जूलियन असांजे… हीरो या विलेन? जो अमेरिका के आगे नहीं झुका, कैद में रहा 1901 दिन
जूलियन असांजे. दुनिया इस शख्स के बारे में अलग-अलग राय रखती है. हजारों लोगों के लिए वो एक मसीहा है, व्हिसल ब्लोअर है, अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाला क्रांतिकारी है, तो वहीं कितनी ही शक्तियों के लिए वो एक खलनायक है, जिसने उनकी कारस्तानियां दुनिया के सामने लाकर रख दीं. लेकिन यहां बात सही और गलत की नहीं हो रही. न ही इस बात की जूलियन एक हीरो है या विलेन? यहां हम आपको उस इंसान की कहानी बताएंगे जिसने जानकारियों के दम पर सत्ता को ऐसी चुनौती दी कि उसे 2 बाई 3 मीटर के एक कमरे में 1901 दिन कैद होकर बिताने पड़े.
ये वही असांजे हैं जिसने दुनिया को बताया कि तमाम देशों में डेमोक्रेसी लेकर आने का दावा करने वाला अमेरिका उतना भी दूध का धुला नहीं है. असांजे ने ही ड्रोन फुटेज रिलीज कर दुनिया को दिखाया था कि कैसे आतंकवाद पर चोट के नाम पर अमेरिका बेगुनाहों को अपना निशाना बना रहा था. कैसे अमेरिकी सैनिकों ने ईराक और अफगानिस्तान में जंग के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम दिया. कैसे इन देशों की महिलाओं, बच्चों और बेगुनाहों को निशाना बनाया गया. यहां तक कि समर्पण करने वाले सैनिकों का भी कत्ल कर दिया गया.
विकीलीक्स के जरिए कई बड़े खुलासे
जूलियन असांजे के नाम के साथ एक नाम और जुड़ा है- विकीलीक्स. एक वक्त था जब विकीलीक्स के केबल दुनिया भर में खबरों में रहते थे. ये केबल्स और कुछ नहीं बल्कि वो खुलासे थे जो असांजे और उनके साथी की ओर से इकठ्ठा की गई जानकारियों के दम पर दुनिया के सामने रखते थे. विकीलीक्स का दावा है कि वो अब तक 12 मिलियन से ज्यादा क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स लीक कर चुकी है, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन समेत तमाम देशों की खुफिया जानकारी मौजूद है. इन एक के बाद एक हो रहे खुलासों के चलते पूरी दुनिया का ध्यान जूलियन असांजे पर था.
भयानक दबाव के चलते जूलियन खुद को अपने देश आस्ट्रेलिया में सुरक्षित नहीं पा रहे थे. उन्होंने वहां से निकलना ही ठीक समझा और स्वीडन पहुंच गए. स्वीडन में उन्हें गिरफ्तार किया गया लेकिन वो जमानत पर बाहर आ गए. यहां से वो लंदन पहुंचे जहां उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया और जिसकी जेल से वो 5 साल से भी ज्यादा समय के बाद बाहर निकले.
अमेरिका ने स्वीडन को बनाया मोहरा
अमेरिका को लेकर असांजे के खुलासे दुनियाभर में तहलका मचा रहे थे तो वहीं अमेरिकी सरकार इन सभी खबरों और जानकारियों को झूठा बता रही थी. बाद में जब सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स एक-एक करके सभी के सामने आने लगे तो अमेरिका हड़बड़ा गया. उसे इस बात का खतरा महसूस होने लगा कि अगर ये जानकारी दुश्मन देश या आतंकियों के हाथ लगी तो बड़ी गड़बड़ी हो सकती थी. लेकिन वो असांजे को किस जुर्म में गिरफ्तार करे, समझ नहीं आ रहा था. इसके लिए अमेरिका ने एक चाल चली. स्वीडन को मोहरा बनाकर असांजे के खिलाफ दो गंभीर मामले दर्ज करवाए. दोनों ही मामले सेक्शुअल क्राइम से जुड़े थे.
नवंबर 2010 में स्वीडन की अपील पर असांजे को लंदन में गिरफ्तार किया गया. बताया गया कि उन पर स्वीडन की दो महिलाओं ने रेप का आरोप लगाया था. असांजे ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए, इसे अमेरिकी षड्यंत्र बताया. एक इंटरव्यू में असांजे ने कहा कि अमेरिका स्वीडन का इस्तेमाल कर उसे गिरफ्तार करना चाहता था, इसलिए ऐसा झूठा केस बनाया गया था. न्यायिक प्रक्रिया के बाद उन्हें लंदन हाईकोर्ट से बेल मिल गयी. लेकिन फरवरी 2011 में स्वीडन ने एक बार फिर लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में असांजे के प्रत्यर्पण की डिमांड कर दी.
