जिस देश को पसंद करने लगे हैं भारतीय, वो कश्मीर पर क्यों दे रहा आक्रामक बयान?
पाकिस्तान कश्मीर का रोना रोता रहता है. वो ऐसा मुल्क है जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर मुद्दे को उठा चुका है, लेकिन हर तरफ से उसे झटका ही मिलता रहा है. हालांकि कुछ मुस्लिम देश हैं जो इस मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करते हैं. इस लिस्ट में तुर्की तो शामिल है ही, साथ ही इसमें अजरबैजान भी है. इस मुस्लिम देश ने तो कश्मीर को लेकर बड़े ही आक्रामक भाषा का इस्तेमाल किया है. अजरबैजान वो मुल्क है जो भारतीयों के बीच काफी मशहूर है. घूमने के लिहाज से ये देश भारतीयों की पसंद बनता जा रहा है. अजरबैजान की राजधानी बाकू है और ये उसका सबसे बड़ा शहर है. ये शहर भारतीयों के आकर्षण केंद्र बन रहा है.
दरअसल, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव हाल ही में पाकिस्तान के दौरे पर गए थे. यहां पर उनका विशेष स्वागत किया गया. अलीयेव जैसे ही पाकिस्तान के एयरस्पेस में पहुंचे वैसे ही पाकिस्तान की वायुसेना ने उन्हें घेर लिया. ये सब उनके सम्मान के लिए किया गया. पाकिस्तान ने ऐसा ईरान के लिए भी नहीं किया था. यही नहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अलीयेव को रिसीव करने एयरपोर्ट भी पहुंचे थे. उन्होंने प्रोटोकाल को तोड़ते हुए ऐसा किया.
कश्मीर पर बोलने से खुद को नहीं रोक पाए
ऐसे स्वागत के बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति कश्मीर पर भी बोलने से भी खुद को नहीं रोक पाए. उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की बात की. उन्होंने भारत का बिना नाम लिए आरोप लगाया कि कश्मीरियों के अधिकारों का अनदेखी और उल्लंघन हो रहा है.
Our brotherhood is based on deep feelings between our peoples towards each other, which go back to centuries. pic.twitter.com/wNyBtRLeCZ
— Ilham Aliyev (@presidentaz) July 12, 2024
अजरबैजान के राष्ट्रपति ने ऐसा बयान देकर भारत को सीधी चुनौती दी है, क्योंकि 2025-2026 में पाकिस्तान जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में टेंपररी मेंबर बनकर बैठेगा. दो साल तक वो इसका सदस्य रहेगा. ऐसे में वो बार-बार कश्मीर का रोना रोएगा. अजरबैजान ने अपने बयान से बता दिया है कि वो कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ देगा.
अजरबैजान भारत विरोधी क्यों हो गया?
अजरबैजान मुस्लिम देश है. इसका विवाद अर्मेनिया से चल रहा है. दोनों देशों के बीच में हाल में जंग भी हुई थी. हालांकि उस जंग में अजरबैजान भारी पड़ा था. पाकिस्तान हमेशा से अजरबैजान का समर्थन करता रहा है. पाकिस्तान दुनिया का इकलौता देश है जो अर्मेनिया को देश मानता भी नहीं है. पाकिस्तान दशकों से अजरबैजान का समर्थन करता रहा है तो अजरबैजान को कश्मीर को लेकर उसके पक्ष में बोलना मजबूरी बन गया.
भारत और अजरबैजान के बीच संबंधों की बात करें तो दोनों देशों के संबंध अच्छे रहे हैं, लेकिन भारत अपनी दोस्ती अर्मेनिया से भी बढ़ा रहा है. भारत अर्मेनिया को हथियार बेचना शुरू कर दिया है. अर्मेनिया को हथियार देना अजरबैजान को पसंद नहीं आ रहा है. अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने हाल ही में बयान भी दिया था. उन्होंने भारत से मांग की है कि वो आर्मेनिया को हथियार देना बंद करे. अलीयेव ने कहा, यह हमारी देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. भारत आर्मेनिया को हमारे खिलाफ जाकर हथियार सप्लाई कर रहा है, ऐसे में हम हाथ पर हाथ रखकर बैठे नहीं रह सकते.
फ्रांस के साथ मिलकर भारत तीन देशों का एक समूह भी तैयार कर रहा है, जिसका हिस्सा अर्मेनिया भी हो सकता है. भारत और अर्मेनिया के संबंध मजबूत होने से तुर्की पर भी दबाव बढ़ेगा, क्योंकि तुर्की और अर्मेनिया के संबंध भी काफी खराब हैं. भारत और अर्मेनिया की बढ़ती दोस्ती अजरबैजान को पसंद नहीं आ रही है और यही वजह है कि वो खुलकर पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है.