जमात-ए-इस्लामी से बैन हटा, जसीमुद्दीन रहमानी रिहा… जानें बांग्लादेश की यूनुस सरकार की मंशा

बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस हफ्ते में दो बड़े फैसले लिये हैं, जो भारत की दृष्टि से काफी अहम हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को इस्लामी जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध हटा लिया. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विरोध प्रदर्शन के दौरान जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही अंतरिम सरकार ने भारत-विरोधी उग्रवादी नेता अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी को पैरोल पर रिहा कर दिया है. इस अंसारुल्लाह ग्रुप का अल-कायदा ग्रुप से सीधा संबंध है. इसके परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताएं बहुत बढ़ गई हैं.
बता दें कि 15 फरवरी 2013 को राजीव हैदर नाम के एक बांग्लादेशी ब्लॉगर की ढाका में उसके घर के सामने हत्या कर दी गई थी. रहमानी को हत्या के आरोप में उसी साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें पांच साल जेल की सजा सुनाई गई. उन पर बांग्लादेशी कानून के तहत आतंकवाद का भी आरोप लगाया गया है.
अंसारुल्लाह बांग्ला टीम पर 2025 में लगा था बैन
रहमानी की अंसारुल्लाह बांग्ला टीम या एबीटी को 2015 में शेख हसीना के तहत बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था. बाद में इस उग्रवादी समूह ने अपना नाम बदलकर अंसार अल-इस्लाम रख लिया. अंसार अल-इस्लाम पर भी 2017 में हसीना सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था.

रहमानी को पिछले सोमवार को गाजीपुर की काशिमपुर सेंट्रल जेल से रिहा किया गया था. न केवल उन्हें रिहा कर दिया गया, बल्कि उन्हें बांग्लादेश सेना द्वारा अपने साथ ले जाया गया. अपनी रिहाई के बाद, उन्हें एक खुली छत वाली कार से समर्थकों को संबोधित करते देखा गया.
रहमानी पर आतंकवाद को मदद देने का आरोप
अंसारुल्लाह बांग्ला टीम लंबे समय से भारत में आतंकवाद का जाल फैलाने की कोशिश कर रही है. उनके कई कार्यकर्ताओं को पहले भी भारत में गिरफ्तार किया जा चुका है. असम पुलिस ने इस साल मई में भी गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से एबीटी के दो उग्रवादियों को गिरफ्तार किया था. एबीटी का भारत में प्रतिबंधित समूह ‘अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट’ से सीधा संबंध है.
लश्कर-ए-तैयबा समेत पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों ने पूर्वोत्तर भारत में आतंकवादी हमले करने के लिए साझेदारी की है. अनरुल्ला ने 2022 में लश्कर की मदद से भारत में आतंकी अड्डा भी स्थापित किया. उस वर्ष उनके लगभग 100 सदस्यों ने त्रिपुरा में घुसपैठ करने की कोशिश की थी. उसी रिहाई से भारत की चिंता बढ़ गई है.
जमात-ए-इस्लामी से हटा बैन
इसी के साथ ही अंतरिम सरकार ने बुधवार को जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटा लिया है. गृह मंत्रालय ने बुधवार को प्रतिबंध हटा दिया, जिससे पार्टी को अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू करने का रास्ता मिल गया. चुनाव लड़ने के लिए इसे अभी भी चुनाव आयोग में पंजीकृत होना होगा. बता दें कि जमात-ए-इस्लामी को कट्टर इस्मालिक पार्टी माना जाता है और वह पाकिस्तान समर्थित पार्टी मानी जाती है. ऐसे में जमात-ए-इस्लामी से बैन से भारत के लिए चिंता बढ़ गयी है.
भारत को लेकर जमात नेता ने कही ये बात
हालांकि बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर रहमान का कहना है कि उनकी पार्टी बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी भारत के साथ स्थिर और सौहार्दपूर्ण संबंध पक्षधर है, लेकिन उन्होंने पड़ोस की विदेश नीति पर भारत से फिर से पुनर्विचार करने का भी आग्रह किया. उनका कहना है कि द्विपक्षीय संबंधों का मतलब केवल एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करना ही नहीं होता है.
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर (प्रमुख) रहमान का कहना है कि बांग्लादेश को अतीत को पीछे छोड़कर चीन, अमेरिका और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ संतुलित और मजबूत संबंध बनाये रखना चाहिए.

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