इस वक्त तक असांजे को मालूम चल चुका था कि अगर वो स्वीडन पहुंच गए तो अमेरिका कुछ भी जुगाड़ बिठाकर उन्हें अपनी हिरासत में ले लेगा. अमेरिका के चंगुल से बचने के लिए जरूरी था कि जूलियन किसी भी हाल में स्वीडन न पहुंचे. असांजे को दुनिया के सबसे ताकतवर देश को, उसकी इंटेलिजेंस एजेन्सी को चकमा देना था. असांजे को किसी भी हाल में इक्वाडोर के दूतावास पहुंचना था. इसके लिए उन्होंने एक डिलीवरी बॉय का वेष धरा और लंदन में मौजूद इक्वाडोर के दूतावास पहुंच गए. वहां पहुंचकर उन्होंने अपने लिए शरण मांगी.
दूतावास में गुजारे 7 साल
इक्वाडोर ने उन्हें अपने दूतावास में शरण दे दी. असांजे इस 330 स्क्वायर फीट के दूतावास में 7 साल गुजार देते हैं. साल 2019 तक वो एक कदम भी दूतावास से बाहर नहीं निकाल सकते थे. इस दौरान वो कई बार दूतावास की बालकनी में देखे गए जिसकी तस्वीरें भी मौजूद हैं. इस दौरान इक्वाडोर पर ब्रिटेन और अमेरिका की तरफ से प्रेशर डाला जाता रहा, लेकिन इक्वाडोर ने साफ कह दिया- हम आपके गुलाम नहीं हैं.
अंतरराष्ट्रीय कानून की वजह से दुनियाभर की एंबसीज और हाई कमिश्नरेट को संरक्षण मिला हुआ है कि इनमें न पुलिस और न ही सेना दाखिल हो सकती है. और ना ही इसमें रहने वाले शख्स को गिरफ्तार कर सकती है. इक्वाडोर के दूतावास को भी ऐसी ही इम्यूनिटी मिली है. इसलिए असांजे को ब्रिटिश पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी.
वक्त बीतता है, इक्वाडोर में नई सरकार बनती है. जिसके लिए असांजे कोई खास अहमियत नहीं रखते थे. अप्रैल 2019 में असांजे को ये कहते हुए निकाल दिया जाता है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समझौतों को तोड़ा है. इस दौरान इक्वाडोर के राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो की निजी तस्वीरें सोशल मीडिया पर जारी कर दी जाती है. हालांकि मोरेनो ने इस मामले में विकीलीक्स या असांजे पर उंगली नहीं उठाई.
ब्रिटिश कोर्ट ने सुनाई 50 हफ्तों की जेल
जैसे ही असांजे दूतावास से बाहर आए, ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया. मई 2019 में ब्रिटिश कोर्ट ने असांजे को 50 हफ्तों की जेल की सजा सुनाई. उन्हें लंदन स्थित बेलमार्श जेल भेज दिया गया, जहां उन्होंने 1901 दिन बिताए. इस दौरान स्वीडन ने असांजे पर लगाए आरोप वापस ले लिए. लेकिन अमेरिका तो जैसे मौके की तलाश में था. असांजे पर हैकिंग की साजिश रचने समेत 18 मामले दर्ज कर यूरोपियन कोर्ट में प्रत्यर्पण की डिमांड की.
असांजे की गिरफ्तारी के खिलाफ कई देशों में प्रदर्शन हुए. ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर भी मामले में दखल देने का दबाव बना. कानूनी कार्रवाई को कुछ महीने बीते, तो कोविड महामारी का दौर शुरू हो गया. इन सबके चलते ब्रिटेन असांजे को अमेरिका के हवाले नहीं कर सका. जेल में सजा काटते हुए असांजे ने अपनी लीगर एडवाइजर स्टेला मॉरिस से शादी कर ली. साल 2022 में दोनों की शादी हुई, जिसमें केवल 4 लोग शामिल हुए.
