जंग, उम्र या बीमारी… बाइडेन ही नहीं, 55 साल पहले इस अमेरिकी राष्ट्रपति ने बीच में क्यों छोड़ी थी दावेदारी?

अमेरिकी की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया है. जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले से हटने का फैसला किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए एक बयान में उन्होंने यह जानकारी दी. बाइडेन ने अमेरिका के नागरिकों को संबोधित करते हुए लिखा, ‘बतौर राष्ट्रपति आपकी सेवा करना मेरे जीवन का सबसे सबसे बड़ा सम्मान रहा है. हालांकि, मेरी इच्छा थी कि फिर से चुनाव में खड़ा होऊं. मेरा मानना है कि मेरी पार्टी और देश का इसी में हित है कि मैं उम्मीदवारी से हट जाऊं और बचे हुए अपने कार्यकाल में पूरी तरह केवल राष्ट्रपति की अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान दूं.’
81 साल के बाइडेन अमेरिका के अब तक के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति हैं. स्वास्थ्य के चलते सवाल उठ रहे थे कि क्या वो राष्ट्रपति पद की भूमिका के लिए फिट हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेता, समर्थक, प्रमोटर और फंडिंग देने वाले भी बाइडेन से पीछे हट जाने की अपील कर रहे थे. जो बाइडेन पहले नेता नहीं हैं, जिन्होंने दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने से इनकार कर दिया हो. 55 साल पहले अमेरिकी नेता लिंडन बेन्स जॉनसन ने बतौर राष्ट्रपति दोबारा चुनाव लड़ने के लिए अचानक से मना कर दिया था. इसकी कई वजह बताई गई थीं.
कैनेडी की हत्या के बाद राष्ट्रपति बने लिंडन जॉनसन
लिंडन बेन्स जॉनसन, एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए थे. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने नौसेना में लेफ्टिनेंट कमांडर के रूप में कुछ समय के लिए सेवा दी थी. इसके बाद 1948 में वो पहली बार अमेरीकी के उच्च सदन यानी सीनेट गए.
1960 के अभियान में, जॉन एफ कैनेडी ने लिंडन जॉनसन को अपने उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में चुना था. 1963 में जब कैनेडी की हत्या हुई, तो जॉनसन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. दिलचस्प बात है कि उन्होंने ‘एयर फ़ोर्स वन’ विमान के एक कक्ष में पद की शपथ ली थी. इस तरह राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले वह एकमात्र राष्ट्रपति थे.
जॉनसन के नेतृत्व में, देश ने अंतरिक्ष कार्यक्रम में शानदार तरक्की की. उन्होंने सीनेटर और राष्ट्रपति दोनों के रूप में नासा का पुरजोर समर्थन किया. 1973 में, नासा के सेंटर फॉर ह्यूमन स्पेसफ्लाइट का नाम बदलकर लिंडन बी. जॉनसन स्पेस सेंटर कर दिया था.

जॉन एफ. कैनेडी की हत्या के बाद जॉनसन राष्ट्रपति ने कैनेडी का कार्यकाल पूरा किया और 1964 में राष्ट्रपति चुनाव जीता. उन्होंने नागरिक अधिकारों और सामाजिक सेवाओं का विस्तार करने के लिए व्यापक कानून बनाए. लेकिन 1968 में अचानक से उन्होंने राष्ट्रीय टेलीविजन पर ऐलान कर दिया कि वो राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबले में नहीं उतरेंगे.
जॉनसन के राष्ट्रपति चुनाव न लड़ने की 5 वजह थीं

वियतनाम युद्ध: अमेरिका के 36वें राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन के दोबारा चुनाव नहीं लड़ने की सबसे बड़ी वजह वियतनाम युद्ध था. वियतनाम युद्ध एक लंबा, महंगा और विभाजनकारी संघर्ष था. इसमें उत्तरी वियतनाम की साम्यवादी सरकार और दक्षिण वियतनाम और उसके प्रमुख सहयोगी अमेरिका आमने-सामने थे. अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चल रहे शीत युद्ध के कारण संघर्ष और भी तीव्र हो गया.
वियतनाम युद्ध और उसमें अमेरिका की सक्रिय भागीदारी 1954 में शुरू हुई. हालांकि इस क्षेत्र में संघर्ष कई दशकों से चल रहा था. दक्षिण वियतनाम में पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता के कारण कैनेडी के उत्तराधिकारी लिंडन जॉनसन ने वहां अमेरिकी सेना की तादाद बढ़ा दी. नवंबर 1967 तक वियतनाम में अमेरिकी सैनिकों की संख्या 500,000 के करीब पहुंच गई थी. सरकार दावा कर रही थी कि जीत नजदीक है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बता रहे थे.
युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन: टेलीविज़न पर युद्ध की भयावह तस्वीरों देखकर अमेरिकियों ने घरेलू मोर्चे पर युद्ध के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया. कॉलेज छात्रों ने इन आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इस सब ने अमेरिकियों को बुरी तरह से बांट दिया. कुछ युवाओं के लिए, वियतनाम युद्ध अनियंत्रित गैर-जरूरी था. वहीं, कुछ अमेरिकियों के लिए, सरकार का विरोध करना देशद्रोह जैसा था.
स्वास्थ्य समस्या:जॉनसन के स्वास्थ्य का मामला उनके राष्ट्रपति बनने के दौरान हमेशा से एक चिंता का विषय रहा. जॉनसन को दिल की परेशानी थी. वियतनाम युद्ध के प्रबंधन के दबाव ने उनके स्वास्थ्य पर और भी बुरा असर डाला.
अश्वेत बस्तियों में अशांति और दंगे: लिंडन जॉनसन के पहले कार्यकाल का कैंपेन अमेरिकी लोगों के लिए एक ‘महान समाज’ बनाने पर केंद्रित था. उनके प्रोग्राम का सबसे बड़ा हिस्सा वंचित अमेरिकियों को मदद पहुंचाना, प्राकृतिक संसाधनों को बराबर से बांटना और अमेरिकी कंज्यूमर्स की रक्षा करना था. लेकिन गरीबी-विरोधी और भेदभाव-विरोधी नीतियों को लाने के बावजूद, अश्वेत बस्तियों में अशांति और दंगों ने देश को परेशान कर दिया.
ये भी थी वजह: अपने 1968 के संबोधन के आखिर में लिंडन बी. जॉनसन ने कहा था, ‘जब अमेरिका के बेटे दूर देश में हैं और जब अमेरिका का भविष्य यहीं घर में चुनौती का सामना कर रहा है, ऐसे में मुझे अपना एक घंटा या एक दिन भी अपना व्यक्तिगत काम को देना सही नहीं लगता. मैं अपना पूरा समय देश के राष्ट्रपति के महान कर्तव्यों को समर्पित करना चाहता हूं. इसलिए, मैं आपके राष्ट्रपति के रूप में एक और कार्यकाल के लिए अपनी पार्टी का नामांकन नहीं मांगूंगा और न ही इसे स्वीकार करूंगा.

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