घरों से न निकलें बाहर…बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों से क्यों करनी पड़ी ये अपील?

आरक्षण…एक ऐसा मुद्दा जिसे लेकर भारत में लगातार तरह-तरह के प्रदर्शन होते रहे हैं, भारत से निकलकर ये मुद्दा अब पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में पहुंच चुका है, लेकिन वहां माजरा कुछ अलग है. बांग्लादेश में लोग आरक्षण के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं, और अब ये प्रदर्शन हिंसक हो चुका है.
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर पिछले 4 दिनों से हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. आरक्षण के खिलाफ जारी इस प्रदर्शन में 6 लोगों की जान चली गई, वहीं सैंकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने आज पूरे देश में बंद का ऐलान किया है.
सत्ताधारी दल से जुड़े छात्र संगठनों पर आरोप
दरअसल बांग्लादेश की सड़कों पर एक ओर पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग से जुड़े छात्र संगठन हैं तो दूसरी ओर आरक्षण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी. बांग्लादेश में आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि वो सोमवार को ढाका और उसके बाहरी इलाकों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. तभी उन पर सत्तारूढ़ पार्टी के छात्र कार्यकर्ताओं ने लाठी, पत्थर और चाकू से हमला कर दिया.
बांग्लादेश में मौजूदा आरक्षण व्यवस्था
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कुल 56 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इसमें से 30 फीसदी आरक्षण 1971 के युद्ध में बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और परिवार के लिए है. 10% प्रशासनिक जिलों, 10% महिलाओं और 5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था जातीय अल्पसंख्यकों के लिए की गई है. इसके अलावा 1 फीसदी आरक्षण शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए भी सरकारी नौकरी में दी गई है.
भारत सरकार ने जारी की एडवाइजरी
बांग्लादेश के हालात को देखते हुए भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी की है और भारतीय लोगों खासकर छात्रों को सावधानी बरतने को कहा है. भारत सरकार ने बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों को अपने कमरे से बाहर नहीं जाने की सलाह दी है. साथ ही कहा गया है कि भारतीय उच्चायोग के संपर्क में रहें. इसके अलावा इमरजेंसी नंबर भी जारी किए गए हैं.

Advisory on the ongoing situation in Bangladesh. pic.twitter.com/nSMsw9hWp0
— India in Bangladesh (@ihcdhaka) July 18, 2024

बांग्लादेश हिंसा का पाकिस्तानी कनेक्शन
1971 में जब बांग्लादेश बना तो पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ने वालों को मुक्तियोद्धा कहा गया. इन मुक्तियोद्धाओं के खिलाफ माहौल बनाने के लिए पाकिस्तान फंडिंग करता रहा है. बांग्लादेश में जारी प्रदर्शन इन्हीं मुक्तियोद्धाओं को दिए जा रहे 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ हो रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेशी विपक्षी दल ISI के संपर्क में हैं. बांग्लादेश सरकार ने विरोध प्रदर्शन करने वालों की तुलना ‘रज़ाकारों’ से की है जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेना का साथ दिया था.
SC की रोक के बावजूद प्रदर्शन जारी
4 अक्टूबर 2018 को बांग्लादेश में इस आरक्षण प्रणाली को निलंबित कर दिया गया था. लेकिन करीब एक महीने पहले 5 जून को बांग्लादेश की हाई कोर्ट ने 30 फीसदी आरक्षण कोटा को बहाल करने का आदेश दे दिया, जिसके बाद इसे लेकर दोबारा विरोध होने लगे, हालांकि पिछले सप्ताह ही वहां की सर्वोच्च अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी बावजूद इसके वहां हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है.
प्रधानमंत्री शेख हसीना की अपील
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि इस हिंसक प्रदर्शन की न्यायिक जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा. उन्होंने छात्रों से अपील की है कि उपद्रवियों को स्थिति का फायदा उठाने का मौका न दें. उन्होंने छात्रों के लिए जारी बयान में कहा है कि हमारे छात्रों को न्याय मिलेगा और वो निराश नहीं होंगे.

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