, सऊदी अरब-तुर्की समेत 5 देशों पर है नज़र?

एक साल के युद्ध में गाजा लगभग पूरी तरह से तबाह हो चुका है, करीब 90 फीसदी आबादी विस्थापित है और हजारों लोगों की जान जा चुकी है. लेकिन इजराइल युद्धविराम की बजाए फुल एंड फाइनल वॉर के मूड में है. इजराइली सेना अब लेबनान, सीरिया और यमन में भी हमले कर रही है. इस बीच ईरान ने इजराइल पर हमला कर उसे मिडिल ईस्ट का नक्शा बदलने का मौका दे दिया है.
दरअसल इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट ने ईरान के हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इजराइल के पास बीते 50 सालों में यह पहला मौका है जब वह मिडिल ईस्ट की तस्वीर बदल सके. मिडिल ईस्ट की तस्वीर बदलने की इजराइल ये मंशा नई नहीं है, इसकी कल्पना आधुनिक यहूदीवाद के जनक थियोडोर हर्जल ने की थी. हर्जल के ग्रेटर इजराइल में फिलिस्तीन और लेबनान के अलावा सऊदी अरब और तुर्की समेत 5 देशों के क्षेत्र शामिल हैं.
‘ग्रेटर इजराइल’ प्रोजेक्ट क्या है?
हर्जल का ग्रेटर इजराइल मिस्र से लेकर फरात नदी तक फैला हुआ है. दावा किया जाता है कि यह मिडिल ईस्ट में सिर्फ यहूदी प्रोजेक्ट नहीं है बल्कि अमेरिका की विदेश नीति का अभिन्न अंग है. इसका मुख्य उद्देश्य मध्य-पूर्व में रणनीतिक तौर पर अमेरिका के वर्चस्व को बढ़ाना है. जिस तरह आजाद फिलिस्तीन के लिए ‘रिवर टू सी’ का नारा दिया जाता है, उसी तरह ग्रेटर इजराइल के लिए रिवर टू रिवर का नारा दिया जाता है. इसके तहत मिस्र की नील नदी से लेकर पश्चिम एशिया की फरात नदी तक ग्रेटर इजराइल की कल्पना की गई है.
प्रॉमिस लैंड और ग्रेटर इजराइल
इसमें फिलिस्तीन, लेबनान, जॉर्डन, सीरिया के अलावा इराक, सऊदी अरब और तुर्की का भी कुछ क्षेत्र शामिल है. कई इतिहासकारों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यही वजह है इजराइल धीरे-धीरे रणनीतिक तौर पर फिलिस्तीन समेत अपने तमाम पड़ोसी देशों की जमीन हथियाने की कोशिश कर रहा है.
अभी क्यों उठा ‘ग्रेटर इजराइल’ का मुद्दा?
दरअसल ईरान के इजराइल पर किए हमले के बाद इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट ने मिडिल ईस्ट का नक्शा बदलने के मौके की बात कही है. वहीं इससे पहले नेतन्याहू ने जब 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में अपना संबोधन दिया तब उन्होंने दो नक्शा दिखाया. इसमें एक नक्शे को उन्होंने दुनिया के लिए श्राप बताया तो दूसरे को आशीर्वाद.
नेतन्याहू ने जिस नक्शे को अभिशाप बताया उसमें सीरिया, इराक, ईरान और लेबनान को काले रंग में दिखाया गया था. इस नक्शे में फिलिस्तीन नहीं था बल्कि फिलिस्तीन के पूरे हिस्से को इजराइल के तौर पर दिखाया गया. लेबनान और सीरिया के खिलाफ इजराइली सेना अपना सैन्य अभियान शुरू कर चुकी है और वहीं नेतन्याहू संयुक्त राष्ट्र में दी गई अपनी स्पीच में इराक में भी शिया मिलिशिया के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दे चुके हैं.
ये सभी देश ग्रेटर इजराइल के नक्शे में भी शामिल नजर आते हैं. इसके अलावा पिछले साल भी संयुक्त राष्ट्र में नेतन्याहू ने द न्यू मिडिल ईस्ट का नक्शा दिखाया था. इस नक्शे से भी फिलिस्तीन का नाम गायब था. इसमें वेस्ट बैंक, गाजा समेत पूरा फिलिस्तीन इजराइल में शामिल दिखाया गया. माना जाता है कि ‘ग्रेटर इजराइल’ प्रोजेक्ट के तहत इजराइल लेबनान, जॉर्डन, सीरिया, इराक और सऊदी अरब के कुछ हिस्सों में प्रॉक्सी स्टेट बनाना चाहता है. इसके लिए कुछ अरब देशों को कई हिस्सों में बांटने की मंशा भी शामिल है.
‘ग्रेटर इजराइल’ से क्या हासिल होगा?
फिलिस्तीन पर पूरी तरह कब्जा और अरब देशों में फूट डालकर इजराइल मिडिल ईस्ट की सबसे बड़ी ताकत बन सकता है, इसके अलावा इस क्षेत्र में अमेरिका का प्रभुत्व बढ़ेगा साथ ही आयात-निर्यात के तमाम स्ट्रैटजिक रूट्स पर इजराइल-अमेरिका का दबदबा होगा.
यह भी पढ़ें-नए साल पर इजराइल को नया जख्म देने की तैयारी में दुश्मन! कौन और कहां से करेगा वार?

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *