चीन नहीं अमेरिका था तख्तापलट की बड़ी वजह… शेख हसीना ने पहली बार किया खुलासा

बांग्लादेश में भारी विरोध-प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले हफ्ते अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश भी छोड़ने को मजबूर होना पड़ा. अपने नाटकीय इस्तीफे और देश छोड़कर भारत आने के बाद शेख हसीना ने पहली बार खुलकर बात की है, जिसमें उन्होंने अपने अप्रत्याशित निष्कासन में संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका की ओर इशारा किया है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व पीएम शेख हसीना ने कहा, “मैंने देश में आगे की हिंसा को देखने से बचने के लिए इस्तीफा दे दिया. उनका मकसद छात्रों की लाशों पर सत्ता हासिल करना था, लेकिन मैंने इस्तीफा देकर उन्हें ऐसा होने से रोका.” बांग्लादेश में अभी भारी राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति है, हालांकि वहां पर अंतरिम सरकार भी अस्तित्व में आ गई है.
सत्ता से बेदखली में अमेरिका का हाथ
शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि वह सत्ता में बनी रह सकती थीं. उन्होंने कहा, “अगर मैंने सेंट मार्टिन आइलैंड की संप्रभुता को छोड़ दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर नियंत्रण करने दिया होता.” उन्होंने कहा, “मैं अपने लोगों से विनती करती हूं, कृपया कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं.”
इससे पहले मई में, शेख हसीना ने बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्सों को विभाजित करके ईस्ट तिमोर जैसा एक ईसाई राज्य बनाने की साजिश का आरोप लगाया था. उन्होंने दावा किया था कि अगर वह किसी विदेशी देश को बांग्लादेश में एयरबेस स्थापित करने की अनुमति देतीं, तो उन्हें आसानी से फिर से चुनाव जीतने का प्रस्ताव दिया गया था, हालांकि तब उन्होंने इसमें शामिल देश का नाम नहीं लिया.
‘… तो और भड़क जाती हिंसा’
हसीना ने कहा कि अगर वह देश में बनी रहतीं, तो और अधिक हिंसा भड़क जाती, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती और भारी विनाश होता. उन्होंने कहा, “मैं आपकी नेता बनी क्योंकि आपने मुझे चुना. आप लोग ही मेरी ताकत थे.” हसीना के इस्तीफे के बाद देशभर में फैली हिंसा में 230 से अधिक लोगों की मौत हो गई. जबकि जुलाई के मध्य में देश में शुरू विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक 500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
देश में हो रही भारी हिंसा, पार्टी के नेताओं के कत्ल, कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किए जाने और तोड़फोड़ पर हसीना गहरा दुख जताया. उन्होंने कहा, “जब मुझे यह खबर मिली कि हिंसा में कई नेता मारे गए हैं, कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है और उनके घरों में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की जा रही है, तो मेरा दिल रो रहा है. ऊपरवाले की कृपा से, मैं जल्द ही वापस लौटूंगी. अवामी लीग बार-बार उठकर खड़ी हुई है. मैं हमेशा बांग्लादेश के भविष्य के लिए प्रार्थना करूंगी, इस देश के लिए मेरे पिता ने बहुत मेहनत की. यह वही देश है जिसके लिए मेरे पिता और परिवार के लोगों ने अपनी जान दी.”
मेरे शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा गया: हसीना
प्रदर्शनकारी छात्रों को संबोधित करते हुए शेख हसीना ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी प्रदर्शनकारी छात्रों को ‘रजाकार’ नहीं कहा था. अवामी लीग की नेता शेख हसीना ने कहा, “आपको भड़काने के लिए मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. आप लोग उस दिन का मेरा पूरा वीडियो देखें ताकि यह समझ सकें कि षड्यंत्रकारियों ने देश को अस्थिर करने के लिए आपकी मासूमियत का किस तरह से फायदा उठाया है.” देश में “रजाकार” शब्द का इस्तेमाल अक्सर उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के सहयोगी थे.
कोटा प्रणाली को लेकर शुरू हुई हिंसा
सरकारी नौकरियों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर छात्रों में भारी नाराजगी थी और इसे खत्म किए जाने को लेकर देशभर में प्रदर्शन कर रहे थे. छात्रों के भारी विरोध और बड़े स्तर पर होने वाली हिंसा के डर से शेख हसीना ने 5 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश से बाहर निकल गई थीं.
राजनीतिक अस्थिरता के बीच सेना ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया. फिर नोबेल पुरस्कार विजेता और मशहूर अर्थशास्त्री मुहम्मद युनुस के नेतृत्व में पिछले हफ्ते गुरुवार को अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाल लिया.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *