चुनावी नतीजों में रोशन हुए चिराग सरेंडर मोड में क्यों दिख रहे? कहीं ये 3 कारण तो नहीं

बड़े मुद्दों पर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा चुके चिराग पासवान अब डैमेज कंट्रोल करने में जुटे हैं. शुक्रवार को बीजेपी से बढ़ती दूरी की चर्चा के बीच चिराग ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. शाह से मुलाकात के बाद चिराग ने कहा कि बीजेपी अगर चाहेगी तो 2025 में हम साथ मिलकर लड़ सकते हैं.
चिराग उन मुद्दों पर भी यूटर्न लेते दिखे, जिन पर हाल फिलहाल में वे काफी मुखर थे. टीवी-9 के स्पेशल शो 5 एडिटर्स में चिराग ने जाति जनगणना की तो बात की लेकिन उसमें टर्म एंड कंडीशन जोड़ कर. चिराग ने यहां तक कह दिया कि देश में सिर्फ 2 जातियां हैं. एक गरीब और दूसरा अमीर.
चिराग के बदले-बदले सुर दिल्ली से पटना तक सुर्खियों में हैं. आखिर क्या वजह है कि चुनावी नतीजों में रोशन हुए चिराग अब सरेंडर मोड में आ गए हैं.
लगातार मुखर थे चिराग पासवान
2024 के चुनाव में 5 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद चिराग पासवान को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया, लेकिन पिछले कुछ दिनों से अपने बयानों से वे लगातार सरकार को बैकफुट पर धकेल रहे थे. चिराग ने पहले दलितों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी में लेटरल एंट्री का खुलेआम विरोध किया. उनके सांसद भी इस पर मुखर हो गए.
चिराग जाति जनगणना पर भी मुखर दिखे. उन्होंने साफ-साफ कहा कि हम जाति की गिनती चाहते हैं, जबकि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार अभी चुप है. इतना ही नहीं, चिराग पासवान ने मंत्री रहते हुए बंद का समर्थन कर दिया, जबकि आमतौर पर सरकार के लोग बंद का समर्थन नहीं करते हैं.
चिराग के इन कदमों ने दिल्ली से लेकर पटना तक के सियासी हलकों में हलचल मचा दी.
बदले-बदले क्यों हैं चिराग पासवान के सुर?
दलित और जाति के मुद्दों पर मुखर होकर चिराग पासवान अभी मीडिया में सुर्खियां बटोर ही रहे थे कि अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात की खबरें आ गईं. शाह से चिराग की मुलाकात को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है. सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी जल्दी चिराग बैकफुट पर क्यों आ गए?
1. चिराग के खिलाफ याचिका
चिराग पासवान हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीते हैं. चुनाव परिणाम आने के 2 महीने बाद बीजेपी के कथित एक नेता राकेश सिंह ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. सिंह का कहना है कि चिराग ने अपने एफिडेविट में उन जानकारियों को छिपा लिया, जो उन्हें सार्वजनिक करना था.
सिंह के मुताबिक चिराग ने अपने पैतृक घर शहरबन्नी के बारे में हलफनामा में नहीं बताया है. इसके अलावा उन्होंने रेप के एक केस में अपना नाम होने के बावजूद उसका जिक्र नहीं किया है. सिंह ने चुनाव आयोग और कोर्ट से उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की है.
हालांकि, इस पूरे मामले में बीजेपी का कहना है कि राकेश सिंह का पार्टी से कोई ताल्लुकात नहीं है.
2. पार्टी सिंबल का मामला लंबित है
चिराग पासवान की पार्टी लोजपा में 2021 में टूट गई. असली लोजपा किसकी है, यह मामला अभी चुनाव आयोग के पास है. लोजपा के बाद शिवसेना और एनसीपी में टूट हुई, लेकिन दोनों का फैसला आयोग की तरफ से कब का आ चुका है. कहा जा रहा है कि जल्द ही लोजपा का फैसला भी आ सकता है.
चुनाव आयोग ने पार्टी में टूट को लेकर जो अब तक फैसले दिए हैं, उसमें तात्कालीन संख्या को ही देखता रहा है. इस हिसाब से चाचा की दावेदारी मजबूत है. इतना ही नहीं, अब तक शिवसेना और एनसीपी को लेकर जो चुनाव आयोग ने निर्देश दिए, उसमें सत्ताधारी दल से जुड़े खेमे को ही फायदा मिला है.
अगर ऐसा होता है तो चिराग के लिए यह झटका माना जा सकता है. अक्टूबर 2021 में तात्कालीन व्यवस्था के तहत आयोग ने पशुपति पारस और चिराग दोनों को अस्थाई नाम और सिंबल अलॉट किए थे.
3. चुनाव पर चाचा की शाह से मुलाकात
जब चिराग पासवान केंद्र के खिलाफ मुखर थे, तब उनके चाचा पशुपति पारस गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंच गए. पारस विधानसभा चुनाव में सीटों की दावेदारी को लेकर मिलने गए थे. मुलाकात के बाद पारस ने पत्रकारों से कहा कि मुझे सकारात्मक आश्वसान मिला है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चिराग को तवज्जो देते हुए चाचा पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं दी.
इसे चिराग की शक्ति के तौर पर देखा गया. ऐसे में अब अगर पशुपति पारस को विधानसभा के सीट शेयरिंग में शामिल किया जाता है, तो यह चिराग के लिए झटका साबित होगा.
चाचा की शाह से मुलाकात के बाद चिराग ने कहा कि कुछ लोग प्रधानमंत्री और मेरे बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे सफल नहीं हो सकते हैं.
क्यों उठाए मुद्दे, चिराग का बयान
टीवी-9 के स्पेशल शो 5 एडिटर्स में चिराग पासवान ने कहा कि ये सभी मुद्दे जरूरी थे और सरकार ने भी इसे माना. उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है और हमने इसका विरोध किया. बात जाति आधारित जनगणना की है तो बिहार में बीजेपी ने भी इसका समर्थन किया है.
पार्टी में टूट के सवाल पर चिराग ने कहा कि मैं इस सबसे आगे बढ़ चुका हूं. चाचा किससे मिल रहे हैं, उस पर मैं नहीं सोचता हूं.

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