जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर का निधन, पीएम मोदी भी ले चुके हैं आशीर्वाद; जानें कैसे बने ‘पायलट बाबा’

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. लंबी बीमारी के चलते इन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आखिरी सांस ली. ये देश के काफी जाने माने संत है. इन्हें हरिद्वार में समाधि दी जाएगी. इनका पायलट से बाबा बनने का सफर काफी रोचक है. ये बाबा से पहले भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर की भूमिका निभाते थे. बाबा सेना में रहते हुए 1965 और 1971 की जंग में एक अहम भूमिका निभा चुके थे. ये 1957 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थें.
पायलट बाबा के निधन पर श्रीमहंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी थे और देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. सेना की नौकरी के 1974 में ये विधिवत तरीके से दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए. इसके बाद इनके संन्यास यात्रा शुरू हो गई. पायलट बाबा जूना अखाड़े के भी कई पदों पर रहें. इस दौरान अखाड़े की उन्नति के लिए ही नो हमेशा काम करते रहे हैं. साल 1998 में महामंडलेश्वर पद ग्रहण होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया.
हरिद्वार में दी जाएगी समाधि
श्री महंत हरि गिरी महाराज ने बताया कि पायलट बाबा की आखिरी इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी. जूना अखाड़े के पदाधिकारी और वरिष्ठ संत, महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए पहुंचेंगे. हरिद्वार के एक अखाड़े में पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.
कौन थे पायलट बाबा?
बिहार में एक राजपूत परिवार में जन्म लेने वाले कपिल सिंह ने बाबा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. इसके बाद ये भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए. ये इसमें विंग कमांडर के पद पर तैनात थे. इस पद पर तैनात रहते हुए इन्होंने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाइयां लड़ी हैं. इसके लिए इन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है. लेकिन अचानक इनके जीवन में एक परिवर्तन आ गया. इसके बाद ये लड़ाई से दूर शांति और अध्यात्म की तरफ झुकने लगे. इसके पीछे भी एक कहानी है.
पायलट से ‘पायलट बाबा’ का सफर
साल 1996 में जब वो भारत के पूर्वोत्तर में मिग विमान उड़ा रहे थे, तब उनके साथ एक हादसा हुआ था. उनका विमान ने नियंत्रण खो दिया था. उसी दौरान बाबा को उनके गुरु हरि गिरी महाराज का दर्शन प्राप्त हुए और वे उन्हें वहां से सुरक्षित निकाल लाए. यहीं वो क्षण था जब बाबा को वैराग्य प्राप्त हो गया और वे सेना की लड़ाई से दूर अध्यात्म की दुनिया में चले गए. उनके जीवन की इसी कड़ी ने उन्हें पायलट से पायलट बाबा बना दिया.
पीएम मोदी भी ले चुके हैं आशीर्वाद
पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार भी पायलट बाबा से आशीर्वाद ले चुके हैं. महायोगी पायलट बाबा के भारत के साथ-साथ जापान और यूरोप में भी कई आश्रम हैं. भारत में उनके हरिद्वार, नैनीताल, सासाराम और उत्तरकाशी जैसे जगहों पर कई आश्रम हैं. पायलट बाबा ने करीब आधा दर्जन पुस्तक भी लिखी है. इसमें ‘कैलाश मानसरोवर’, ‘ज्ञान के मोती’, ‘हिमालय के रहस्यों को जानें’, आदि शामिल हैं.

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