स्टेला मॉरिस पेश से लॉयर हैं, असांजे से उनकी मुलाकात साल 2011 में हुई थी, उस वक्त स्टेला असांजे की फर्म में नौकरी के लिए आई थीं. असांजे ने स्टेला को लीगल टीम में शामिल किया. धीरे-धीरे दोनों के बीच करीबियां बढ़ती गईं. 2015 में दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे. स्टेला हर मुश्किल में असांजे के साथ ढाल बनकर खड़ी रहीं. जूलियन और स्टेला असांजे की दो बेटियां भी हैं, पहली बेटी 2017 में पैदा हुई जबकि दूसरी बेटी 2019 में. इक्वाडोर दूतावास में रहते हुए स्टेला ने दोनों बच्चियों को जन्म दिया था.
प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका का दबाव
असांजे के प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका लगातार ब्रिटेन पर दबाव बनाता रहा. लेकिन ब्रिटिश गवर्नमेंट असांजे की खराब सेहत का हवाला देकर मामला टालती रही. एक लंबा दौर गुजर गया और अमेरिकी सरकार के सभी कानूनी दांव-पेंच विफल होते गए. असांजे उनके हाथ नहीं लग रहा था. इस सबसे आजिज आकर अमेरिकी सरकार ने अब असांजे से समझौता करने की सोची. इसी समझौते के तहत जूलियन असांजे सवा पांच साल में पहली बार जेल से बाहर निकले.
26 जून को असांजे अमेरिका के साइपन कोर्ट में हाजिर हुए. उन्होंने हैकिंग समेत खुफिया दस्तावेजों को लीक करने का गुनाह कबूल कर लिया. कोर्ट ने उन्हें 62 महीने जेल की सजा सुनाई, लेकिन फिर रिहा कर दिया. असांजे को दोबारा जेल इसलिए नहीं हुई क्योंकि वो पहले ही 62 महीने ब्रिटेन की जेल में सजा काट ही चुके थे. अब असांजे अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया में रहेंगे.
ये थी जूलियन असांजे की वो ज़िन्दगी जिसके चलते वो ख़बरों में रहे, तमाम बड़ी-बड़ी ताकतों से दुश्मनी मोल ली, अपना देश छोड़कर भागे, लंदन की जेल में कैद रहे. लेकिन जूलियन असांजे हैं कौन? उनका बचपन कैसा था? वो खुद कैसे थे? वो किस परिवार से आते हैं? उन्होंने कहां पढ़ाई की और उनकी प्रेम कथा क्या है? ये भी जानते हैं.
ऑस्ट्रेलिया के टाउंसविले में जन्मे असांजे
3 जुलाई 1971 को ऑस्ट्रेलिया के टाउंसविले में असांजे का जन्म हुआ. उनके माता-पिता रंगमंच कलाकार थे. असांजे के जन्म के साल भर बाद पैरेंट्स अलग हो गए. असांजे अपनी मां के साथ रहे और इस दौरान वो एक शहर से दूसरे शहर जाते रहे. इसके चलते असांजे को एक के बाद एक, कई स्कूल बदलने पड़े.
एक इंटरव्यू में असांजे बताते हैं उन्होंने कुल 37 स्कूलों में पढ़ाई की थी. बचपन से ही असांजे की दिलचस्पी प्रोग्रामिंग और मैथ्स में थी. इसे देखकर उनकी मां ने उन्हें एक कम्प्यूटर लाकर दिया. ये एक बड़ी क्रांति की शुरुआत थी. यहां से असांजे के प्रोग्रामिंग करियर की शुरुआत हुई. जूलियन 1987 में वर्ल्ड वाइड वेब के आने से पहले ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में माहिर हो चुके थे.
कई मीडिया रिपोर्ट्स ये भी कहती हैं कि जूलियन प्रोग्रामिंग कोड हैक करके उनमें दर्ज सीक्रेट जानकारी हासिल कर लिया करते थे. जूलियन ने अपने हैकिंग के दिनों में एक हैकिंग ग्रुप भी बनाया था जिसे उन्होंने नाम दिया मेंडिक्स.
हैकिंग की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से
अपने दो साथियों के साथ मिलकर बनाए इस हैकिंग ग्रुप के ज़रिये उन्होंने सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट्स को निशाना बनाया. ये उस समय की बात थी कि फायरवॉल या नेटवर्किंग सिस्टम बहुत ज्यादा एडवांस्ड नहीं होते थे. बताया ये भी जाता है कि असांजे ने यूएस डिफेंस मिनिस्ट्री यानी पेंटागन की वेबसाइट को भी हैक कर खुफिया जानकारी हासिल की थी. ये सब कुछ बहुत शांतिपूर्ण ढंग से नहीं चला. उन्हें ऑस्ट्रेलिया में ही 1995 में गिरफ्तार कर लिया गया. आरोप था – हैकिंग. लेकिन गलती मान लेने पर उन्हें कुछ फाइन देना पड़ा और उन्हें छोड़ दिया गया.
