चुनाव नतीजों से ठीक पहले भारत को मिला तोहफा, अमेरिकी एजेंसी ने 14 साल बाद बढ़ाई साख
जहां एक ओर भारत में पूरा माहौल चुनावमय है और 4 जून को नतीजे आने वाले हैं. दूसरी ओर भारत के लिए अच्छी खबर आ गई है और भारत अमेरिकी एजेंसी ने देश को बड़ा तोहफा दे दिया है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की साख में इजाफा किया है. खास बात तो ये है कि अमेरिकी एजेंसी ने देश की साख में 14 साल के बाद इजाफा किया है. जोकि भारत की इकोनॉमी को दुनिया में बेहतर तरीके से प्रमोट करने में मदद करेगा. साथ ही लोन लेने की कैपेसिटी में इजाफा करेगा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की साख को बढ़ाते हुए क्या कहा है?
एसएंडपी ग्लोबल ने साख में किया इजाफा
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की साख यानी रेटिंग को स्टेबल से बढ़ाकर पॉजिटिव कर दिया है. स्ट्रांग ग्रोथ, पिछले पांच सालों में पब्लिक एक्सपेंडिचर की बेहतर गुणवत्ता तथा सुधारों और फिस्कल पॉलिसीज में व्यापक निरंतरता की उम्मीद के बीच 14 साल के अंतराल के बाद भारत के रेटिंग सिनेरियो में यह बदलाव संभव हो सका है. एसएंडपी ने हालांकि, भारत की सॉवरेन रेटिंग को लोएस्ट इंवेस्टमेंट ग्रेड बीबीबी- पर बरकरार रखा है. बीबीबी- सबसे लोएस्ट इंवेस्टमेंट कैटेगिरी रेटिंग है. एजेंसी ने पिछली बार 2010 में रेटिंग सिनेरियो को नेगेटिव से बढ़ाकर स्टेबल किया था.
दो साल में और हो सकता है इजाफा
अमेरिका की एजेंसी ने बुधवार को बयान में कहा कि यदि भारत सतर्क फिस्कल और मॉनेटरी पॉलिसी अपनाता है जिससे सरकार के बढ़े हुए कर्ज तथा ब्याज के बोझ में कमी आती है और आर्थिक मोर्चे पर जुझारूपन बढ़ता है तो वह अगले 24 महीने में भारत की साख को बढ़ा सकती है. एसएंडपी की रेटिंग भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सरकार को 2.10 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड डिविडेंड ट्रांसफर करने के एक सप्ताह के भीतर आई है.
इस राशि का इस्तेमाल केंद्र के फिस्कल डेफिसिट को कम करने के लिए किया जा सकता है. रेटिंग किसी देश के इंवेस्ट सिनेरियो के रिस्क लेवल को मापने का एक साधन है. साथ ही निवेशकों को देश का लोन चुकाने की क्षमता से अवगत कराती है. निवेशक इन रेटिंग को देश की साख के मापदंड के तौर पर देखते हैं और इसका उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ता है.
बीते तीन साल से 8 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ
एजेंसी का अनुमान है कि पिछले तीन वर्षों में रियल जीडीपी की ग्रोथ रेट औसतन 8.1 फीसदी सालाना रही है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है. एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और परिणामस्वरूप सामान्य सरकारी लोन संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद के सात फीसदी से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है. एसएंडपी ने कहा कि पिछले चार से पांच सालों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. सार्वजनिक निवेश तथा उपभोक्ता गति अगले तीन से चार साल में ठोस वृद्धि संभावनाओं को आधार प्रदान करेगी.