जाट+ अदर पर नजर…इस फॉर्मूले से लगातार तीसरी बार हरियाणा का रण जीतेगी BJP?
बीजेपी हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी है. उसे इस बार कांग्रेस से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को आगे करके कांग्रेस जाट समुदाय का वोट तय मान कर चल रही है. कांग्रेस को जहां जाट, मुस्लिम और दलित के समीकरण पर भरोसा है, वहीं बीजेपी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ज्यादा से ज्यादा समुदाय को लुभाने की तैयारी कर रही है.
बीजेपी एक तरफ जहां हरियाणा की सबसे बड़ी आबादी जाटों को लुभाने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ दलितों और ओबीसी के साथ-साथ ब्राह्मण, पंजाबी, जाट, सिख, राजपूत, गुर्जर जैसे अन्य समुदायों को भी जोड़ने की कोशिश कर रही है. बीजेपी की रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि जो समुदाय पूरी तरह से साथ नहीं है, उनमें ज्यादा से ज्यादा वोटों का बिखराव पैदा किया जाए.
जयंत चौधरी को आगे करने जा रही है बीजेपी
यही वजह है कि जाट वोट बैंक में सेंघ लगाने के लिए बीजेपी हरियाणा से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों और किसानों की पार्टी माने जाने वाले जयंत चौधरी को आगे करने जा रही है. हरियाणा में जाटों की आबादी 22 फीसदी से ज्यादा है. बीजेपी जयंत चौधरी की पार्टी रालोद को हरियाणा में कुछ सीटें देकर जाट वोटरों को संदेश देना चाहती है. साथ ही हरियाणा के चुनाव प्रचार में भी बीजेपी जयंत चौधरी को उतारेगी.
जाट वोटरों को लुभाने या यूं कहें कि सेंध लगाने के लिए मुख्यमंत्री सैनी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जाटों का शोषण करने का आरोप लगा रहे हैं. सैनी ने कहा कि हुड्डा 2005-2014 के बीच 2 बार मुख्यमंत्री रहे. इस दौरान हुड्डा ने जाटों का शोषण किया. सैनी तो यह भी कह रहे हैं कि उन्होंने हाल ही में तोशाम में एक रैली की थी. इसमें जाट समाज ने खुले तौर पर हाथ उठाकर कहा कि वो बीजेपी को वोट देंगे.
अनुसूचित जाति को साधने की कवायद
इसके साथ ही पार्टी राज्य में जीत हार में अहम भूमिका निभाने वाले अन्य समुदायों पर भी फोकस कर रही है. जाट के बाद हरियाणा में सबसे बड़ी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है. इनकी तादाद 21 फीसदी के लगभग है. पार्टी को अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं के सहारे दलितों का वोट मिलने की उम्मीद है.
बीजेपी की रणनीति यह है कि अभय चौटाला व मायावती और दुष्यंत चौटाला एवं चंद्रशेखर के दोनों गठबंधनों पर ज्यादा से ज्यादा हमला बोल कर दलित और जाट वोट बैंक में बंटवारा किया जाए. वहीं हुड्डा और कुमारी शैलेजा के बीच मतभेद को उभार कर कांग्रेस को दलित विरोधी साबित किया जाए.
ब्राह्मण समुदाय को लुभाने के लिए बडौली को कमान
सैनी ने जाटों को देशभक्त बताकर जाट के साथ-साथ किसान समुदाय का भी भरोसा जीतने की कोशिश की है. ओबीसी समुदाय को लुभाने के लिए पार्टी के पास ओबीसी का मुख्यमंत्री चेहरा है ही. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि ओबीसी समाज एकजुट होकर उसे वोट करेगा. राज्य की आबादी में 7.5 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले ब्राह्मण समुदाय को लुभाने के लिए ही पार्टी ने अपने ब्राह्मण नेता मोहन लाल बडौली को हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
इसके साथ ही पार्टी 8 फीसदी वाले पंजाबी, 5 फीसदी वाले वैश्य, 4 फीसदी वाले जाट सिख, 3.5 फीसदी वाले राजपूत और लगभग इतनी ही संख्या वाले गुर्जर और अन्य समुदाय को लुभाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के नेताओं को अलग अलग इलाकों में जिम्मेदारी दे रखी है.