इन घटनाओं से थोड़ा पीछे चलेंगे तो 18 साल का असांजे मिलेगा. वो असांजे जो अपने से उम्र में बड़ी महिला के प्रेम में पड़ा हुआ था. टेरेसा की उम्र असांजे के लिए बस एक संख्या था. वो उनसे शादी करने का मन बना चुका था. दोनों की शादी 1989 में हुई. लेकिन ये रिश्ता बहुत लंबा नहीं चला. 1999 में दोनों अलग हो गए. इस अलगाव ने असांजे को सदमे में धकेल दिया जिससे उबरने में उन्हें 4 साल लग गए.
धीरे-धीरे असांजे की जिदंगी ट्रैक पर लौटी और उन्होंने पुराना काम फिर शुरू कर दिया. साल 2006 में असांजे ने विकीलीक्स वेबसाइट लॉन्च की. ये नॉन प्रॉफिटेबल वेबसाइट थी और आज भी है. इस वेबसाइट में कॉन्टेंट पोस्ट करने और जानकारी हासिल करने के लिए पैसा नहीं देना होता. विकीलीक्स क्राउड फंडिंग यानी लोगों के दिए पैसों से ऑपरेट होती है.
विकीलीक्स पर कई सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स लीक
न्यूज एजेंसी अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, जूलियन असांजे ने पहली बार साल 2007 में विकीलीक्स पर सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स लीक किए थे. इनमें सबसे पहली रिपोर्ट ग्वांतानामो बे डिटेंशन कैम्प से जुड़ी थी. इसमें खुलासा किया गया था कि उस जेल में स्थित कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा था. इसमें उन्होंने तस्वीरों समेत कई साक्ष्य सामने रखे थे. लेकिन उस वक्त तक दुनिया का ध्यान जूलियन असांजे पर नहीं था.
तीन साल बाद, अप्रैल 2010 में विकीलीक्स ने एक वीडियो जारी किया. इस वीडियो में एक फ़ुटेज दिखाई गयी जिसमें यूएस आर्मी ने एक गाड़ी को निशाना बनाया था. इस गाड़ी में 11 लोग सवार थे. सभी लोग मारे गए. बाद में मालूम पड़ा कि ये सभी 11 लोग आम नागरिक थे और इनमें 2 पत्रकार थे. इस फ़ुटेज ने दुनियाभर में तहलका मचा दिया था. लोगों को मालूम चला कि इराक में अमेरिका किस तरह से काम कर रहा था.
जुलाई 2010 में विकीलीक्स 91 हजार सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स और प्रकाशित किए. इनमें से ज्यादातर डॉक्यूमेंट्स अफगानिस्तान वार से जुड़े थे. अक्टूबर 2010 में विकीलीक्स ने 4 लाख डॉक्यूमेंट्स फिर से पब्लिश किए. इनमें इराक युद्ध से जुड़ी कई सीक्रेट फाइलें थीं. बस यहीं से असांजे के बुरे दिन शुरू हो गए. लेकिन असांजे ने हार नहीं मानी. वो लगातार एक के बाद एक खुलासे करते रहे.
डॉक्यूमेंट्स लीक करना अपराध नहींः असांजे
एक इंटरव्यू के दौरान असांजे बताते हैं- ‘मैंने सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स लीक करके कोई अपराध नहीं किया. बल्कि इन्वेस्टगेटिव जर्नलिस्ट का रोल निभाया है. जैसे कोई जर्नलिस्ट खुफिया रिपोर्ट या स्टिंग के जरिए किसी मामले का खुलासा करता है. वहीं काम मैंने किया है. इन सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स के बदले मैंने कोई सौदा नहीं किया. ना ही किसी से उगाही की. इसलिए ये क्राइम की कैटेगिरी में नहीं आता’.
असांजे का मानना है कि लोकतंत्र में सरकार के छिपे राज बाहर आते रहने चाहिए ताकि, उसकी जवाबदेही बढ़े. जनता को सच जानने का हक है. उसे फाइलों में दबाया नहीं जाना चाहिए. असांजे को अपने इसी काम की वजह से पत्रकारिता के क्षेत्र में 25 से ज्यादा अवॉर्ड मिल चुके हैं. 2008 में उन्हें इकोनॉमिस्ट फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और 2010 में सैम एडम्स अवॉर्ड दिया गया था.