जातीय जनगणना बिल्कुल नहीं होनी चाहिए…कंगना के बयान पर विवाद, कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा
बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत विवादों में बनी हुई हैं. किसानों पर बयान देकर विपक्ष के निशाने पर आईं मंडी से सांसद कंगना पर कांग्रेस ने नया आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के मुताबिक, कंगना ने कहा है कि जातीय जनगणना नहीं होनी चाहिए. बयान से साफ है कि बीजेपी जातीय जनगणना के खिलाफ है.
सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर कर ये आरोप लगाया. उन्होंने कंगना के एक इंटरव्यू का वीडियो शेयर किया, जिसमें कंगना कह रही हैं कि देश में जातिगत जनगणना बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, कंगना के बयान से साफ है कि BJP जाति जनगणना के खिलाफ है. क्या यह BJP का अधिकृत स्टैंड है. कब तक BJP दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों का हक मारेगी. आप मत कराइए, हम कराएंगे जातिगत जनगणना.
BJP जातिगत जनगणना के ख़िलाफ़ है और बिलकुल नहीं करायेगी
यह BJP सांसद कंगना रनौत जी ने साफ़ कर दिया है
सवाल है:
• क्या यह BJP का अधिकृत स्टैंड है?
• कब तक BJP दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों का हक़ मारेगी?
आप मत कराइए, हम कराएँगे जातिगत जनगणना pic.twitter.com/n2C4GuFel0
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) August 28, 2024
कंगना ने की जेपी नड्डा से मुलाकात
इस बीच, कंगना रनौत दिल्ली में हैं. उन्होंने गुरुवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. किसानों पर दिए बयान के विवाद और इस नए आरोपों के बीच ये मुलाकात हुई है. कंगना और जेपी नड्डा की मुलाकात करीब 15-20 मिनट चली.
विवादों में कंगना रनौत
कंगना ने हाल ही में कहा था कि अगर देश का नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो भारत में ‘बांग्लादेश जैसी स्थिति’ पैदा हो सकती थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान वह शव लटक रहे थे और बलात्कार हो रहे थे. जाट किसान बहुल हरियाणा में विधानसभा चुनाव के तहत आगामी एक अक्टूबर को मतदान होने जा रहा है, ऐसे में विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधा.
इस बीच बीजेपी ने अपनी सांसद के विचारों से असहमति व्यक्त की और यह स्पष्ट किया कि उन्हें पार्टी के नीतिगत मामलों पर टिप्पणी करने की न तो अनुमति है और न ही वह इसके लिए अधिकृत हैं. हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य स्थानों के हजारों किसानों ने कृषि कानूनों (अब निरस्त) को लेकर कई महीनों तक दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन किया था.