जीका वायरस का बढ़ा खतरा, आईसीएमआर ने जारी की नई गाइडलाइन, ये टेस्ट कराने की दी सलाह
पिछले कुछ दिनों से जीका वायरस के मामलें पुणे में बढ़ रहे हैं. कुछ अन्य राज्यों में भी इसके संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने जीका वायरस को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. इसमें राज्यों को डेंगू और चिकनगुनिया की जांच बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. आईसीएमआर ने सभी राज्यों को जीका की स्क्रीनिंग बढ़ाने और इस संक्रमण को लेकर अलर्ट रहने को कहा है.
भारत में जीका वायरस के केस गिनती के ही आते हैं, फिर भी आईसीएमआर ने यह दिशा- निर्देश क्यों जारी किए हैं? आइए इस बारे में जानते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि देश के अधिकतर राज्यों में मानसून आ गया है तो जीका वायरस के केस और भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. जीका भी मच्छर के काटने से फैलता है और बारिश में इस वायरस के मच्छर पनप सकते हैं. ऐसे में आईसीएमआर ने नई गाइडलाइन जारी की है. इसमें राज्यों से कहा गया है कि डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण वाले मरीजों में जीका वायरस का टेस्ट भी किया जाएगा.
क्या है जीका वायरस
लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग में एचओडी डॉ. एलएच घोटेकर बताते हैं कि जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. यही मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलाता है. हालांकि डेंगू की तुलना में जीका वायरस के लक्षण हल्के होते हैं. स्किन पर दाने, आंखों का लाल होना, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द की समस्या जीका वायरस के लक्षण हो सकते हैं.
किनको होता है अधिक खतरा
जीका वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक है. इससे नवजात शिशुओं को भी खतरा रहता है. इसके संक्रमण से बच्चे के मानसिक विकास में परेशानी आ सकती है. गर्भवती महिलाओं में भी जीका के केस देखे जा रहे हैं. ऐसे में आईसीएमआर ने राज्यों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है.
क्यों बढ़ रहें जीका के मामलें ?
बारिश के मौसम में जल भराव के कारण मच्छर तेजी से पनपते हैं. इस मौसम में नमी भी मच्छरों के जीवन को बढ़ा देती है. मानसून के दौरान घरों में पानी की टंकियों, कूलरों, और अन्य चीजों में पानी जमा हो जाता है. इससे भी मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है. इससे जीका वायरस, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियां पनपने लगती हैं.
कैसे करें बचाव
मच्छरदानी का उपयोग करें.
आस-पास पानी जमा न होने दें.
पानी के कंटेनरों को ढककर रखें.
मॉस्किटो रिपेलेंट क्रीम लगाएं.