चीन ने बंद कराया तिब्बत का सबसे प्रसिद्ध स्कूल, उधर नक्शे के दम पर मुकाबले की तैयारी में CTA
चीन और तिब्बत के बीच अक्सर एक जातीय और धार्मिक लड़ाई देखी गई है, जिसके बीच में हमेशा ही चीन तिब्बत के शहरों में किसी न किसी रूप में दखल देते हुए दिख जाता है. हाल ही में चीनी सरकार ने तिब्बती संस्कृति पर हमला बोलते हुए बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत तिब्बत के सबसे प्रसिद्ध स्कूल को बंद कराने का आदेश दिया गया है, जिसके बाद CTA प्रवक्ता ने चीन के सरकार पर आरोप लगाते हुए चीन से मुकाबले का आगाज किया है.
चीन की सरकार ने हाल ही में तिब्बत के प्रसिद्ध स्कूल और गोलोग में पुरस्कार विजेता जिग्मे ग्यालत्सेन नेशनलिटीज वोकेशनल हाई स्कूल को जबरदस्ती बंद करने का आदेश दिया है, जिसके बाद से कहा जा रहा है कि चीनी सरकार ने गलत आरोप लगाकर बंद स्कूल करवाए हैं. इस स्कूल की स्थापना 30 साल पहले साल 1994 में की गई थी. तिब्बती संस्कृति पर इस तरह से हमला करने को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है. इन सभी के बाद अब तिब्बत ने चीन को टक्कर देने का फैसला किया है और इसके लिए तिब्बत जल्द ही अपना नया नक्शा जारी करने की बात कर रहा है. चीन की सरकार का मुख्य उद्देश्य तिब्बत की संस्कृति को खत्म करना है, जिस पर तिब्बत का ये कदम बहुत भारी पड़ने वाला है.
6 महीने में तैयार हो जाएगा तिब्बत का नया मैप
CTA (Central Tibetan Administration) स्पोकपर्सन तेनजिन लेक्षय ने TV9 से मैप के बारे में बातचीत के दौरान बताया कि कई शोध की स्टडी करके और इतिहास के रिकॉर्ड को शामिल करते हुए जल्द ही तिब्बत के लिए नया मैप जारी करेगा, जो कि तिब्बतियों और शोध कर्ताओं के लिए ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा. इस मैप को जारी करने का मुख्य उद्देश्य विश्व में बसे तिब्बतियों को सही इतिहास बताना है, इस मैप में खास बात यह होगी कि इसमें तिब्बत के सभी स्थानों को तिब्बत के मूल नाम के तौर पर दिखाएगा. उन्होंने आगे बताया कि इस मैप को तैयार होने में 6 महीने का वक्त लगेगा. मैप बनने के बाद तिब्बत के बारे में हर कोई आसानी से जानकारी ले पाएगा.
छिपा दी गई स्कूल बंद करने की असल वजह
स्कूल को जबरदस्ती बंद किए जाने का असल कारण नहीं दिया गया है. चीन की प्रांतीय सरकार किंघई ने इस स्कूल के बंद होने की असली वजह को यह कहते हुए छिपा दिया कि स्कूल की तलाशी और उसमें लोगों के साथ पूछताछ इसलिए की गई क्योंकि उन्हें इस बात का पता लगाना था कि उस स्कूल में कोई भी 18 साल से कम उम्र का मॉन्क या नन है या नहीं, अगर तलाशी के दौरान ऐसा कोई भी पकड़ा गया तो कड़ी सजा दी जाएगी. तिब्बती के इस स्कूल को बंद करने से पहले भी इस तरह से वहां पर और भी कई प्राइवेट स्कूलों को बंद किया गया है. इन स्कूलों को बंद करने का उद्देश्य तिब्बती भाषा, पहचान, संस्कृति और धर्म के संरक्षण को खत्म करना है. इस स्कूल को बंद करने की साजिश काफी समय से की जा रही थी. स्कूल बंद होने से न सिर्फ टीचर्स ही नहीं बल्कि स्कूल के छात्र और स्कूल से जुड़े तमाम लोग काफी दुखी है.
दूसरे स्कूलों और उनके छात्रों पर भी कसा शिकंजा
इस स्कूल के अलावा चीनी सरकार ने शेरब नोरबू लिंग स्कूल के स्टूडेंट्स पर भी मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें कहा गया है कि स्टूडेंट्स का एक ग्रुप तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज पर बने रत्न और शेर के प्रतीक चिन्हों को अपने ग्रुप के लोगों के रूप में इस्तेमाल कर रहा था, जिस पर चीनी सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. जिस ग्रुप पर मुकदमा दर्ज किया गया है वो ग्रुप तिब्बती भाषा के संरक्षण के लिए काम करते हैं और इसके साथ ही स्कूल के संस्थापक जिग्मे ग्यालत्सेन पर रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया गया है, हालांकि 28 जून को पब्लिश किए गए आर्टिकल में बताया गया कि इन आरोपों की सुनवाई के बाद स्कूल के संस्थापक को दोषी नहीं पाया गया लेकिन उन्हें तिब्बती राष्ट्रीयता परिषद के सदस्य के रूप में उनके कर्तव्यों से भी निलंबित कर दिया गया था.
लेक्षय ने बताया कि कुछ महीने पहले चीन की तरफ से एक व्हाइट पेपर जारी किया था, जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत के लिए झिजांग नाम का इस्तेमाल किया था, उसके बाद से ही चीन तिब्बत के लिए इसी नाम का इस्तेमाल कर रहा है, इसके जवाब में CTA प्रवक्ता ने कहा कि अब हम तिब्बत में हर नाम पर भी रिसर्च कर रहे हैं. चीन ने कई बार दावा किया है कि तिब्बत पर केवल तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region) है, जो कि गलत है.