जिस देश को लोहा और स्टील सप्लाई करता है भारत वहां सरकार के लिए चाकू क्यों बन गया आफत?

जर्मनी, भारत से बड़े पैमाने पर लोहा और स्टील आयात करता है, पिछले साल ही इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच करीब 421 मिलियन डॉलर का कारोबार हुआ. इतनी बड़ी मात्रा में लोहा और स्टील आयात करने वाले देश के लिए अब चाकू बड़ा सिरदर्द बन गया है.
दरअसल जर्मनी में बीते शुक्रवार को हुई चाकूबाज़ी की घटना के बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ गईं हैं. विपक्ष लगातार अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है. वहीं सोलिंगन की घटना के करीब एक हफ्ते बाद जर्मनी सरकार ने एक सख्त फैसला लिया है.
जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फैजर ने कहा है कि सरकार चाकू रखने पर नियंत्रण लगाएंगी वहीं अवैध प्रवासियों के लिए सहूलतों में भी कटौती की जाएगी.
चाकूबाज़ी में गई थी 3 की जान
दरअसल बीते शुक्रवार को जर्मनी के सोलिंगन शहर में एक कार्यक्रम के दौरान चाकूबाज़ी की घटना हुई, इसमें 3 लोगों की मौत हो गई, वहीं 8 लोग घायल हो गए. हमले की जिम्मेदारी ISIS ने ली थी, मामले में पुलिस ने इस्लामिक स्टेट से जुड़े एक 26 साल के सीरियाई युवक को गिरफ्तार कर लिया है.
चाकूबाज़ी की इस घटना ने जर्मनी में प्रवासियों को लेकर बहस छेड़ दी है, रविवार को होने वाले अहम स्थानीय चुनाव से पहले सरकार पर इस तरह की घटनाओं को लेकर कड़ा एक्शन लेने और सख्त कार्रवाई करने का दबाव है.
सार्वजनिक कार्यक्रमों में चाकू पर बैन
आंतरिक मामलों की मंत्री फैजर ने कहा है कि चाकूबाज़ी की घटना ने हमें अंदर से हिला दिया है. इस हमले ने कठोर उपायों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है, जिसके तहत हथियारों पर नियंत्रण को कड़ा करना और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना शामिल है.
उन्होंने कहा है कि जर्मनी में अब किसी भी तरह के कार्यक्रम के दौरान चाकू रखना प्रतिबंधित होगा, हालांकि हॉस्पिटालिटी से जुड़े लोगों और कलाकारों को इसमें छूट दी गई है. दरअसल सोलिंगन शहर में स्थापना दिवस का कार्यक्रम चल रहा था, इस समारोह में करीब 80 हज़ार लोग शामिल थे. यही वजह है कि अब जर्मनी सरकार ने किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रमों में चाकू रखने पर पाबंदी लगा दी है.
मंत्री फैजर ने बताया है कि लंबी दूरी की ट्रेनों में चलने वाले यात्रियों के चाकू रखने पर भी बैन लगा दिया गया है. साथ ही लोगों की तलाशी और जांच के लिए पुलिस को मिलने वाले अधिकारों में बढ़ोत्तरी की गई है.
पुलिस को चकमा दे चुका है हमलावर
जानकारी के मुताबिक सोलिंगन हमले का आरोपी शनिवार को हिरासत में लिए जाने से पहले पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा. संदिग्ध को बुलगारिया डिपोर्ट किया जाना था, जहां वह पहली बार यूरोपीय संघ में आया था. लेकिन उसे डिपोर्ट करने का अभियान असफल हो गया क्योंकि वह लापता हो गया था.
आरोपी ने डिपोर्ट किए जाने से पहले जिस तरह आसानी से पुलिस-प्रशासन को चकमा दिया, उससे सरकार पर अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने का दबाव बढ़ गया है. न्याय मंत्री बुशमैन ने कहा है कि पूरी प्रक्रिया की जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा है कि इस प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए, ताकि हम लोगों को और अधिक तेज़ी से डिपोर्ट कर सकें. बुशमैन ने कहा कि ऐसे मामले, जिनमें किसी व्यक्ति को इसलिए डिपोर्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि अधिकारी उसे ढूंढ़ने में असमर्थ हैं, ये खत्म होने चाहिए.
इसके अलावा आंतरिक मामलों की मंत्री ने कहा है कि भविष्य में जर्मनी यूरोपीय संघ के अन्य देशों में निर्वासित किए जाने वाले प्रवासियों को मिलने वाला भुगतान देने से इनकार कर सकती है. फैजर ने यह भी संकेत दिया कि सरकार तुरंत डिपोर्ट किए जाने की प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर करने की भी कोशिश कर रही है.
विपक्षी दल ने सरकार पर साधा निशाना
उधर जर्मनी की मुख्य विपक्षी पार्टी CDU ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है. CDU ने सरकार से प्रवासियों की संख्या को सीमित करने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है. CDU के नेता कार्स्टन लिनमैन ने कहा है कि जर्मनी की सरकार अवैध प्रवासियों के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है. उन्होंने सरकार के उठाए गए कदमों को नाकाफी बताया है.

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