चंपई सोरेन की आज शाह से मुलाकात, बीजेपी में एंट्री की लगेगी मुहर या लौटेंगे बेरंग?
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन दिल्ली में डेरा जमाए रखने के बाद मंगलवार को वापस रांची लौट सकते हैं. चंपई सोरेन जेएमएम से बगावत कर रविवार को दिल्ली पहुंचे थे, तो उनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे. झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले उनके पाला बदलने की अटकलें तेज हो गई थीं. राजधानी में दो दिनों तक कैंप करने के बाद भी चंपई की बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ मुलाकात नहीं हो सकी. माना जा रहा है कि चंपई मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं. ऐसे में देखना है कि चंपई के बीजेपी में शामिल होने पर मुहर लगेगी या फिर बेरंग रांची वापस लौटेंगे.
पूर्व सीएम चंपई सोरेन झारखंड के दिग्गज आदिवासी नेताओं में से एक हैं. सात बार के विधायक और झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. चंपई झारखंड के कोल्हान इलाके से हैं, जिसे जेएमएम का गढ़ माना जाता है. हेमंत सोरेन को जब ईडी ने गिरफ्तार किया था तो उनकी जगह सत्ता की कमान चंपई सोरेन ने संभाली थी. चंपई को सीएम बनाया गया था और फिर जब हेमंत जेल से बाहर आए तो सत्ता अपने हाथ में ले ली. इसके बाद से कहा जा रहा था कि चंपई सोरेन सीएम हेमंत सोरेन से नाराज हैं, जो अब खुलकर सामने आ गई है.
चंपई ने बगावत की राह पर कदम बढ़ा दिए हैं. उन्होंने अपने घर से पार्टी का झंडा और सोशल मीडिया अकाउंट से जेएमएम का लोगो हटाकर पार्टी के साथ अपनी जुदाई के संकेत पहले ही दे दिए थे. इसके बाद चंपई अपने करीबी विधायकों के साथ रविवार को दिल्ली पहुंचे और उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपनी नाराजगी साफ कर दी है और कहा है कि उनके लिए सारे विकल्प खुले हैं. इसके बाद से ही माना जा रहा था कि चंपई सोरेन बीजेपी का दामन थाम सकते हैं, लेकिन दो दिनों तक दिल्ली में रहने के बावजूद उनकी एंट्री नहीं हो सकी. आखिर क्या वजह रही, जिसके चलते चंपई के बीजेपी में शामिल होने की पटकथा नहीं लिखी जा सकी.
बीजेपी नेतृत्व से चंपई की क्यों नहीं हो सकी मुलाकात?
पूर्व सीएम चंपई सोरेन पिछले तीन दिनों से दिल्ली में हैं, लेकिन उनकी मुलाकात बीजेपी नेतृत्व के साथ नहीं हो सकी. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को दिल्ली से बाहर थे. झारखंड में बीजेपी के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान हैं. बीजेपी के संगठन प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी हैं, जो सोमवार को मेरठ में थे. चंपई के बीजेपी में शामिल होने का मामला शिवराज सिंह चौहान देख रहे हैं. बीजेपी के दोनों ही नेताओं के दिल्ली से बाहर होने के चलते चंपई की मुलाकात नहीं हो सकी.
हालांकि, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जरूर दिल्ली में मौजूद थे, लेकिन उनसे से भी उनकी मुलाकात नहीं हो सकी. माना जा रहा है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ मुलाकात न होने के चलते उनके एंट्री की डील फाइनल नहीं हो सकी. मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ चंपई सोरेन की मुलाकात हो सकती है. माना जा रहा है कि इस दौरान बीजेपी में शामिल होने पर मुहर लगेगी.
