जाकिर नाइक को भारत लाने पर मलेशिया के पीएम से हुई बात? ये है जवाब

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को जाकिर नाइक का करीबी माना जाता है. हालांकि 20 अगस्त को उनकी सरकार ने संकेत दिया कि विवादों में रहने वाले इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को वापस सौंपने के भारत के अनुरोध पर वो विचार कर सकती है. इसके लिए भारत को जाकिर नाइक के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने होंगे. इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर में एक बातचीत के दौरान अनवर इब्राहिम ने यह भी कहा कि इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने से नहीं रोकना चाहिए.
इसके साथ ही उन्होंने एक अहम सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मंगलवार यानी 20 अगस्त को हुई बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष की ओर से यह मुद्दा नहीं उठाया गया. मनी लॉन्ड्रिंग और नफरत फैलाने वाले भाषणों के जरिए उग्रवाद भड़काने के मामले में भारतीय अधिकारियों को जाकिर नाइक की तलाश है. उसने साल 2016 में ही भारत छोड़ दिया था. इस्लामिक उपदेशक को मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद की सरकार में मलेशिया में रहने की इजाजत दी गई थी.
पीएम मोदी ने उठाया था मुद्दा
इसके साथ ही अनवर इब्राहिम ने ये भी कहा कि सबसे पहले यह की भारतीय पक्ष की ओर से यह मुद्दा नहीं उठाया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मामले को कुछ साल पहले उठाया था. लेकिन मुद्दा यह है कि मैं एक व्यक्ति के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. मैं उग्रवाद की भावना और एक ऐसे मामले की बात कर रहा हूं, जो किसी व्यक्ति, ग्रुप, फंक्शन या पार्टी को अत्याचारों का सुझाव देते हैं.
द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा
मलेशिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी तरह के विचार और सबूत पेश करने के लिए तैयार है. हम आतंकवाद को नजरअंदाज नहीं करेंगे. इस पर हम सख्त रहे हैं और हम आतंकवाद के खिलाफ इनमें से कई मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह एक मामला हमें आगे सहयोग करने और हमारे द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने से रोक सकता है.
इजराइल-हमास युद्ध पर क्या कहा
इब्राहिम ने गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों की भी आलोचना की और समग्र स्थिति को वेस्ट का सरासर पाखंड बताया. उन्होंने कहा कि गाजा में इजराइली सेना का अत्याचार असल है, जिसमें 40,000 लोग मारे गए. हमें एक क्लियर मैसेज देना चाहिए कि यह पाखंड समाप्त होना चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह चौंकाने वाला है और मैं इसे सरासर पाखंड कहता हूं. यह लंबे समय से चला आ रहा है लेकिन इसे खत्म करना होगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पीड़ित मुस्लिम हैं या ईसाई या हिंदू या बौद्ध या कुछ और वह इंसान हैं और इस दौर में हमारे लिए यह कहना कि मुझे माफ करें कुछ नहीं किया जा सकता. एक तरह से ये भी अत्याचार है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *