जो विकसित भारत नहीं देखना चाहते हैं, उनसे सतर्क रहना होगा: मोहन भागवत

केरल के पलक्कड़ में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की तीन दिवसीय समन्वय बैठक सोमवार को खत्म हो गई है. इसके समापन पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सरकारों पर निर्भरता को कम करने का निर्देश दिया. उन्होंने संघ के पदाधिकारियों और आनुषांगिक संगठनों को अन्य निर्देश भी दिए. साथ ही ‘विकसित भारत’ पर भी बात की.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि शासन-प्रशासन पर निर्भर नहीं रहना है. उनका उपयोग अपने विवेक के आधार पर करना है. समन्वय को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा निर्देश देते हुए कहा कि हिंदू समाज के इतर भी अन्य समाज के अच्छे लोगों से संपर्क रखना है. उनके साथ समन्वय स्थापित करना है.
मजबूत भारत विश्व के कल्याण के लिए होगा
संघ प्रमुख ने कहा कि जो विकसित भारत नहीं देखना चाहते हैं, उनसे सतर्क रहना होगा. मजबूत भारत विश्व के कल्याण के लिए होगा. मजबूत और आत्मनिर्भर भारत से ही विश्व का भला होगा. तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बाद आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने मीडिया को संबोधित किया.
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उन्होंने कहा कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है. यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए अहम है. जातीय जनगणना से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इससे बहुत गंभीरता से निपटा जाना चाहिए. जातीय जनगणना को चुनाव प्रचार के लिए एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
हमने सभी के लिए एक लक्ष्मण रेखा तय की है
आंबेकर ने कहा, इसलिए हमने सभी के लिए एक लक्ष्मण रेखा तय की है. इस दौरान उन्होंने तमिलनाडु में धर्म परिवर्तन के मामलों पर भी बात की. उन्होंने कहा कितमिलनाडु से कई संगठनों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वहां धर्मांतरण की गतिविधियां चल रही हैं. ये बेहद चिंताजनक है. इसे गंभीरता से लिया जाएगा. इसके लिए जमीनी स्तर से जानकारी जुटाई जाएगी.
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