जिस मुद्दे पर हमेशा अलर्ट रहता है भारत, पहली पॉलिसी स्पीच में उसी को टच कर गए बांग्लादेश के नए प्रधानमंत्री

बांग्लादेश की आंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने पहली बार अपनी पॉलिसी को लेकर भाषण दिया है. उनके इस भाषण से साफ हो गया है कि वे अपने नेतृत्व में बांग्लादेश को किस दिशा में ले कर जाने वाले हैं. उन्होंने अपने पहले पॉलिसी भाषण में पड़ोसी देश से होने वाली समस्या के साथ-साथ देश की आर्थिक मजबूती पर भी ध्यान दिया है.
मोहम्मद यूनुस ने रविवार को राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों के सामने अपनी प्राथमिकताएं बताते हुए वादा किया कि उनकी सरकार “बांग्लादेश में शरण लिए हुए दस लाख से ज्यादा रोहिंग्या लोगों की मदद करना जारी रखेंगे.” इसके अलावा उन्होंने बांग्लादेश के गारमेंट्स कारोबार को बनाए रखने की भी बात कही.
रोहिंग्या मदद अभियान को मजबूत करने की मांग
मोहम्मद यूनुस ने म्यांमार से आए रोहिंग्या को लेकर कहा, “हमें रोहिंग्या लोगों की मदद के लिए मानवीय अभियानों को और मजबूत करना चाहिए और उनकी अपने वतन वापसी के लिए मिलकर कोशिश करनी चाहिए,”.
बांग्लादेश में लगभग दस लाख रोहिंग्या रहते हैं. इनमें से ज्यादातर 2017 में पड़ोसी म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के बाद भाग कर यहां आए हैं, म्यांमार सेना की इस कार्रवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक अदालत नरसंहार का केस चल रहा है.
इस महीने की शुरुआत में मेडिकल चैरिटी डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा कि पश्चिमी रखाइन राज्य में सेना और विद्रोही अराकान आर्मी (AA) के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच म्यांमार से और ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश आ रहे हैं. बयान में ये भी कहा गया कि आने वाले रोहिंग्याओं में कई घायल है और घायलों में 40 फीसद से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं.
रोहिंग्या और भारत
रोहिंग्या एक ऐसा मुद्दा जिसे लेकर भारत में हमेशा चर्चा रहती है और देश की एजेंसियां अलर्ट भी रहती हैं. इसके अलावा, रोहिंग्या के मुद्दे पर देश में सियासत भी होती रहती है. इस साल जनवरी में मिजोरम से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की मांग उठी थी, जिसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने अपने अधिकारिक बयान में कहा था, “मैं मिजोरम के लोगों को यह बताना चाहता हूं कि केंद्र सरकार राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को तब तक निर्वासित नहीं करेगी, जब तक वहां (मिजोरम) सामान्य स्थिति नहीं लौट जाती.
रोंहिग्या (फाइल फोटो)
इसके अलावा रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को समय-समय भारतीय राजनेताओं द्वारा भुनाया जाता रहा है. जून में आए एग्जिट पोल से उत्साहित होकर बीजेपी नेता अमर कुमार बाउरी ने कहा था कि देश के प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनेंगे, इसके बाद भारत में घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या व बांग्लादेशियों को चिन्हित कर देश से भगाया जाएगा.
प्रदर्शनों से प्रभावित हुआ कपड़ा उद्योग
शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के लिए तीन हफ्तों से ज्यादा चले विरोध प्रदर्शनों से देश का कपड़ा उद्योग खासा प्रभावित हुआ है. जिसकी वजह से बांग्लादेश से इंपोर्ट करने वाले देश दूसरे देशों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं. यूनुस ने कहा कि हम कपड़ा उद्योग को ऐसे ही देश का मुख्य कारोबार बनाए रखेंगे और इसको बाधित करने वाले किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेंगे.
बांग्लादेश के अंदर करीब 3,500 कपड़ा फैक्ट्रियां हैं. देश के एक्पोर्ट में कपड़ा कारोबार की 85 फीसद हिस्सेदारी है. बांग्लादेश सालाना करीब 55 बिलियन डॉलर का कपड़ा एक्सपोर्ट करता है.
मरने वाले प्रदर्शनकारियों को मिलेगा इंसाफ
अपनी पॉलिसी के पहले भाषण में यूनुस ने प्रदर्शनों में मरने वालों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पिछले महीने में, हमारे हज़ारों बहादुर छात्र और लोग शेख हसीना की क्रूर तानाशाही के खिलाफ उठ खड़े हुए, मैं उनकी मौतों की जांच करने और इंसाफ दिलाने का वादा करता हूं. बता दें कि छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कार्रवाई करीब 450 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.

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