जानिए एमपी की मोहन सरकार के बजट पर क्यों मचा घमासान, कांग्रेस ने लगाए ये आरोप

मध्य प्रदेश में जमकर आदिवासी पॉलिटिक्स चल रही है. हाल ही में मोहन सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया है. इसमें ST-SC विभाग के पैसे को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है. इस बजट का इस्तेमाल गौ संवर्धन बोर्ड के लिए किया जा रहा है. प्रदेश में बन रहे देवलोकों के लिए भी ये बजट है. दूसरी तरफ कांग्रेस से बीजेपी में आए मंत्रियों के पास जो विभाग हैं, उनका बजट 75 हजार करोड़ रुपये है, जबकि बीजेपी के पुराने 5 मंत्रियों के विभाग का कुल बजट 500 करोड़ रुपये है .
कांग्रेस का आरोप है कि बजट में जो हिस्सा अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विकास के लिए आवंटित था, वही हिस्सा गायों और मंदिरों के लिए सरकार ने आवंटित कर दिया. मोहन सरकार ने 3 लाख 64 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया है. जानकारी के मुताबिक, पशुपालन विभाग की तरफ से 252 करोड़ रुपये गौ संवर्धन बोर्ड के लिए आवंटित किए गए थे. इसमें से 95 करोड़ रुपये अनुसूचित जाति और जनजाति को आवंटित होना था, मगर वो गौ संवर्धन बोर्ड को दिया गया.
ST-SC फंड से 58 करोड़ रुपये दिए गए
इसके अलावा संस्कृति विभाग के 5 स्मारकों और मंदिरों के निर्माण के लिए भी ST -SC फंड से 58 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसमें सलकनपुर का देवी लोक, रामराजा महालोक, राम चंद्र वनवासी महालोक सहित अन्य लोक शामिल हैं. दो दिन पहले ही बीजेपी के आदिवासी मंत्री नागर सिंह चौहान से वन और पर्यावरण विभाग छीनकर कांग्रेस से बीजेपी में आए राम निवास रावत को दे दिया गया.
हमने हर वर्ग के लिए पर्याप्त बजट रखा है
इसे भी कांग्रेस आदिवासियों के अपमान से जोड़ रही है. कांग्रेस का कहना है कि जब से राहुल गांधी हाथ में संविधान लेकर घूम रहे हैं, तब से ही बीजेपी घबराई हुई है. मोहन सरकार में मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि कांग्रेस को न तो बजट समझ आता है और न ही बजट में आवंटित विभागों का बजट. हमने हर वर्ग के लिए पर्याप्त बजट रखा है. नागर सिंह चौहान हमारे नेता हैं, उनकी मुख्यंमंत्री से मुलाकात हुई है. नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है.

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