जंग की आहट, आखिर अमेरिका किसका देगा साथ? ताइवान ने भी कर ली तैयारी
ताइवान की समुद्री सीमा के अंदर चीन मिलिट्री ड्रिल कर रहा है. ताइवान का कहना है कि ये ड्रैगन की उकसावे वाली कार्रवाई है. इसी बीच ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव बढ़ता ही जा रहा है. गुरुवार की सुबह शुरू हुए इस अभ्यास ने न सिर्फ चीन और ताइवान के बीच बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है. हालांकि, ताइवान ने भी जंग की तैयारी कर ली है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने चीन के अभ्यास का जवाब देने के लिए समुद्री, वायु और जमीनी सेना भेजी है. चीन के इस अभ्यास को दुनिया में एक नई जंग के तौर पर भी देख रही है.
लेकिन चीन की इस कार्रवाई से ताइवान डरा हुआ है ऐसा लग नहीं रहा है. ताइवान ने बताया कि देश की तरफ आने वाले चीन के सभी लड़ाकू विमानों और नौसैनिक जहाजों पर कड़ी नजर रखे हुआ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ताइवान ने 49 चीनी विमानों, 19 युद्धपोतों और सात तट रक्षक जहाजों का पता लगाया है. ताइवान सरकार ने ये भी साफ किया कि वो अपने देश की सुरक्षा करने में सक्षम है. उसने चीन के ऊपर एकतरफा सैन्य उकसावे और लोकतंत्र और आजादी को खतरे में डालने का आरोप लगाया.
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क्या ताइवान के लोग डरे हुए हैं?
एक तरफ ये डर बना हुआ है कि ताइवान पर चीन हमला भी कर सकता है या दोनों देशों के बीच जंग छिड़ सकती है. वहीं दूसरी ओर ताइवान में जीवन सामान्य रूप से चल रहा है. ऐसा लग रहा है मानों ताइवान के तकरीबन 2.3 करोड़ लोग चीन की सैन्य धमकी के आदी हो गए हों. स्थानीय लोगों में चीन का डर नजर नहीं आ रहा है. लोगों का कहना है कि अगर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान पर हमला भी करती है तो भी वो हमारे देश पर कब्जा नहीं कर पाएंगे. ताइवानी जंग से नहीं डरते हैं.
अमेरिका किसका देगा साथ?
किसी भी जंग में अमेरिकी की भूमिका क्या होगी, इसपर सबकी नजरें बनी रहती हैं. अगर ये जंग होती है तो अमेरिका किसका साथ देगा? बता दें कि अमेरिका ताइवान के साथ बहुत अच्छे संबंध रखता है. साथ ही अमेरिका, ताइवान को अपनी रक्षा मदद देने के लिए भी बाध्य है. अमेरिका भले ही बीजिंग की स्थिति को भी कबूल करता है कि ताइवान चीन का हिस्सा है. लेकिन उसने कभी द्वीप पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दावे को सपोर्ट नहीं किया है और न ही स्वीकारा है.
चीन क्यों कर रहा कार्रवाई?
चीन का अचानक से ताइवान पर आक्रामक होने, उस पर दबाव बनाने के पीछे क्या कारण है? बता दें कि कुछ दिनों पहले ही ताइवान में नए राष्ट्रपति विलियम लाई चिंग-ते ने शपथ ली थी. शपथ के बाद से ही वो चीन पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते नजर आए. उन्होंने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि ताइवान की स्वतंत्रता के लिए किसी भी प्रकार की अलगाववादी गतिविधियों को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. शायद यही वजह है कि चीन ने अपना जवाब इस सैन्य कार्रवाई से दिया है.