चीन की आंखों में चुभेगी LAC पर भारत की तैयारी, जानिए क्या है प्लान
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत अपने आपको और मजबूत कर रहा है. दरअसल भारत सरकार करीब 40,000 करोड़ रुपये की लागत से अरुणाचल प्रदेश में अरुणाचल फ्रंटियर राजमार्ग बना रही है. जो प्रदेश के करीब 12 जिलों को जोड़ने का काम करेगा. इस राजमार्ग की लंबाई करीब 1,637 किलोमीटर होगी. केंद्र सरकार ने अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे बनाने के लिए 28,229 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.
अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे 40,000 करोड़ की लागत से पूरा होगा. यह परियोजना भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के पास बनाई जाएगी, और सड़क परियोजना एलएसी और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से 20 किलोमीटर की दूरी पर होगी. यह बोमडिला से शुरू होकर नफरा, हुरी और मोनिगोंग कस्बों से होकर गुजरेगा, जो LAC या मैकमोहन रेखा के करीब हैं. भारत-म्यांमार सीमा के पास विजयनगर में समाप्त होगा. इसका निर्माण कार्य BRO द्वारा किया जाएगा. मैकमोहन रेखा के समानांतर बनाए जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग 2027 तक पूरा हो सकता है.
चीन को नहीं पसंद आ रहा ये निर्माण कार्य
अरुणाचल फ्रंटियर नेशनल हाईवे-913 के 198 किलोमीटर हिस्से टाटो-टूटिंग के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है, चूंकि बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन सीमा से जुड़े इलाकों में लगातार सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. चीन को LAC पर भारत की ये तैयारी बिल्कुल भी रास नहीं आ रही. यही कारण है कि वो कई बार इस निर्माण कार्य को लेकर आपत्ति जता चुका है.
चीन आए दिन वो भारत के इस अभिन्न अंग पर नजरें गढ़ा कर उसे अपना हिस्सा बताता रहता है. चीन खुद भी LAC के पास अपने इलाके में सड़को, पुलों का मकड़ जाल बुन रहा है. ऐसे में उसे को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारत ने बीआरओ के काम का बजट पिछले वर्षों की तुलना में दोगुना किया है.
अरुणाचल प्रदेश में में बीआरओ तेजी से कर रहा काम
बीआरओ अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मंक परियोजना के तहत परियोजनाओं पर काम कर रहा है. सियांग, अपर सियांग, पश्चिम सियांग और शि-योमी जिलों में सड़क बुनियादी ढांचे का निर्माण और रखरखाव किया जा रहा है. साथ ही असम के धेमाजी जिले में चार सड़कों का रखरखाव किया जा रहा है.
2022-23 और 2023-24 में ब्रह्मंक परियोजना ने अलोंग-यिंगकिओंग सड़क पर सिओम नदी पर 100 मीटर लंबे आर्च ब्रिज का निर्माण किया है. सिओम पुल का निर्माण 180 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया और यातायात के लिए खोल दिया गया. ब्रह्मंक परियोजना की शुरुआत के दिन से आज तक 17 सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिनकी कुल लंबाई 496 किलोमीटर है. इसके साथ ही 42 स्थायी पुलों और 11 मॉड्यूलर पुलों का निर्माण भी पूरा हो चुका है. खास बात ये भी है कि बीआरओ ने ऑल वेदर यानी सभी मौसम के अनुकूल सड़को और पुलों का निर्माण कार्य किया है.
कई टनल भी बनाए जाएंगे
इस हाईवे को इस तरह से बनाया जाएगा जिससे इसका इस्तेमाल 12 महीने और सभी मौसम में किया जा सकता है. पिछले कुछ सालों में सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से सड़कों का निर्माण किया है और आसपास के गांवों को जोड़ा है. हाईवे निर्माण के वक्त बहुत टनल भी बनाए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद अरुणाचल प्रदेश में भारती सेना की पकड़ और मजबूत हो जाएगी.