चंपई सोरेन के साथ नहीं आए जेएमएम विधायक
चंपई सोरेन जेएमएम विधायकों का विश्वास नहीं जीत सके, जबकि दावा किया जा रहा था कि पार्टी के छह से सात विधायक उनके साथ हैं. चंपई के साथ जेएमएम के सिर्फ तीन विधायक ही दिल्ली आए थे. जेएमएम के विधायक दशरथ गागराई, चमड़ा लिंडा, लोबिन हेंब्रम पहले से सीएम हेमंत सोरेन से नाराज चल रहे हैं. इस तरह चंपई सोरेन अपने साथ जेएमएम के किसी अन्य विधायक को नहीं जोड़ सके. इसके चलते बीजेपी को उनकी सियासी पकड़ का आभास हो गया है. ऐसे में बीजेपी चंपई सोरेन को लेने के नफा-नुकसान का आकलन कर रही है. इसीलिए बीजेपी ने चंपई के दिल्ली आने पर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया और न ही शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें अहमियत दी.
हालांकि, चंपई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दो अन्य विकल्पों की भी चर्चा की थी, जिसमें उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने या फिर अलग संगठन बनाने की बात भी कही थी. कुछ लोग यह भी बता रहे हैं कि चंपई सोरेन छोटी पार्टी के साथ जुड़कर संगठन बना सकते हैं और फिर एनडीए के साथ जुड़ सकते हैं. ऐसे में चंपई सोरेन रांची लौटकर नए तरीके से रणनीति बनाकर फिर सियासी फैसला लेंगे.
चंपई सोरेन की राह में मरांडी क्या बन गए बाधा?
झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की संभावनाओं को लेकर उनके साथ अभी कोई बातचीत नहीं हुई है. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चंपई एक मंझे हुए नेता हैं और वो अपनी आगे की राह के बारे में निर्णय खुद लेंगे. चंपई सोरेन से अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है. ऐसी ही बात असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने भी कही है. चंपई सोरेन की बीजेपी में एंट्री से सबसे ज्यादा मुश्किल चिंता बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा जैसे बीजेपी के आदिवासी नेताओं को हो सकती है. चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल कराने को लेकर मरांडी और अर्जुन मुंडा समेत दूसरे नेताओं से भी विमर्श किया गया है. चंपई सोरेन के बीजेपी में आने से पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया गया है.
बीजेपी ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए अभी तक मुख्यमंत्री पद के चेहरे का ऐलान नहीं किया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी प्रमुख दावेदारों में से एक हैं. इसके अलावा अर्जुन मुंडा भी रेस में माने जा रहे हैं. दोनों नेताओं की दावेदारी इसलिए भी बनती है कि बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले सीएम रहे हैं तो अर्जुन मुंडा भी दो बार सीएम और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. बीजेपी में सीएम पद के लिए अभी जो आदिवासी चेहरे हैं, उनमें प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा पहले से हैं. चंपई सोरेन अगर पार्टी में आते हैं तो तीसरे चेहरा होंगे. चंपई सोरेन की एंट्री से दोनों की दावेदारी पर संकट खड़ा हो सकता है.
जेएमएम के नेता ने भी उठाया अहम सवाल
झारखंड के मंत्री और जेएमएम नेता बन्ना गुप्ता ने कहा कि आज जब चंपई सोरेन की भाजपा में दाल नहीं गली, क्यों बाबूलाल मरांडी आपके जॉइनिंग का विरोध कर रहे हैं तो आप लगे हरिश्चन्द्र बनने, ऑप्शन चुनने, आपके पास एक ही ऑप्शन था जो आपने गवां दिया, वो था मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को गद्दी सौंपना और झामुमो को मजबूत करना. अफसोस की बात है कि रातों रात आप तो अपने घर और गांव से झामुमो का झंडा उतार कर गायब करवा दिए, लॉबीन दादा को मनाने के बजाय उकसा कर गलत बयानबाजी करवा दिए, मीडिया मैनेजमेंट के बहाने जेएमएम के मजबूत और समर्पित विधायकगणों का नाम उछलवा दिया कि वे आपके साथ हैं?