ग्वालियर के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की कोशिश लाई रंग, मुरैना के कोतवाल बांध से पानी लाने की मिली स्वीकृति

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए चंबल पाइप लाइन प्रोजेक्ट में आ रही अंतिम बाधा अब दूर हो गई है. राज्य के जल संसाधन विभाग ने ग्वालियर की जनता के लिए मुरैना के कोतवाल बांध से पानी लाने की स्वीकृति दे दी है. इसे लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अगस्त में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात की थी और प्रोजेक्ट में तेजी लाने की चर्चा की थी.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में ही चंबल नदी से पानी लाने का काम किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात के समय इस प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य कामों में भी विभागों की ओर से तेजी से निर्णय लेकर काम करने का अनुरोध किया था. दोनों मंत्रियों के बीच हुई मुलाकात के ठीक 30वें दिन अब राज्य के जल संसाधन विभाग ने कोतवाल बांध से 34.5 मेट्रिक घन मीटर पानी लाने की स्वीकृति दे दी है.
शिवराज और सिंधिया ने मिलकर किया था शिलान्यास
इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास पिछले साल 8 अक्टूबर को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री सिंधिया की उपस्थिति में किया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री भोपाल से वर्चुअली शामिल हुए थे. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 376 करोड़ रुपए है. इस प्रोजेक्ट के जरिए चंबल नदी और कोतवाल डैम के पानी को ग्वालियर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को योजना अमृत 2.0 के तहत स्वीकृति मिली हुई है.

चंबल नदी में बन रहा इंटेक वेल
मुरैना नगर पालिक निगम की ओर से चंबल नदी में इंटेक वेल निर्मित किया जा रहा है. इसके जरिए 150 एमएलडी पानी देवरी, मुरैना तक पम्पिंग कर लाया जाएगा. इसमें से 60 एमएलडी पानी का इस्तेमाल वाटर सप्लाई सिस्टम के लिए किया जाएगा. बाकी बचे हुए पानी को पाइप लाइन से ग्वालियर लाया जाएगा.
पाइप लाइन के जरिए ग्वालियर तक पहुंचेगा पानी
इसके बाद मुरैना से ग्वालियर नेशनल हाईवे पर आसन नदी पर स्थित छौंद पुल में इंटेक वेल बनाकर कोतवाल डैम के बैक वाटर्स को (60 MLD) को पम्पिंग कर पाइन के जरिए जंक्शन पॉइंट तक लाया जाएगा. जहां से 150 एमएलडी पानी पानी को पाइप लाइन के जरिए ग्वालियर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाएगा. इसके बाद शहर में इस पानी की सप्लाई होगी. इस प्रोजेक्ट को दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जल संसाधन विभाग की ओर से मंजूरी मिल जाने के बाद इसमें और तेजी आएगी. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद ग्वालियर में पीने की पानी की कमी काफी हद तक खत्म हो जाएगी.

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