चीन से तभी निपट सकेगा भारत, जब टैक्स का बोझ घटाएगी सरकार, बजट से पहले क्यों उठ रही ये मांग?
‘चीन ने अपनी क्षमता बहुत बढ़ा ली है. वह बहुत सस्ती कीमत पर भारत में कई सामान ला रहा है. चीन से बहुत अधिक डंपिंग हो रही है. ऐसे में सरकार से हमने देश के टैक्स स्ट्रक्चर की समीक्षा करने का अनुरोध किया है, ताकि डोमेस्टिक लेवल पर क्षमता को बढ़ाया जा सके’. ये बात देश के प्रमुख इंडस्ट्री हेड ने वित्त मंत्री के सामने रखी है. बजट से ठीक पहले देश में अप्रत्यक्ष करों के बोझ को घटाने की मांग तेज हो गई है. आखिर क्या है ये पूरा मामला…
मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत के अलग-अलग प्रतिनिधियों से मुलाकात की, जो करीब 2 घंटे चली. देश में बजट से पहले वित्त मंत्री के अलग-अलग सेक्टर और संगठनों के साथ उनकी जरूरतों को समझने के लिए इस तरह की चर्चाएं करने की परंपरा रही है.
टैक्स का बोझ घटाए सरकार
बैठक के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोकेमिकल बिजनेस के हेड अजय सरदाना भी मौजूद रहे. उन्होंने वित्त मंत्री से कहा कि चीन से आयात होने वाली पेट्रोकेमिकल उद्योग से संबंधित वस्तुओं पर टैक्स की दर की समीक्षा करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि चीन ने बहुत अधिक क्षमता बना ली है. वह बहुत सस्ती कीमत पर भारत में तमाम प्रोडक्ट ला रहा है और बहुत अधिक डंपिंग हो रही है. ऐसे में उन्होंने शुल्क व्यवस्था की समीक्षा का अनुरोध किया है ताकि घरेलू क्षमता बढ़ाई जा सके.
एक्सपोटर्स ने बताई अपनी ये समस्या
इसी तरह देश के एक्सपोर्टर्स के सबसे बड़े संगठन फियो के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने वित्त मंत्री के सामने इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम को अगले 5 साल के लिए और बढ़ाने की मांग रखी. अभी ये योजना 30 जून 2024 तक ही मान्य है. उन्होंने कहा कि बीते दो साल में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 4.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत तक कर दिया है. इसलिए एमएसएमई सेक्टर के मैन्यूफैक्चरर्स के लिए छूट दरों को तीन प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक बहाल किया जा सकता है.
अश्विनी कुमार ने विदेशी लॉजिस्टिक्स पर निर्भरता कम करने और विदेशी मुद्रा बचाने के लिए सरकार से एक स्वदेशी पोत-परिवहन सेवा की स्थापना करने के लिए भी कहा. इतना ही नहीं, बैठक के दौरान श्री सीमेंट के चेयरमैन एच. एम. बांगर ने कहा कि सरकार को कैपिटल एक्सपेंडिचर पर अधिक खर्च करना चाहिए ताकि सीमेंट उद्योग को लाभ हो.
वहीं सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के संगठन नैसकॉम के उपाध्यक्ष और पब्लिक पॉलिसी हेड आशीष अग्रवाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि ट्रांसफरेबल वैल्यू फिक्सेशन सिस्टम आसान बनेगा. अभी आईटी इंडस्ट्री इसका सही से लाभ नहीं उठा पा रही है.