चेक बाउंस केस में नहीं काटने पड़ेंगे कोर्ट-कचहरी के चक्कर, अगर मान ली सुप्रीम कोर्ट की ये बात

क्या अभी आपका कोई चेक बाउंस हुआ है या आपको किसी ने चेक दिया और उसका पेमेंट क्लियर ही नहीं हो सका. अगर ऐसा है तो आपको पता होगा कि चेक बाउंस के मामलों में कोर्ट-कचहरी का कितना लंबा चक्कर पड़ जाता है. ऐसे में देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने एक शानदार सलाह दी है जिसकी वजह से चेक बाउंस के मामले में आपको कोर्ट-कचहरी के झंझट से मुक्ति मिल सकती है. उसने ये सलाह आम लोगों के साथ-साथ प्रशासन और लोअर कोर्ट्स के लिए भी दी है.
दरअसल देश की अदालतों में चेक बाउंस से जुड़े मामले बड़ी संख्या में लंबित पड़े हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ‘गंभीर चिंता’ व्यक्त की है, क्योंकि ये देश के न्यायिक तंत्र पर बोझ को बढ़ाने का काम करता है. वहीं ऐसे ही एक केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की पीठ ने चेक बाउंस के मामलों के तेजी से निपटारे के लिए अपनी सलाह भी दी.
सजा से ज्यादा निपटान पर हो फोकस
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की पीठ ने चेक बाउंस मामले की सुनवाई के बाद मामले में अभियुक्त पी. कुमारसामी नाम के एक व्यक्ति की सजा रद्द कर दिया. पीठने अपने आब्जर्वेशन में पाया कि दोनों पक्षों के बीच चेक बाउंस के मामले में समझौता हो चुका है. वहीं शिकायत करने वाली व्यक्ति को दूसरे पक्ष की ओर से 5.25 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसी दौरान कह, ” चेक बाउंस होने से जुड़े मामले बड़ी संख्या में अदालतों में लंबित हैं. ये देश की न्यायिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है. इसे ध्यान में रखते हुए इनका निपटान करने के तरीके को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ना कि सजा देने के तरीके पर फोकस करना चाहिए.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को कानून के दायरे में रहते हुए निपटान को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए, अगर दोनों पक्ष ऐसा करने के इच्छुक हैं.
इन सब मामलों में काम आएगी ये सलाह
सुप्रीम कोर्ट की ये सलाह सिर्फ चेक बाउंस के केस में ही नहीं बल्कि कानूनी तौर पर लिखे गए सभी तरह के वचन पत्रों में विवाद की स्थिति पैदा होने पर मामलों के निपटारे में काम आ सकती है. पीठ ने 11 जुलाई को जो आदेश पारित किया, उसमें ये भी कहा कि समझौता योग्य अपराध ऐसे होते हैं, जिनमें प्रतिद्वंद्वी पक्षों के बीच समझौता हो सकता है. हमें यह याद रखना होगा कि चेक का बाउंस होना एक रेग्युलेटरी क्राइम है जिसे केवल सार्वजनिक हित को देखते हुए अपराध की श्रेणी में लाया गया है ताकि संबंधित नियमों की विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *