जिनपिंग से हाथ मिलाते ही पुतिन ने खींच दी बड़ी लकीर, SCO के मंच से NATO को दिया संदेश?

सेंट्रल एशियाई देशों के सबसे बड़े संगठन SCO (Shanghai Cooperation Organisation) का 24 वा समिट कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में हो रहा है. SCO 10 देशों का संगठन हैं, जिसमें इस साल यूरोपीय देश बेलारूस भी शामिल हो गया है. चीन और रूस के वर्चस्व वाले इस संगठन को G7 और नाटों जैसे संगठनों का बदल के रूप में देखा जाता है. ये समिट अमेरिका के स्वतंत्र दिवस के मौके पर हो रहा है और इसमें व्लादिमीर पुतिन दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के बाद कहा, “मैं याद दिलाना चाहूंगा कि शंघाई सहयोग संगठन के निर्माण के पीछे हमारे देश थे. हमने SCO का विस्तार करके मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर (बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था) को मजबूत किया है.” पुतिन ने कहा कि SCO मल्टीपोलर वर्ल्ड में एक बड़ी ताकत के तौर पर उभर रहा है.
क्या है SCO?
SCO की स्थापना 15 जून 2001 में की गई थी. शुरुआत में इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान ही थे. 2001 में इस संगठन को शंघाई फाइव से शंघाई सहयोग संगठन करने के बाद उज्बेकिस्तान को इसमें शामिल किया गया. भारत और पाकिस्तान 2017 में SCO के सदस्य बने और ईरान ने पिछले साल 2023 में इसकी सदस्यता ली. 2024 के समिट में बेलारूस के शामिल होने के बाद इस के सदस्य देशों की संख्या 10 हो गई है.
इस संगठन के सदस्य देश आपसी विश्वास और अच्छे पड़ोसी संबंधों को मजबूत करना, राजनीति, व्यापार और अर्थव्यवस्था, विज्ञान और तकनीक, संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी नहीं हुए शामिल
इस समिट में शामिल होने के लिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी को भी न्योता दिया गया था. लेकिन वे किसी कारणवश इस समिट में हिस्सा नहीं ले पाए हैं. भारत की ओर से विदेश मंत्री जयशंकर समिट में शामिल हुए हैं. बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 जुलाई को रूस के लीडर पुतिन से मिलने के लिए रूस जाएंगे.

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