ज्ञानवापी की तरह अजमेर दरगाह में भी शिव मंदिर का दावा, कोर्ट ने मामला दूसरी अदालत को भेजा

राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की एक अदालत में याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था, जिसे तोड़कर दरगाह बनाई गई है. गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि हिन्दू और जैन मंदिर को ध्वस्त कर यह दरगाह बनाई गई है, और इसके प्रमाण भी मौजूद हैं.
गुप्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाए और वहां पूजा-पाठ करने का अधिकार दिया जाए. इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से स्थल का सर्वेक्षण कराने की मांग भी की है.
क्या है दावा ?
विष्णु गुप्ता का कहना है कि अजमेर के हरविलास शारदा ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख किया है, और इसी पुस्तक को आधार बनाकर उन्होंने याचिका प्रस्तुत की है. यह याचिका दिल्ली के अधिवक्ता शशि रंजन और अजमेर के अधिवक्ता जे. एस. राणा के माध्यम से दायर की गई है. दूसरी ओर, दरगाह के सज्जादानशीन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के दावे हिन्दू-मुस्लिम एकता को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं. चिश्ती ने कहा कि दरगाह का इतिहास सदियों पुराना है, और यह सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है. उन्होंने ऐसी संस्थाओं पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है जो इस प्रकार के विवाद उत्पन्न कर रही हैं.
क्या किया अदालत ने?
अदालत ने इस मामले को क्षेत्राधिकार के मुद्दे के कारण दूसरी अदालत में ट्रांसफर कर दिया है. विष्णु गुप्ता ने कहा है कि वह अब डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष नई याचिका दायर करेंगे और सुनवाई के लिए उचित अदालत में अपील करेंगे. उनके वकील ने बताया कि सिविल केस को दूसरी अदालत में ट्रांसफर किया गया है, और अब वे डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष इसे उचित न्यायालय में पेश करने के लिए आवेदन करेंगे.

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