घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी मत दें… सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को फिर लगाई फटकार

देश के कई राज्यों में अपराधियों और आरोपियों के खिलाफ प्रशासन बुलडोजर की कार्रवाई कर रहा है. ऐसे ही एक मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि अपराध के किसी मामले में कथित संलिप्तता की वजह से वैध रूप से निर्मित मकानों को ध्वस्त करने का कोई आधार नहीं है. कानून से शासित देश में मकानों में तोड़फोड़ करने की अधिकारियों की धमकियों को अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकती है. बुलडोजर चलाने की धमकी मत दें. अगर ऐसी कार्रवाई की जाती है तो यह देश के कानून पर बुलडोजर चलाने जैसा होगा.
जस्टिस ऋषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें आपराधिक मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद नगर निगम के अधिकारियों द्वारा मकान गिराए जाने की संभावित कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है. पीठ ने याचिकाकर्ता के मकान पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने और यथास्थिति बनाए रखने के लिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
ऐसी किसी कार्रवाई की इजाजत नहीं
पीठ ने कहा कि ऐसे देश जहां कानून का राज है, वहां परिवार के किसी सदस्य द्वारा किए गए अपराध के लिए परिवार के अन्य सदस्यों या उनके वैध मकान के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत नहीं दी जा सकती. जस्टिस रॉय ने कहा कि अपराध में शामिल होने के आरोप, मकान को ध्वस्त करने का कोई आधार नहीं हैं. अगर किसी पर अपराध में शामिल होने का आरोप है तो इसे अदालत में उचित कानूनी प्रक्रिया के जरिए साबित किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ऐसी तोड़फोड़ की कार्रवाई करने की धमकियों से अनजान नहीं हो सकती, जो ऐसे देश में अकल्पनीय हैं, जहां कानून सर्वोपरि है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर इस तरह की कार्रवाई की जाती है तो यह देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने के रूप में देखा जा सकता है.
अधिकारियों ने बुलडोजर से मकान गिराने की धमकी दी
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल सैयद की दलीलों को सुनने के बाद की. उन्होंने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल गुजरात के खेडा जिले के काठलाल गांव के रहने वाले हैं. उनके परिवार के एक सदस्य के खिलाफ 1 सितंबर, 2024 को एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के मकान को बुलडोजर से गिराने की धमकी दी.
वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता ने भारतीय न्याय संहिता की धारा-333 के तहत 6 सितंबर, 2024 को नाडियाड, खेड़ा जिले के डिप्टी पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी. शिकायत में कहा है कि आरोपी के खिलाफ कानून को अपना काम करना चाहिए. मगर, याचिकाकर्ता के कानूनी रूप से निर्मित और कब्जे वाले रिहायशी मकान को गिराने या गिराने की धमकी नहीं दी जानी चाहिए.
किसी के मकान पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने कहा था कि आपराधिक मामले में आरोपी होने के आधार पर किसी के मकान पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि आरोपी ही नहीं, आपराधिक मामले में दोषी ठहराने के बाद भी बुलडोजर से मकान को नहीं गिराया जा सकता है.
पीठ ने यह भी कहा था कि यह अदालत दंडात्मक उपाय के रूप में अधिकारियों द्वारा घरों को ध्वस्त करने के मुद्दे को संबोधित करने के लिए अखिल भारतीय दिशा-निर्देश तैयार जारी करेगी. पीठ ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में आपराधिक मामले में आरोपी के मकानों को बुलडोजर से तोड़फोड़ करने की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर यह टिप्पणी की थी.

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