चौंकिए नहीं…बजट में हुआ है ऐसा ऐलान, जो Old Tax Regime में भी बचाएगा आपका टैक्स
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 का पूर्ण बजट पेश कर दिया है. मिडिल क्लास को बड़ी सौगात देते हुए सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में बदलाव भी किया है. इससे लोगों की 7.75 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई है. हालांकि सरकार ने बजट में कुछ घोषणाएं ऐसी भी की हैं जिसकी वजह से ओल्ड टैक्स रिजीम वालों को भी इनकम टैक्स में फायदा मिलने जा रहा है.
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि अब करीब 70 प्रतिशत टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम के दायरे में आ चुके हैं. वहीं सरकार का मानना है कि देश में डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स का विस्तार होना चाहिए. इसलिए सरकार ने दोनों ही तरह के टैक्स को सिंपलीफाई करने का काम किया है.
ओल्ड टैक्स रिजीम वालों को फायदा
सरकार ने इस बार बजट में फाइनेंशियल मार्केट में निवेश करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए कई बदलाव किए हैं. इसमें शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और फ्यूचर एंड ऑप्शंस मार्केट में सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स इत्यादि को लेकर किए गए बदलाव शामिल हैं. इन सबका लाभ उन टैक्सपेयर्स को भी मिलेगा जो अपना इनकम टैक्स ओल्ड रिजीम में भरते हैं, क्योंकि ये उनके ओवरऑल टैक्सेबल इनकम के कैलकुलेशन का हिस्सा होगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की लिमिट बढ़ी
अभी इनकम टैक्स कानून के तहत अभी अगर किसी व्यक्ति को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से एक लाख रुपए तक की इनकम होती है, तो उसे इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होता है, जो 10 प्रतिशत होता है. अब इस कैटेगरी में टैक्स-फ्री इनकम की लिमिट 1.25 लाख रुपए होगी. ये टैक्स छूट लिस्टेड इक्विटी या इक्विटी लिंक्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर ही मिलती है.
सरकार ने कई तरह के फाइनेंशियल एसेट के लिए लॉन्ग टर्म गेन की परिभाषा भी बदली है. अब किसी लिस्टेड फाइनेंशियल एसेट में एक साल से अधिक समय तक निवेशित रकम पर मिलने वाला फायदा लॉन्ग टर्म गेन की परिभाषा के दायरे में आएगा. जबकि अनलिस्टेड फाइनेंशियल एसेट में दो साल तक का निवेश ही लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाएगा.
सरकार ने अनलिस्टेड बॉन्ड्स, डिबेंचर, डेट म्यूचुअल फंड और मार्केट लिंक्ड डिबेंचर पर टैक्स स्लैब के मुताबिक कैपिटल गेन टैक्स लगाने की बात कही है. इसके लिए समयसीमा तय नहीं की गई है.
सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के मामले में एक और बदलाव किया है. अब से सभी फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल एसेट पर 12.5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा. इसका फायदा हाउस प्रॉपर्टी, अनलिस्टेड इक्विटी शेयर्स इत्यादि में निवेश करने वालों को मिलेगा, क्योंकि ये उन्हें मौजूदा टैक्स रेट से 7.5% सस्ता पड़ेगा. सरकार ने इस कैटेगरी में महंगाई से निपटने वाले इंडेक्सेशन के फायदे को हटा दिया है. हालांकि 2001 से पहले लिए गए एसेट्स पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता रहेगा.
स्मॉल कैपिटल गेन में भी बड़ा बदलाव
सरकार ने स्मॉल कैपिटल गेन टैक्स में भी बड़ा बदलाव किया है. अब ये 15 प्रतिशत की बजाय हर एसेट क्लास पर 20 प्रतिशत होगा. ये सरकार के शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट को बढ़ावा देने की ओर इशारा करता है. साथ ही लोगों की मार्केट बेस्ड सेविंग बढ़ाने पर भी सरकार के फोकस को ये दिखाती है.