चीन की बढ़ती गतिविधियों पर अब होगी भारत की नजर, केंद्र सरकार ने दी सीमा सुरक्षा को बढ़ाने की मंजूरी

केंद्र सरकार समुद्री सीमा को लेकर काफी सतर्क है, जिसके लिए उनकी तरफ से हाल ही में दो मिलिट्री एयरफील्ड बनाने की योजना को मंजूरी मिल गई है, यह एयरफील्ड लक्षद्वीप में बनाए जाएंगे, इसके अलावा केंद्र सरकार ने इससे जुड़े और भी कई योजनाओं को मंजूरी दी है, जिससे सीमा की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके.
केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय बैठक में भारत की सुरक्षा के लिए सीमा की सुरक्षाओं को मजबूत करने के लिए आए प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है. सरकार ने लक्षद्वीप के दक्षिणी-सबसे बड़ा द्वीप मिनिकॉय द्वीप में नया एयरबेस बनाने और लक्षद्वीप के अगत्ती द्वीप में मौजूदा एयरफील्ड को अपग्रेड करने की अनुमति दी है, अगत्ती द्वीप में मौजूदा एयरफील्ड को एयरबेस के रूप में अपग्रेड होने के बाद से मिलिट्री ऑपरेशन किए जा सकेंगे. यह योजना काफी ज्यादा अहम मानी जा रही है क्योंकि समुद्री सीमा के आस-पास के क्षेत्रों में चीन की सेना की गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं.
चीनी गतिविधियों होगी हमेशा नजर
इस प्रोजेक्ट के तैयार होने के कुछ समय बाद इन जगहों पर लड़ाकू जेट और विमानों की तैनाती की जाएगी. केंद्र सरकार की इस मंजूरी का उद्देश्य चीनी गतिविधियों पर बराबर नजर रखना है.कुछ समय पहले डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्रीअफेयर्स (DMA) ने तीनों सेनाओं की तरफ से मिनिकॉय द्वीप में एक नया एयरबेस बनाने और भारत के पश्चिमी हिस्से में अरब सागर में अगत्ती द्वीप पर मौजूदा हवाई क्षेत्र को बढ़ाने और अपग्रेड करने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था, जिससे भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिल सके.
प्रोजेक्ट को इंडियन एयरफोर्स करेगी लीड
मिनिकॉय द्वीप जो कि मालदीव से लगभग 50 मील की दूरी पर स्थित है, वहां पर तैयार होने वाले दोहरे उद्देश्य वाले इन एयरफील्ड को कमर्शियल एयरलाइंस के लिए खोल दिया जाएगा. इसके अलावा इस एयरफील्ड पर हर तरह के जेट फाइटर प्लेन और ट्रांसपोर्टेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लेन के साथ लंबी दूरी के ड्रोन को तैनात किया जाएगा. इन सभी विमानों को तैनाती से इस क्षेत्र में भारतीय बलों को बढ़त मिलेगी. इस प्रोजेक्ट को इंडियन एयरफोर्स लीड करेगी, लेकिन इसका इस्तेमाल तीनों डिफेंस फोर्स और कोस्ट गार्ड कर सकेंगे.

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